Post Image

गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल है गुजरात का यह मोढ मोदी समाज

गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल है गुजरात का यह मोढ मोदी समाज

अहमदाबाद. 29 मई; रमजान के पाक माह में अक्सर कई जगह गंगा जमुनी तहजीब के दर्शन होते हैं. जहाँ लोग धर्म और जाती को भूलकर भाईचारे का सन्देश देते हैं. भारत की जिस गंगा-जमुनी तहजीब की दुनिया मिसाल देती है, यह परिवार उसी की बानगी है. जो हिन्दू होने के बावजूद हर रमजान पर और ईद पर 40 किलो शीर खुर्मा बनाता है और एक महीने तक चले रमजान के रोजों का जश्न मनाता है. यह परिवार है जिग्नेश मोदी का जो हिंदू होने के बावजूद इस्लाम में निभाया जाने-वाला दान-पुण्य भी करता है और बड़े स्तर पर गरीबों की मदद करता है.

आपको बताते चलेंकि जिग्नेश मोदी का परिवार मोढ मोदी जाति का है. ये लोग मोरबी जिले के आमरान में हजरत दवलशा पीर को मानने वाले उन 500 परिवारों में से एक हैं, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों को मनाते हैं और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल हैं. मोदी के परिवार में यह प्रथा उनके परबाबा के समय से चली आ रही है.

यह भी पढ़ें-विंध्यवासिनी धाम में मोहम्मद इस्लाम ने दिया गंगा जमुनी तहजीब का पैगाम

औलाद की चाह में खटखटाया था दरवाजा 

जिग्नेश बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने 125 साल पहले पीर एक दरगाह पर बच्चे की चाह में प्रार्थना की थी. उनकी हर औलाद पैदा होने के बाद मर जाती थी. इसलिए वे बिना नि:संतान ही रह रहे थे. दरगाह पर प्रार्थना का असर हुआ और उनके 7 बच्चे हुए. उसके बाद से उनके वंशज रमजान मनाने लगे. इसके साथ ही ईद का जश्न भी मनाया जाने लगा.

हिन्दू त्यौहार भी मनाता है यह समाज

मोदी समाज हिंदू त्योहार भी मनाता है. उनके  परिवार की कुलदेवी बहूचर माता हैं. वे शादी भी दोनों धर्मों के मुताबिक करते हैं. पहले दिन हिंदू रीति-रिवाज से शादी होती है और उसके अगले दिन पीर की दरगाह पर आशीर्वाद लिया जाता है. हजरत दवलशा पीर के बारे में गुजरात में 15वीं सदी में सुल्तान रहे महमूद बेगडा के समय से जाना जाता है. उन्होंने चंपानेड़-पवागढ़ किला जीतने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने बाद में अपना जीवन अध्यात्म के नाम कर दिया था. उनका उर्स सालाना मनाया जाता है जब भक्त चादर चढ़ाने आते हैं.

Post By Religion World