क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी? क्या है धार्मिक मान्यताएँ और इतिहास

क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी? क्या है धार्मिक मान्यताएँ और इतिहास

क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी? क्या है धार्मिक मान्यताएँ और इतिहास

विवाह पंचमी हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण और पावन पर्व है, जिसे भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को आता है और भारत सहित दुनिया भर में लाखों भक्त इसे श्रद्धा, भक्ति और सादगी के साथ मनाते हैं। विवाह पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि आदर्श दांपत्य, नैतिकता और जीवन के मूल्यों का प्रतीक माना जाता है।

विवाह पंचमी का ऐतिहासिक और धार्मिक आधार

विवाह पंचमी का उल्लेख वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस जैसी प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। रामायण के अनुसार, मिथिला के राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर का आयोजन किया था। स्वयंवर की शर्त थी कि जो भी शिव धनुष को उठाकर उसका प्रत्यंचन चढ़ा देगा, वही सीता से विवाह का अधिकारी होगा। श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र के साथ वहां पहुंचकर धनुष उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय धनुष टूट गया। यही घटना सीता–राम विवाह का आधार बनी।

विवाह पंचमी इसी दिव्य मिलन की स्मृति का दिन है।

क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी?

1. आदर्श दांपत्य का प्रतीक

राम और सीता का विवाह भारतीय संस्कृति में आदर्श दांपत्य का प्रतीक माना जाता है।
उनका जीवन त्याग, मर्यादा, धैर्य और एक-दूसरे के प्रति सम्मान का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

2. धर्म और कर्तव्य का मेल

राम और सीता का विवाह केवल एक व्यक्तिगत मिलन नहीं था, बल्कि धर्म, मर्यादा और कर्तव्य का संगम माना जाता है।
भक्तों के अनुसार यह विवाह मानव जीवन में संतुलन और आदर्शों के पालन का संदेश देता है।

3. सांस्कृतिक एकता और परंपरा

भारत के उत्तर एवं पूर्वी क्षेत्रों—विशेष रूप से बिहार, झारखंड और नेपाल के जनकपुर क्षेत्र—में विवाह पंचमी का विशेष महत्त्व है।
नेपाल के जनकपुरधाम में तो इस दिन बड़े स्तर पर राम–जानकी विवाहोत्सव मनाया जाता है।

4. शुभता और समृद्धि का प्रतीक

पारंपरिक मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है और परिवार में सौहार्द बढ़ता है।
भक्त अविवाहित युवाओं के लिए मंगलमय दांपत्य की प्रार्थना भी करते हैं।

विवाह पंचमी से जुड़े प्रमुख धार्मिक तत्व

1. मिथिला संस्कृति का प्रभाव

मिथिला में यह पर्व सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है।
यहां राम–सीता विवाह बारात, गीत, भजन, नृत्य और परंपरागत रीति-रिवाज़ों के साथ मनाया जाता है।

2. ग्रंथों में वर्णन

वाल्मीकि रामायण के बालकांड में शिव धनुष के टूटने और विवाह की तैयारियों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में इस प्रसंग को अत्यंत सौम्यता और भक्ति के साथ वर्णित किया है।

3. धार्मिक अनुष्ठान

विवाह पंचमी के दिन भक्त:

  • राम–सीता का पूजन करते हैं

  • विवाहोत्सव झांकी सजाते हैं

  • मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं

  • रामायण पाठ किया जाता है

  • जनकपुरधाम और अयोध्या में विशेष समारोह मनाए जाते हैं

विवाह पंचमी और विश्व संस्कृतियों में विवाह का महत्व

दुनिया की कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में विवाह को पवित्र बंधन माना गया है।
हालाँकि विवाह पंचमी विशेषतः हिंदू परंपरा से जुड़ी है, परंतु अन्य धर्मों में भी विवाह के महत्व को समान रूप से देखा गया है।

हिंदू धर्म

विवाह को ‘सप्तपदी’ और ‘फेरों’ के माध्यम से एक पवित्र और धार्मिक दायित्व माना जाता है।

इस्लाम

निकाह को एक पवित्र और सामाजिक अनुबंध कहा गया है, जो दो परिवारों और व्यक्तियों के बीच जिम्मेदारी को सुनिश्चित करता है।

ईसाई धर्म

मसीही परंपरा में विवाह को ईश्वर द्वारा स्थापित पवित्र बंधन बताया गया है, जहाँ दंपति प्रेम और विश्वास से जुड़ते हैं।

बौद्ध धर्म

बौद्ध परंपरा में विवाह धार्मिक अनिवार्यता नहीं, परंतु सामाजिक समरसता और नैतिक जीवन का हिस्सा माना जाता है।

सिख धर्म

गुरु ग्रंथ साहिब के अनुसार ‘लावां’ द्वारा विवाह आध्यात्मिक यात्रा का प्रारंभ माना जाता है।

जैन धर्म

जैन परंपरा में विवाह संयम, नैतिकता और पारिवारिक कर्तव्यों के पालन पर आधारित माना जाता है।

इन सभी दृष्टिकोणों से स्पष्ट होता है कि विवाह पंचमी का संदेश केवल एक ऐतिहासिक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन में प्रेम, सम्मान, समर्पण और धर्म की व्यापक समझ को भी दर्शाता है।

विवाह पंचमी का आधुनिक महत्व

आज के समय में विवाह पंचमी केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता का संदेश भी देती है।

  • इसे परिवार और समाज में स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।

  • युवा पीढ़ी को आदर्श दांपत्य के मूल्य समझाने का अवसर मिलता है।

  • यह पर्व विवाह की पवित्रता, जिम्मेदारियों और परस्पर सम्मान को उजागर करता है।

विवाह पंचमी श्रीराम और माता सीता के मंगल मिलन का स्मरण मात्र नहीं है, बल्कि यह आदर्श दांपत्य, संस्कार, मर्यादा और धर्म के सिद्धांतों का उत्सव है।
वाल्मीकि रामायण में वर्णित इस घटना ने हजारों वर्षों से समाज को यह संदेश दिया है कि विवाह केवल दो व्यक्तियों का संबंध नहीं, बल्कि मूल्य, विश्वास और कर्तव्य से जुड़े जीवनभर के संगम का नाम है।

विवाह पंचमी हमें प्रेम, त्याग, नैतिकता और संतुलन के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देती है—यही इस पर्व का वास्तविक संदेश है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

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