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चीन के प्रमुख धर्म: बौद्ध, ताओ, कैथोलिक और इस्लाम धर्म

चीन की सभ्यता विश्व की पुरातनतम सभ्यताओं में से एक मानी जाती है. बौद्ध धर्म से पूर्व प्राचीन चीन में कई महान राजवंशों का धर्म प्रचलित था. उनमें से एक शा राजवंश था, जो 2070 ईसा पूर्व था. शा वंश से पहले चीन में तीन अधिपतियों और पांच सम्राटों का काल था. पांच सम्राटों में से अंतिम सम्राट शुन था.



शुन ने अपनी गद्दी यु महान को सौंपी और उसी से शा राजवंश सत्ता में आया. इसे शिया राजवंश भी कहा जाता था जिसके बाद शांग राजवंश का दौर आया, जो 1600 ईसापूर्व से 1046 ईसापूर्व तक चला. शांग राजवंश के बाद चीन में झोऊ राजवंश सत्ता में आया.

यदि विश्वस्तर पर देखा जाए तो बुद्ध के समय में चीन में कन्फ्यूशियस विचार, भारत में वैदिक और बुद्ध के विचार तथा ईरान में जरथुस्त्र विचारधारा का बोलबाला था, बाकी दुनिया ग्रीस को छोड़कर लगभग विचारशून्य ही थी. न ईसाई धर्म था और न इस्लाम.
ईसा मसीह के जन्म के पूर्व बौद्ध धर्म की गूंज येरुशलम तक पहुंच चुकी थी.

चीन में झोऊ राजवंश का काल लंबे समय तक चला. इनके ही काल में चीन में कन्फ्यूशियस के विचार और बौद्ध धर्म (बुद्ध) का विकास हुआ. बाद में ताओवाद (लाओत्से तुंग), मोहीवाद (मोजी) और न्यायवाद (हान फेईजी और ली सी) भी आगे बढ़ा. लेकिन इन सभी के बीच बौद्ध धर्म ने अपनी जड़ें जमाईं और इसने चीन की भिन्न-भिन्न विचारधाराओं को एक सूत्र में बांध दिया.

बौद्ध धर्म के कारण चीन में जातिगत एकता और शक्ति का विकास हुआ. इस विचारधारा के फैलने के कारण चीन में दासप्रथा के खात्मे के साथ ही छिन राजवंश का उदय हुआ. छिन के बाद हान ने 8वीं सदी तक राज्य किया.

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म चीन का प्रमुख धर्म है. बौद्ध धर्म वैसे तो भिक्षुओं के माध्यम से 200 ईसा पूर्व ही चीन में प्रवेश कर गया था. संभवत: उससे पूर्व, लेकिन राजाओं के माध्यम से यह व्यापक पैमाने पर पहली शताब्दी के आसपास चीन का राजधर्म बनने की स्थिति में आ गया था. धीरे-धीरे बौद्ध धर्म के कारण चीन में राष्ट्रीय एकता स्थापित होने लगी. राजवंशों के झगड़े कम होने लगे. आज बौद्ध धर्म चीन का प्रमुख धर्म है.

चीन में भाषा की दृष्टि से बौद्ध धर्म की 3 शाखाएं हैं यानी हान भाषा में प्रचलित बौद्ध धर्म, तिब्बती भाषी बौद्ध धर्म तथा पाली भाषी बौद्ध धर्म. इन तीन भाषी बौद्ध धर्म के भिक्षुओं की कुल संख्या 2 लाख से अधिक है. तिब्बती बौद्ध धर्म चीनी बौद्ध धर्म की एक शाखा है, जो चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश तथा छिंग हाई प्रांत आदि क्षेत्रों में प्रचलित है.

तिब्बती जाति, मंगोल जाति, य्युकू जाति, मन बा जाति, लोबा जाति और थू जाति तिब्बती बौद्ध धर्म में विश्वास करती हैं जिनकी जनसंख्या लगभग 70 लाख है. पाली भाषी बौद्ध धर्म मुख्य तौर पर दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के शिश्वांगपानना ताई स्वायत्त प्रिफैक्चर, तेहोंग ताई व चिंगपो जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर और सी माओ आदि क्षेत्रों में प्रचलित है. ताई जाति, बुलांग जाति, आछांग जाति और वा जाति के ज्यादातर लोग भी पाली भाषा में चले बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं जिसकी संख्या 10 लाख से ज्यादा है.

हान भाषी बौद्ध धर्म के अनुयायी हान (हुण) जाति के लोग हैं और पूरे देश में फैले हुए हैं. वर्तमान में मूल चीन में 13 हजार से ज्यादा बौद्ध मंदिर हैं और बौद्ध धर्म के स्कूलों व कॉलेजों की संख्या 33 और धार्मिक पत्र-पत्रिकाओं की संख्या करीब 50 है.

ताओ धर्म

ईसा की दूसरी शताब्दी में ताओ धर्म की शुरुआत हुई. ताओ धर्म में प्राकृतिक आराधना होती है और इतिहास में उसकी बहुत-सी शाखाएं थीं. अपने विकास के कालांतर में ताओ धर्म धीरे-धीरे दो प्रमुख संप्रदायों में बंट गया. एक है- आनचनताओ पंथ और दूसरा है- चड यीताओ पंथ. जिन का चीन की हान जाति में बड़ा प्रभाव होता है. चीन में कुल 1,500 से ज्यादा ताओ विहार हैं जिनमें धार्मिक व्यक्तियों की संख्या 25 हजार है. हालांकि ताओवादियों की संख्या कितनी है, यह कह पाना मुश्किल है. हालांकि अधिकतर ताओवादी भी बौद्ध धर्म का ही पालन करते हैं.

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इस्लाम धर्म

चीनी ग्रंथों के अनुसार चीन में इस्लाम का आरंभ वर्ष 651 में हुआ. 651 को अरब के तीसरे खलीफा उथमान बी अफ्फान ने एक इस्लामिक मिशन चीन भेजा था. मिशन ने थांग राजवंश के सम्राट से मुलाकात के दौरान अनिश्वरवादी चीन में अपने देश के धर्म और रीति-रिवाज से चीनी सम्राट को अवगत कराया .

वर्ष 757 यानी चीन के थांग राजवंश में सैनिक विद्रोह को शांत करने के लिए थांग राजवंश के सम्राट ने अरब से सैनिक सहायता की मांग की थी. यहां व्यवस्था बनाने के बाद अरबी सैनिक चीन में ही बस गए.

शुंग राजवंश के अंत के बाद जंगेज ने पश्चिम चीन पर कब्जा करने का सैनिक अभियान आरंभ किया. इस इस्लामिक अभियान के दौरान मकबूजा जातियों को मुस्लिम धर्म अपनाना पड़ा. इन जातियों में खोरजम जाति की जनसंख्या सबसे ज्यादा थी. इन सभी जातियों के लोग बाद में चीन में ह्वेई जाति के लोग कहलाने लगे. वर्ष 1271 में मंगोल जाति ने दक्षिण शुंग राजवंश की सत्ता का तख्ता उलटकर य्वान राजवंश की सत्ता स्थापित की. य्वान राजवंश काल में संपूर्ण चीन में ह्वेई जाति के लोग फैलने लगे थे, तब ह्वेई व उइगुर जैसी 8-10 जातियों के लोग मुस्लिम बन चुके थे.

चीन की ह्वी, वेवूर, तातार, कर्कज, कजाख, उजबेक, तुंग श्यांग, सारा और पाओ आन आदि जातियों को उस काल में मुस्लिम बनना पड़ा था. आज शिन्च्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में सबसे ज्यादा मुसलमान रहते हैं तो उइगुर जाति के हैं जिनकी संख्या लगभग 1 करोड़ 80 लाख है. चीन में मुसलमान शिन्च्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश, निंग श्या ह्वी स्वायत्त प्रदेश और छिंग हाई, कान सू एवं युन्नान आदि प्रांतों में फैले हुए हैं. वर्तमान में चीन में मस्जिदों की संख्या 30 हजार है. स्वायत्त शिन्च्यांग प्रांत के मुस्लिम अब चीन से अलग होना चाहते हैं.

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कैथोलिक धर्म

कैथोलिक धर्म सातवीं शताब्दी से ही कई बार चीन में प्रवेश कर गया था .  वर्ष 1840 में अफ़ीम युद्ध के बाद बड़े पैमाने पर चीन में प्रवेश कर गया. अब चीन में 100 से ज्यादा कैथोलिक क्षेत्र हैं और अनुयायियों की संख्या लगभग 50 लाख , खुले चर्चों व संस्था स्थलों की संख्या 5 हज़ार है, और धार्मिक प्रतिष्ठान 12 है.  पिछले  20 वर्षों में चीनी कैथोलिक धर्म से 1500 से ज्यादा युवा पादरी प्रशिक्षित हुए , जिन में से 100 से ज्यादा युवा पादरी अध्ययन के लिए विदेश भेजे गए.



इस के अलावा, चीनी कैथोलिक धर्म के 3000 से ज्यादा सिस्टर भी हैं, जिन में 200 से ज्यादा सिस्टरों ने जीवन भर कैथोलिक धर्म को समर्पित करने का संकल्प किया है. चीनी कैथोलिक धर्म में हर वर्ष 50 हज़ार लोग क्रिश्चिनिंग की रस्म लेते हैं, और 30 लाख से ज्यादा बाइबिल प्रकाशित किये गए हैं.

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सोर्स: Crionline  

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Post By Shweta