Post Image

अप्रवासी बेटियों ने लिया “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और शौचालय बनाने का संकल्प

अप्रवासी बेटियों ने लिया “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और शौचालय बनाने का संकल्प
  • शक्ति है तो सृष्टि है
  • बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं और शौचालय बनाओं का लिया संकल्प
  • अप्रवासी भारतीय बेटियों को तुलसी का पौधा और मोगरे की माला देकर किया अभिनन्दन
  • भारतीय संस्कारों और अपनी जड़ोेेें से जुडे रहने का दिया संदेश

ऋषिकेश, 11 जुलाई। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से आज अमेरिका के विभिन्न प्रांतों में निवास कर रहे अप्रवासी भारतीय परिवार के सदस्यों ने मुलाकात की। उनकी पूज्य स्वामी जी के साथ भारतीय मूल्यों, संस्कारों, संयुक्त परिवार एवं बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं और शौचालय बनाओं आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया की विदेश की धरती पर रहते हुये हमें अपने देश, पैतृक गांव एवं अपने भारतीय भाई-बहनों के सहयोग के लिये योगदान देना चाहिये। हमें अपनी योग्यता एवं क्षमता का सद्उपयोग कर देश को विकसित राष्ट्र बनाने में सहयोग करना चाहियें।

स्वामी जी ने महिला सशक्तिकरण के माध्यम से विश्व पटल पर भारत के स्वर्णिम भविष्य को ले जाने की बात कहीं और बेटियों को बिना पक्षपात के शिक्षित और स्वावलम्बी बनाने की दिशा में कार्य करने पर जोर देने के लिये प्रोत्साहित किया। उन्होने कहा कि वर्तमान समय में हमारी बेटियाँ सफलता के परचम लहरा रही हैं वहीं दूसरी ओर वे आज भी पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है। अतः बेटियों को सुरक्षित कर बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं अभियान को सार्थकता प्रदान करने के लिये आगे आयें।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कन्याओं को भारतीय संस्कारों के महत्व को समझाते हुये तुलसी का पौधा और मोगरे की माला भेंट कर कहा, ’शक्ति है तो सृष्टि ह़़ै; शक्ति है तो प्रकृति है।’ बुद्ध जैसे मनीषी, शंकराचार्य जैसी विभूतियों एवं आईस्टांइन जैसे वैज्ञानिकों ने भी शक्ति की गर्भ से जन्म लिया है। अतः शक्ति और सृष्टि को सुरक्षित, संरक्षित रखने की दिशा में कार्य करना नितांत आवश्यक है। उन्होने बेटियों को संस्कार, सदाचार एवं सद्व्यवहार के साथ अग्रसर होने की शिक्षा दी।’

पूज्य स्वामी जी ने सभी से स्वच्छ भारत मिशन में सहयोग करने का आहृवान किया और कहा कि आज भी भारत में अनेेक परिवार ऐसे है जिनके पास मौलिक सुविधाओं का भी अभाव है। उन्होने कहा कि आज भी हमारी मातायें और बहनें शौचक्रिया के लिये सांझ होने का इंतजार करती है। अतः ऐसे परिवारों के शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना उनके लिये ईश्वर के उपहार से कम नहीं है। आईये हम सब मिलकर प्रत्येक परिवार को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिये लोककल्याणकारी कार्यों की ओर अपना एक कदम बढ़ाये। वहां उपस्थित अप्रवासी भारतीयों ने स्वामी जी एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सानिध्य में बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं और शौचालय बनाओं और बनवाओं का संकल्प लिया।

Post By Religion World