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International E-Yoga Conclave : योग का दीप जलता रहें

International E-Yoga Conclave : योग का दीप जलता रहें

  • परमार्थ निकेतन सहित वेबनार में सहभाग करने वाली सभी संस्थाओं ने दीप प्रज्वलित कर किया इन्टरनेशलन ई योग काॅन्क्लेव का शुभारम्भ
  • संयम, समझदारी और आत्म बल ही सबसे बड़ी वैक्सीन 
  • कोरोना तो एक बहाना है योग और आयुर्वेद को बढ़ाना है
  • योग का दीप जलता रहें
  • योेेग का दीप हर महाद्वीप तक पहुंचा – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

परमार्थ निकेतन, 24 मई। आज इन्टरनेशलन ई योग काॅन्क्लेव वेबनार का आयोजन यूथ न्यूज आनलाइन और इन्डियन योग ऐशोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। जिसका शुभारम्भ परमार्थ निकेतन सहित अन्य संस्थाओं ने दीप प्रज्वलित कर किया।

इन्टरनेशनल ई योग काॅन्क्लेव के मुख्य अतिथि परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज तथा डाॅ एच आर नागेन्द्र जी मुख्य वक्ता थे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ’’योग का दीप जलता रहें, योग का दीप हर महाद्वीप तक पहंुचे। पूरे विश्व में आये कोरोना रूपी संकट के विषय में कहा कि कोरोना संकट के कई कारण हो सकते है उसमें से एक दैवीय आपदा का स्वरूप भी हो सकता है। जरूर संकेत हैं. प्रकृति इशारा कर रही है। एक बेजान चीज ने दमदार व्यक्ति को बेजान बना दिया है।

ऐसा दृश्य, ऐसा मंजर, जो कभी सोचा न था वह आज हम सभी के सामने है।  कोरोना संकट से आज पूरी दुनिया दहशत में है। कोरोना एक बेजान और अदृश्य वायरस है यह आर्थिक मंदी तो ला सकता है, हमें आर्थिक रूप से तोड़ सकता है परंतु हमारे मनोबल को नहीं तोड़ सकता। कोरोना का इलाज बस इतना ही है कि जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ रहें। लाॅकडाउन की लक्ष्मण रेखा को पार न करे, घर पर रहें, घर वालों के साथ रहें, सोशल डिस्टेंसिंग रामबाण है, 2 गज की दूरी बहुत ही जरूरी है, नहीं तो सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। कोरोना वायरस बाहर है, बस हमारे मनों और दिलों में वायरस ना हो। पूरी दुनिया के पास कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं है परन्तु संयम, समझदारी और आत्म बल ही सबसे बड़ी वैक्सीन है। योग ध्यान प्राणायाम प्रार्थना की शक्ति है, यह चार बूस्टर है इम्यूनिटी के। स्वामी जी ने कहा कि कोरोना तो एक बहाना है योग और आयुर्वेद को बढ़ाना है। अब आयुर्वेद की बारी इस ओर हम सभी को मिलकर काम करना होगा और कोरोना टू करूणा की ओर बढ़ना होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोरोना प्रकृति का राजदूत बनकर आया है। वर्तमान समय में देखेे तो माँ गंगा मुस्करा रही है, लाॅकडाउन के पूर्व प्रकृति, माँ गंगा और धरती माता का स्वरूप देखें मानो गंगा स्वयं स्वच्छता के गीत गा रही हो, गुनगुना रही हो, मछलियां और डाॅल्फिन डुबकी लगा रही है। स्वामी जी ने कहा कि लाॅकडाउन के पश्चात, रास्ते खुल जाये, जब सारी स्थिति सामान्य हो जायेगी तब श्रद्धालु कोरोना ज्ञान के बाद गंगा स्नान करें, देखें अपनी गंगा मां को और लें संकल्प की गंगा ऐसे ही बहते रहेगी। माँ गंगा ने अपना संदेश दे दिया कि प्रकृति के अनुसार जियें। माँ गंगा ने कह दिया कि मुझे तुम्हारी नहीं बल्कि तुम्हें मेरी जरूरत है।

स्वामी जी ने कहा कि आज की काॅन्क्लेव यूथ आनलाइन है, सच तो यह है कि अगर हमारे देश का यूथ लाइन  पर आ गया तो मानो काम बन गया। योग इसमें बहुत ही उपयोगी और सहयोगी हो सकता है। योग एक बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है। योग ही आज की सभी समस्याओं का समाधान है; उत्तर है। योग एक वैज्ञानिक विधा है; योग सभी के लिये हैं।

स्वामी जी ने कहा कि यह भारत का सौभाग्य है कि ऐसे योगी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अपने पास है, खुद इतने व्यस्त होते हुये भी अपने दिन की शुरूआत योग से करते हैं इसीलिए योग करो, रोज करो, मौज करो। करो योग रहो निरोग, खासकर इस कोरोना के समय में योग बहुत उपयोगी हो सकता है।

इन्टरनेशनल ई योग काॅन्क्लेव वाइस प्रेसिडेेंट इण्डियन योग एशेसिएशन श्री सुबोध तिवारी, सेक्रेटरी जनरल इण्डियन योग एशेसिएशन कमलेश बरवाल, संस्थापक योग विद्या धाम, श्री विश्वास मंडलिक जी, डाॅ आनन्द बालयोगी जी, डाॅ एस पी मिश्र जी, नन्दिनी त्रिपाठी जी, प्रो आर बी शर्मा जी, डाॅ ईश्वर भारद्वाज जी, डाॅ अल्का नतु जी, डाॅ विनिता जी, डाॅ चारू जी, शगुन जी, तनुज जी, गौरव जी , हिमाशु जी की गौरवमयी उपस्थति में यह वेबनार सम्पन्न हुआ।

Post By Religion World