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जाने क्यों होती है शरद पूर्णिमा पर अमृतवर्षा

जाने क्यों होती है शरद पूर्णिमा पर अमृतवर्षा

ज्योतिष की मान्यता एवं प्राचीन धर्म ग्रंथो तथा हिन्दू-पंचांगों के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा , कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा कहते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की वैदिक ज्योतिषीय ग्रंथों के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है. इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था. मान्यता है शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता है. तभी इस दिन संपूर्ण भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है.

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है. पुराणों में ऐसी कथा आती है कि इस रात भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था. इसलिए शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस वर्ष शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर 2017 को मनाया जाएगा.

बरसती है लक्ष्मी की कृपा

शरद पूर्णिमा की रात को जागने का विशेष महत्व दिया गया है.  ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी यह देखने के लिए घूमती कि कौन जाग रहा है. जो जगता है उसका माता लक्ष्मी कल्याण करती हैं. अगर आप भी चाहते है कि मां भी आपके ऊपर अपनी कृपा बरसाएं. जिससे कि आपके सभी काम हो और आपका भाग्य चमक जाएं, तो इस दिन रात के समय इस मंत्र का जाप करें.

“पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे.

जानिए कैसे करें इस मंत्र का जाप—

सबसे पहले इस दिन रात को चंद्रमा का दर्शन करके चांदी के बर्तन में दूध और मिश्री लेकर भोग लगाएं और फिर रातभर इस मंत्र का जाप करें

क्या कहता है विज्ञान: दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है. यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है. चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है. इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है. यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है. शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए. चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है. इससे विषाणु दूर रहते हैं. हल्दी का उपयोग निषिद्ध है. प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिए. रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय उपयुक्त रहता है.

क्या करें शरण पूर्णिमा पर—

इस दिन गाय के दूध से खीर बनाकर उसमें घी और चीनी मिलाकर रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में रख दें. सुबह इस खीर का भगवान को भोग लगाएं तथा घर के सभी सदस्य सेवन करें. इस दिन खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में रखने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं तथा वह मन, मस्तिष्क और शरीर के लिए अत्यन्त उपयोगी मानी जाती हैं. इससे दिमाग तेज होता है. एक अध्ययन के अनुसार दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है. यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है. चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है. इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है. यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है. शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए. चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है. इससे विषाणु दूर रहते हैं.

इस रात्रि को कुछ लोग चाँद की तरफ देखते हुए सुई में धागा पिरोते है. कुछ लोग काली मिर्च को चांदनी में रख कर सेवन करते है. माना जाता है की इनसे आँखों स्वस्थ होती है और उनकी रौशनी बढ़ती है. आयुर्वेद के अनुसार शरद पूर्णिमा के  दिन खीर को चन्द्रमा की किरणों में रखने से उसमे औषधीय गुण पैदा हो जाते है. और इससे कई असाध्य रोग दूर किये जा सकते है. खीर खाने का अपना औषधीय महत्त्व भी है. इस समय दिन में गर्मी होती है और रात को सर्दी होती है. ऋतु परिवर्तन के कारण पित्त प्रकोप हो सकता है. खीर खाने से पित्त शांत रहता है. इस प्रकार शारीरिक परेशानी से बचा जा  सकता है. शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसी से हमें जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त होगी.

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की  गाय के दूध से किशमिश और केसर डालकर चावल मिश्रित खीर बनाकर शाम को चंद्रोदय के समय बाहर खुले में रखने से उसमें पुष्टिकारक औषधीय गुणों का समावेश हो जाता है जब अगले दिन प्रातः काल उसका सेवन करते हैं, तो वह हमारे आरोग्य के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी हो जाती है. यह खीर यदि मिटटी की हंडिया में रखी जाये,और प्रातः बच्चे उसका सेवन करें ,तो छोटे बच्चों के मानसिक विकास में अतिशय योगदान करती है ;ऐसा आयुर्वेद में उल्लेखित है. इस खीर के प्रयोग से अनेक मानसिक विकारों से बचा जा सकता है.

वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा की रात दमा रोगियों के लिए वरदान बनकर आती है. इस रात्रि में दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर उसे चांदनी रात में रखकर प्रात: 4 बजे सेवन किया जाता है. रोगी को रात्रि जागरण करना पड़ता है और औ‍षधि सेवन के पश्चात 2-3 किमी पैदल चलना लाभदायक रहता है. शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है. रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है.

ऐसे लगाएं खीर का भोग

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस दिन व्रत रख कर विधि-विधान से लक्ष्मीनारायण का पूजन करें. खीर बनाकर रात में खुले आसमान के नीचे ऐसे रखें ताकि चन्द्रमा की रोशनी खीर पर पड़े. अगले दिन स्नान करके भगवान को खीर का भोग लगाएं. फिर तीन ब्राह्मणों या कन्याओं को प्रसाद रूप में इस खीर को दें और अपने परिवार में खीर का प्रसाद बांटे. इस खीर को खाने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है.

जानिए आपकी राशि अनुसार कौन सा उपाय होगा लाभकारी–

मेष राशि अनुसार – शरद पूर्णिमा पर मेष राशि के लोग कन्याओं को खीर खिलाएं और चावल को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं. ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं.

वृषभ राशि अनुसार  – इस राशि में चंद्रमा उच्च का होता है. वृष राशि शुक्र की राशि है और राशि स्वामी शुक्र प्रसन्न होने पर भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं. शुक्र देवता को प्रसन्न करने के लिए इस राशि के लोग दही और गाय का घी मंदिर में दान करें.

मिथुन राशि अनुसार– इस राशि का स्वामी बुध, चंद्र के साथ मिल कर आपकी व्यापारिक एवं कार्य क्षेत्र के निर्णयों को प्रभावित करता है. उन्नति के लिए आप दूध और चावल का दान करें तो उत्तम रहेगा.

कर्क राशि अनुसार – आपके मन का स्वामी चंद्रमा है, जो कि आपका राशि स्वामी भी है. इसलिए आपको तनाव मुक्त और प्रसन्न रहने के लिए मिश्री मिला हुआ दूध मंदिर में दान देना चाहिए.

सिंह राशि अनुसार – आपका राशि का स्वामी सूर्य है. शरद पूर्णिमा के अवसर पर धन प्राप्ति के लिए  मंदिर में गुड़ का दान करें तो आपकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है.

कन्या राशि अनुसार– इस पवित्र पर्व पर आपको अपनी राशि के अनुसार 3 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाना विशेष लाभदाई रहेगा.

तुला राशि अनुसार – इस राशि पर शुक्र का विशेष प्रभाव होता है. इस राशि के लोग धन और ऐश्वर्य के लिए धर्म स्थानों यानी मंदिरों पर दूध, चावल व शुद्ध घी का दान दें.

वृश्चिक राशि अनुसार – इस राशि में चंद्रमा नीच का होता है. सुख-शांति और संपन्नता के लिए इस राशि के लोग अपने राशि स्वामी मंगल देव से संबंधित वस्तुओं, कन्याओं को दूध व चांदी का दान दें.

धनु राशि अनुसार– इस राशि का स्वामी गुरु है. इस समय गुरु उच्च राशि में है और गुरु की नौवीं दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी. इसलिए इस राशि वालों को शरद पूर्णिमा के अवसर पर किए गए दान का पूरा फल मिलेगा. चने की दाल पीले कपड़े में रख कर मंदिर में दान दें.

मकर राशि अनुसार – इस राशि का स्वामी शनि है. गुरु की सातवी दृष्टि आपकी राशि पर है जो कि शुभ है. आप बहते पानी में चावल बहाएं. इस उपाय से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.

कुंभ राशि अनुसार – इस राशि के लोगों का राशि स्वामी शनि है. इसलिए इस पर्व पर शनि के उपाय करें तो विशेष लाभ मिलेगा. आप दृष्टिहीनों को भोजन करवाएं.

मीन राशि अनुसार– शरद पूर्णिमा के अवसर पर आपकी राशि में पूर्ण चंद्रोदय होगा. इसलिए आप सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं.

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Post By Religion World