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रक्षाबंधन: जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, महत्त्व और पूजा विधि

रक्षाबंधन यानी राखी का पर्व भाई-बहन के प्रेम  का प्रतीक है, यह पर्व न बहनों को सुरक्षा का एहसास दिलाता है बल्कि भाई बहन  को एक दूसरे पर भरोसा रखने की सीख भी देता है ।



रक्षाबंधन का इतिहास काफी पुराना है, जो देव युग, महाभारत काल और सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है। श्रावण मास की पूर्णिमा 3 अगस्त 2020 को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।

 जानिए राखी बांधने का सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त

राखी बांधने का मुहूर्त : प्रातः 09:27:30 से रात्रि 09:11:21 तक
अवधि : 11 घंटे 43 मिनट
रक्षाबंधन अपराह्न मुहूर्त : दोपहर 01:45:16 से सायं 04:23:16 तक
रक्षाबंधन प्रदोष मुहूर्त : सायं 07:01:15 से रात्रि 09:11:21 तक

राहुकाल- प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक (राहुकाल में राखी न बांधें)

राखी की धार्मिक मान्यताएं
वैसे तो रक्षा बंधन से कई कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से इसका उद्गम माना जाता है। मान्यता के मुताबिक शिशुपाल के वध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के बाएं हाथ की ऊंगली चोटिल हो जाती है और उससे खून बहने लगता है। यह देख द्रौपदी अपनी साड़ी को फाड़कर श्रीकृष्ण की ऊंगली में बांध देती है। मान्यता है कि तभी से श्रीकृष्ण द्रौपदी को अपनी बहन मानने लगे। लंबे अंतराल के बाद जब पांडव द्रौपदी को जुए में हार जाते हैं और कौरव उसका चीरहरण करने लगते हैं, उस वक्त भाई का फर्ज निभाते हुए श्रीकृष्ण ने अपने बहन द्रौपदी की लाज बचाई थी।
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन का त्योहर श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में मुख्य त्योहार माना जाता है। रक्षाबंधन का त्योहर पूर्णत: भाई बहन को समर्पित है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और भाई भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए उन्हें उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस त्योहार को भाई बहने के अटूट प्रेम का त्योहार माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार राखी को रक्षासूत्र कहा जाता है। जिसे बांधकर बहन अपने भाई की हर प्रकार से रक्षा करने के लिए प्रार्थना करती हैं।
रक्षाबंधन की पूजा विधि
इस दिन बहन को सुबह जल्दी उठाना चाहिए और नहाकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले बहन को भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले अपने ईष्ट देवता की पूजा करनी चाहिए।
इसके बाद आटे से एक चौक का निर्माण करें और एक अपने भाई को एक चौकी या पाटे पर बैठाएं
इसके बाद थाली में रोली , चावल, राखी और मिठाई रखें और अपने भाई का तिलक करके उस पर चावल लगाएं।
इसके बाद अपने भाई की दहिनी कलाई पर राखी बांधे और उसे मिठाई खिलाएं।


राखी बंधवानें के बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार अवश्य दें।
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