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क्यों परिवार और संपत्ति का त्यागकर संत बन रहे हैं ये दंपत्ति

क्यों परिवार और संपत्ति का त्यागकर संत बन रहे हैं ये दंपत्ति

चित्तौड़गढ़, 14 सितम्बर; जब करोड़ों की सम्पत्ति और सुखद परिवार होने के बाद भी शांति का अनुभव न हो तो लोग गृहस्थ आश्रम से वानप्रस्थ आश्रम की ओर प्रवेश करते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिला है राठौर दंपत्ति में. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सुमित राठौर और चित्तौड़गढ़ निवासी उनकी पत्नी अनामिका राठौर ने गृहस्थ आश्रम को त्यागकर संत बनने का फैसला लिया है. परिवार की लाख कोशिशों के बाद भी यह दंपत्ति अपना फैसला बदलने को तैयार नहीं है.

 कौन है यह राठौर परिवार

अनामिका भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कपासन निवासी अशोक चंडालिया की बेटी हैं. वे चित्तौड़गढ़ के ही सेंती निवासी सेठ परिवार की दोहित्री हैं. इनकी शादी सुमित से चार साल पहले हुई. भरे-पूरे संपन्न संयुक्त परिवार के साथ इनके 2 साल 10 महीने की बेटी इभ्या है. सुमित नीमच के बड़े बिज़नस घराने से ताल्लुक रखते हैं. उनके परिवार की 100 करोड़ से भी अधिक की प्रॉपर्टी है.

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क्यों लिया संत बनने का फैसला

सुमित और अनामिका का कहना है कि उन्हें आत्मकल्याण का बोध गया. इसलिए यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि बेटी आठ महीने की हुई तभी से शीलव्रत यानी ब्रह्मचर्य का पालन किया. बच्ची का हवाला देने पर वे बोले-यह बच्ची ही तो पुण्यशाली है. तभी तो इसके गर्भ में आते ही हमारे भीतर आत्म कल्याण का बोध गया.

 गोल्ड मेडलिस्ट है अनामिका
अनामिका को आठवीं बोर्ड में जिले की पहली गोल्ड मेडलिस्ट होने का गौरव है. सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए राजस्थान बोर्ड की 10वीं क्लास में 18वीं और विज्ञान से 12वीं बोर्ड में 28वीं रैंक प्राप्त की. मोदी इंजीनियरिंग कॉलेज लक्ष्मणगढ़ (सीकर) से बीई किया. हिंदुस्तान जिंक में भर्ती निकली. मेरिट में 23 हजार अभ्यर्थियों में 17वें नंबर पर रही. आठ-दस लाख के सालाना पैकेज पर नौकरी शुरू की, लेकिन 2012 में सगाई के बाद जॉब छोड़ दिया.

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लन्दन से डिप्लोमा होल्डर हैं सुमित

सुमित राठौर लंदन से एक्सपोर्ट-इंपोर्ट में डिप्लोमाधारी हैं. दो साल लंदन में जॉब करने के बाद दादा नाहरसिंह राठौर के कहने पर नीमच गए. जहां करीब 10 करोड़ की फैक्ट्री में 100 लोग काम करते हैं. इंफोसिस में इंजीनियर उनके बड़े भाई भी नौकरी छोड़कर इस व्यवसाय से जुड़ गए. इनका एक्सपोर्ट कारोबार भी है.

नीमच में 1.25 लाख वर्गफीट का परिसर 
सुमित-अनामिका के राजसी वैभव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इनके दादा नाहरसिंह का नीमच कैंट में 1.25 लाख वर्गफीट में अंग्रेजों का बनाया हुआ बड़ा कॉमर्शियल कैंपस है. नीमच सिटी में रहने का बंगला अलग है. सीमेंट कट्टों की फैक्ट्री के साथ कृषि, फाइनेंस आदि बिजनेस से परिवार की आर्थिक, धार्मिक सामाजिक दृष्टि से बड़ी पहचान है.

सुमित राठौर और अनामिका राठौर 23 सितंबर को गुजरात के सूरत में जैन भगवती दीक्षा लेंगे. साधुमार्गी जैन आचार्य रामलाल महाराज के सान्निध्य में यह दीक्षा जैन समाज में एक अनोखा उदाहरण बनने जा रही है.

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Post By Shweta