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मां कूष्मांडा ने मुस्कान से रचा ब्रह्मांड कैसे? सृष्टि की जननी की अद्भुत कथा

मां कूष्मांडा ने मुस्कान से रचा ब्रह्मांड कैसे? सृष्टि की जननी की अद्भुत कथा

नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित है। इन्हें सृष्टि की जननी कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना उनकी दिव्य मुस्कान से हुई थी। इस रहस्यमयी कथा के कारण मां कूष्मांडा का स्वरूप न केवल अद्वितीय है, बल्कि उनकी पूजा से भक्तों को अपार शक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।

मां कूष्मांडा की अद्भुत कथा

पुराणों में वर्णन है कि जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और चारों ओर केवल अंधकार था, तब देवी दुर्गा ने अपने चौथे स्वरूप को प्रकट किया। उन्होंने हल्की मुस्कान भरते ही अपनी दिव्य ऊर्जा से सूर्य के प्रकाश को जन्म दिया और इस ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण इन्हें कूष्मांडा कहा गया — ‘कूष्मांड’ का अर्थ है ‘कु’ (थोड़ा), ‘उष्मा’ (ऊर्जा/गर्मी) और ‘अंड’ (ब्रह्मांड का अंड/गोलक)। यानी थोड़ी सी ऊर्जा से ब्रह्मांड का निर्माण करने वाली देवी।

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी कहा जाता है क्योंकि इनके आठ हाथ हैं।

  • इनके हाथों में कमल, अमृतकलश, गदा, चक्र, धनुष-बाण और जपमाला होती है।

  • मां सिंह पर सवार रहती हैं, जो पराक्रम और निर्भयता का प्रतीक है।

  • इनके एक हाथ में अमृत से भरा कलश होता है, जो स्वास्थ्य और आयु का द्योतक है।
    उनके तेज और आभा से सम्पूर्ण ब्रह्मांड प्रकाशित माना जाता है।

पूजा विधि (नवरात्रि के चौथे दिन)

  1. सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।

  2. पूजास्थल पर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  3. लाल कपड़े से सजाकर कलश स्थापना करें।

  4. गंगाजल, फूल, अक्षत, सिंदूर और रोली अर्पित करें।

  5. मां को दूध और दूध से बने पकवान विशेष प्रिय हैं, इसलिए भोग में खीर या मालपुए अर्पित करें।

  6. मंत्र “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” का 108 बार जाप करें।

  7. अंत में आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।

मां कूष्मांडा की पूजा के लाभ

  • जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।

  • स्वास्थ्य अच्छा रहता है और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

  • घर-परिवार में सुख-समृद्धि और उन्नति आती है।

  • मानसिक शांति और एकाग्रता मिलती है।

  • भक्त के जीवन से नकारात्मकता और भय दूर हो जाता है।

मां कूष्मांडा की कथा हमें यह सिखाती है कि सृष्टि की हर रचना एक दिव्य ऊर्जा से संचालित होती है। उनकी मुस्कान से रचा यह ब्रह्मांड न केवल उनके सामर्थ्य का प्रमाण है, बल्कि भक्तों के लिए यह प्रेरणा भी है कि श्रद्धा और भक्ति से हर असंभव कार्य संभव हो सकता है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा कर भक्त जीवन में अपार ऊर्जा और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करता है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World