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मौनी अमावस्या 2019 : माघ मास का सबसे महत्वपूर्ण स्नान

मौनी अमावस्या 2019 : माघ मास का सबसे महत्वपूर्ण स्नान

मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहना चाहिए। जो भक्त मौनी अमावस्या व्रत करता है उसे इस दिन मौन रहकर व्रत का समापन करना चाहिए। ऐसा करने से उस भक्त को मुनि का पद प्राप्त होता है। इस दिन सृष्टि के संचालक मनु का जन्म दिवस भी है। इस दिन भगवान विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी जी का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है।

इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा या कावेरी जैसी अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए।

स्नान करते समय इस मंत्र का जाप करते रहें…

“गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।”

धार्मिक मान्यता के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस वर्ष यह व्रत 4 फरवरी 2019 को मनाया जाएगा। 27 वर्ष बाद मौनी अमावस्या पर फिर से वही योग पड़ रहे हैं जो वर्ष 1992 में पड़े थे।संयोग यह भी है कि 27 वर्ष पूर्व जो सिद्धी योग था वह योग इस बार सिद्धी के साथ साथ महोदय योग के रूप में भी आ रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन चंद्रमा का श्रवण नक्षत्र विद्यमान रहेगा। विशेष बात यह है कि भगवान सूर्य का प्रवेश इसी नक्षत्र में हो रहा है। सूर्य इस समय मकर राशि में मौजूद हैं। सूर्य के मकर राशि में रहते हुए मौनी अमावस्या का पड़ना अपने आप में एक महायोग है। इस बार की मौनी अमावस्या दरिद्र योग, ग्रहण योग, केमुद्रम योग और शक्त योग लेकर भी आई है। इसका अर्थ है कि जिनकी कुंडली में ये योग हों, गंगा स्नान करने से उनका दुर्योग मिट जाएगा। यह पर्व व्यवसाय, संतान और भौतिक सुख भी लेकर आ रहा है। गंगा आदि पवित्र नदियों में एक भी गोता लगाने के जन्म जमान्तर के पाप मिट जाते हैं। पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस दिन मौन रहकर तिल, दूध और गुड़ तिल से बनी वस्तुओं का दान करना चाहिए। इस वर्ष 2019 में सोमवती अमावस्या के स्नान का पर्व पूर्ण पर्वकाल लेकर आया है। प्रात:काल सूर्योदय से लेकर सायंकाल सूर्यास्त तक पूर्ण मुहूर्त मौजूद रहेगा। इस कारण श्रद्धालु किसी भी पवित्र नदी में डुबकी लगा सकते हैं।

मौनी अमावस्या यदि सोमवार को हो तो सोमवती अमावस्य का योग मिलकर महायोग बन जाता है। इसलिए पितृ दोष निवारण, शनि शांति के उपाय करने से सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है।

हिन्दू धर्मशात्रों में मौनी अमावस्या का महत्व को विस्तार से बताया गया है। माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। मौनी अमावस्या के उपाय करने से विष्णु भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और स्वर्गलोक कि प्राप्ति होती है। माघ मास की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली मौनी अमावस्या इस बार सोमवार के दिन है जिससे इसका महत्व और भी अधिक हो जाता है। कृष्ण पक्ष, मौनी अमावस्या और सोमवती अमावस्या एक साथ से होने से त्रिशुभ योग बन रहा है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के अचूक उपाय करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है और अमावस्या के दिन चंद्र दर्शन नहीं होते हैं। इससे मन की स्थिति कमजोर रहती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान भी है।इस दिन तीर्थस्थलों पर स्नान करने से दिन की महत्ता कहीं बढ़ जाती है। दान पुण्य का भी इस तिथि पर विशेष महत्व है। कहा जाता है बिना स्वार्थ के जो व्यक्ति इस दिन दान करता है उस पर शिव और विष्णु दोनों की ही दयादृष्टि पड़ती है। शास्त्रों में चंद्रमा को मन का देवता बताया गया है, लेकिन अमावस्या को चंद्रदर्शन नहीं होते, जिससे मन की स्थिति शिथिल होती है। इससे निजात पाने के लिए ही इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान है।

मौनी अमावस्या पर इस साल कई शुभ संयोग बन रहे हैं। वहीं, इस दिन स्त्री और पुरुष दोनों को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। गरुड़ पुराण के मुताबिक- मौनी अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को जीवन में कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं ऐसा करने से पितृगण भी नाराज होते हैं। मौनी अमावस्या के दिन किसी भी गरीब और असहाय व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार शनिदेव गरीबों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में जो व्यक्ति गरीब का अपमान करता है, उस पर शनिदेव कृपा नहीं करते। इसके अलावा अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करना शुभ फलदायी माना गया है। शनिवार के दिन को छोड़कर किसी और दिन पीपल का स्पर्श करना अशुभ माना गया है। इसलिए मौनी अमावस्या पर पूजा करें लेकिन उसे स्पर्श न करें।मौनी अमावस्या में स्त्री-पुरुष को किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से बचना चाहिए। इससे घर में अशांति का वातावरण होता है। ये हमेशा नकारात्मक शक्ति को जन्म देता है। वहीं, इस दिन मौन रहकर भगवान का भजन करना चाहिए।

मौनी अमावस्या इस बार अद्भुत संयोग के साथ सोमवार 4 फरवरी को यानी पड़ने जा रही है। यह मौनी अमावस्या कई शुभ योगों के साथ बेहद खास है। क्योंकि ऐसा कई वर्षों बाद हो रहा है कि जब कुम्‍भ मेला चल रहा हो और मौनी अमावस्या सोमवार को हो। इस बार की अमावस्या, सोमवारी अमावस्या भी है। मौनी अमावस्या और प्रयागराज कुम्भ 2019 का तीसरा शाही स्नान होने के कारण सोमवार को संगम तट पर आस्था की पवित्र डुबकी लगाने वालों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है।

4 फरवरी 2019 को मौनी अमावस्या का पूजन शुभ मुहूर्त…

प्रातः 04: से 8: 30 तक उसके बाद सुबह 09:52 से 11:14 तक

रात्रि : 06: से 07:40 तक कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं

ये करें मौनी अमावस्या के उपाय पर…

माघ मास की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली मौनी अमावस्या के उपाय बात करें तो गंगा-स्नान-दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन रहने से आत्मबल में वृद्धि होती है।

मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर प्रयाग कुंभ संगम में स्नान करना चाहिए। सात बार भगवान श्रीहरी विष्णु जी का नाम लेते हुए पवित्र सरोवर-नदी में डुबकी लगनी चाहिए।

मौनी अमावस्या पर पितरों के नाम यज्ञ करने से जीवन में सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिल जाती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या पर ब्राह्मणों और गरीबों को दान देना चाहिए, गौ सेवा करने से विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन गाय को हरा चारा जरूर खिलाएं।

माघ मास की मौनी अमावस्या सोमवती अमावस्या एक साथ होने से इस दिन शंकर भगवान पर कच्चा दूध, शहद, घी, गंगाजल और तिल डालकर अभिषेक करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।

मौनी अमावस्या पर स्नान करने के बाद स्वच्छ पीले कपड़े पहनने चाहिए और अक्षत यानी चावल और गंगाजल हाथ में लेकर संकल्प लेना चाहिए।

मौनी अमावस्या पर संकल्प लेने के बाद घर में भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करना चाहिए। भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या चित्र पर पीले फील की माला चढ़ाएं।

मौनी अमावस्या पर विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु का पाठ करना चाहिए उसके उपरान्त ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन में आहुति देनी चाहिए।

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