Post Image

क्या रावण आज भी ज़िंदा है? फिर हम रावण दहन क्यों करते हैं?

क्या रावण आज भी ज़िंदा है? फिर हम रावण दहन क्यों करते हैं?

दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन हम रावण, उसके भाई मेघनाद और पुत्र कुंभकर्ण का दहन करते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि क्या रावण आज भी ज़िंदा है? और फिर हम उसे जलाने का प्रतीक क्यों मानते हैं?

रावण, जो कि लंका का राजा था, उसे भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महा विद्वान और महाबली राक्षस के रूप में दर्शाया गया है। रामायण के अनुसार, रावण ने सीता माता का हरण किया था, जिससे भगवान राम ने रावण का वध किया। इसके बाद से दशहरा का त्योहार मनाया जाने लगा।

ऐसा माना जाता है कि रावण का जीवन समाप्त हो गया था, लेकिन उसकी शक्तियों और गुणों की कहानियाँ आज भी जीवित हैं। इसलिए कहा जाता है कि रावण प्रतीक है हमारे अंदर के अहंकार, लालच और बुराई का। यानी रावण का “जन्म” और “मृत्यु” केवल शारीरिक नहीं, बल्कि हमारे अंदरूनी दोषों के प्रतीक हैं।

रावण दहन का मुख्य उद्देश्य यही है कि हम अपने अंदर के बुरे विचारों और कर्मों को जलाएँ और अच्छाई का मार्ग अपनाएँ। इस दिन बड़े-बड़े पुतले बनाकर रावण का दहन किया जाता है। इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। लोग इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखते हैं।

इसके अलावा, रावण एक विद्वान और संगीत प्रेमी भी था। उसने वेद, संगीत और विज्ञान में गहन अध्ययन किया था। इसलिए यह भी समझा जा सकता है कि बुराई और अच्छाई हमेशा साथ रहते हैं। दशहरा हमें यही सिखाता है कि हमें अपनी अच्छाई को मजबूत करना चाहिए और बुराई पर विजय पाना चाहिए।

अंत में, रावण का दहन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। यह हमारे जीवन में बुरे विचारों और अहंकार को जलाने का प्रतीक है। रावण भले ही इतिहास में समाप्त हो गया हो, लेकिन उसके गुण और दोष आज भी हमारे भीतर मौजूद हैं। इसलिए दशहरा हमें याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर भारी होती है।

इसलिए कहा जा सकता है कि रावण आज भी कहीं न कहीं हमारे जीवन में मौजूद है, लेकिन रावण दहन हमें यह प्रेरणा देता है कि हम बुराई को हराकर अच्छाई और सत्य की ओर बढ़ें। यही दशहरा का असली संदेश है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World