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Interfaith Session : Refreshing Humanitarian Action: Role of interfaith organizations in changing Humanitarian landscape

Interfaith Session : Refreshing Humanitarian Action: Role of interfaith organizations in changing Humanitarian landscape

  • रिफ्रेशिंग हृाूमैनिटेरियन एक्शन कॉंफ्रेस में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने किया सहभाग
  • सिक्ख कौम एक अद्भुत; बहादूर; ईमानदार और वफादार कौमस्वामी चिदानन्द सरस्वती 
  • मानवता की रक्षा के लिये विभिन्न धर्मो के संगठनों की भूमिका पर विशद चर्चा
  • इन्डिया हैबिटैट सेंटर दिल्ली में हुआ भव्य आयोजन

ऋषिकेश, 27 अक्टूबर। इन्डिया हैबिटैट सेंटर दिल्ली में मानवता की रक्षा के लिये विभिन्न धर्मो के संगठनों की भूमिका हेतु Refreshing Humanitarian Action Conference का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें एस मंजीत सिंह जीके, प्रेसिंडेट-डीएसजीएमसी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, जर्नी इण्लैंड रेडक्रास क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडल प्रमुख आईसीआरसी, प्रोफेसर अख्तरूल वसी जी अध्यक्ष मौलाना आजाद विश्व विद्यालय जोधपुर, बिशप थियोडोर मस्करेनहास, आचार्य लोकेश मुनि, ब्रह्मकुमारी डाॅ बिन्नी सरीन, डाॅ जसपाल सिंह, श्री एके मर्चेंट जी, बहाई धर्म से, श्री भिक्खु संघसेना जीगोस्वामी सुशील जी महाराज और विभिन्न धर्मो के धर्मगुरूओं ने सहभाग किया। मानवता के विषय में तथा विश्व में शान्ति स्थापित करने की प्रथम जरूरत बताते हुये सभी ने अपने विचार व्यक्त किये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गुरू ग्रन्थ साहब में कहा गया है कि ’’मानस की जात सभै एक हि पहचानिये’’ अर्थात मानवमानव एक समान सब के भीतर है भगवान। यह पहला सूत्र है एकदूसरे से कनेक्टिविटी का; इनसानियत का; मानवता का कि हम सब एक साथ चले, मानवता के लिये सोचे और एक होकर रहे और चले। स्वामी जी ने कहा कि हमेंसंगत और पंगतपर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। ना कोई ऊंचा ना कोई नीचा, ना कोई छोटा ना कोई बड़ा, ना कोई जात ना कोई पात क्योकि हम सब एक ही उत्पाद है प्रभु के। हमारा निर्माता और सृजनकर्ता भी एक है तो फिर हमारे बीच भेदभाव कैसा इसलियेजातपात पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि का होईइस भाव से आगे बढ़े। स्वामी जी महाराज ने कहा किइक नूर तो सब जगह उपजया कौन भले कौन मंदेअर्थात सब एक ही ज्योति से प्रकट् है, एक ही प्रकाश से प्रकाशित है और सब एक ही परमात्मा की संतान है, सब एक ही परिवार के सदस्य है। उन्होने कहा कि मेरातेरा, छोटाबड़ा ये सारे विचार और विकारों को अपने से दूर कर दे क्योकि यह भी एक मानसिक बीमारी है इसे दूर करते हुये समाज में सकारात्मक विकास करे। स्वामी जी ने कहा कि यहअहम से वयंम् की यात्राहै; आई से व्ही की यात्रा है; मैं से हम की यात्रा है। संगत की बात करते हुये कहा कि सब साथ साथ सत्संग करे। सभी साथसाथ पंगत में बैठे तो भेदभाव मिट जायेगा। उन्होने कहा कि लंगर की परम्परा अद्भुत परम्परा है जिससे समानाता और समरसता का विकास होता है आज इस पर जोर देने की अवश्यकता है। गुरू गोविंद सिह जी ने पांच प्यारे बनाये और उस समय जो विष था जातपात का उससेे उबरने की कोशिश की उन्होने सब को साथ लेकर सबका साथसबका विकास पर जोर दिया यही बात भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी कही है। स्वामी जी ने पांच सकार पर ध्यान देने की बात कही संगत, सत्संग, सेवा, स्मरण और समर्पण। 

स्वामी जी महाराज ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह जी के गुरू पुत्रों का बलिदान, पिता का बलिदान, माता का बलिदान यह अद्भुत संदेश है कि राष्ट्र के लिये; धर्म के लिये अपने परिवार का भी बलिदान करने को तैयार रहे। दूसरा उन्होने कहा कितेरा भाणा मीठा लागेअर्थात जो प्रभु की इच्छा है, ’तेरी मर्जी मेरी मर्जी इसमें अपने जीवन को लगा लेना, राजी है हम उसी मंे जिसमें तेरी रज़ा है यहां यूं भी वाहवाह है वूं भी वाहवाह है।

स्वामी जी ने कहा कि एक महत्वपूर्ण बात हैपवन गुरू, पाणी पिता, माता धरत महतअर्थात जलवायु परिवर्तन और प्रकृति की रक्षा। पवन को गुरू माना उस पर शुरू से ध्यान दिया, पवन की बिना कोई भी जीवित नहीं रहा सकता और हम उसी को प्रदूषित कर देंगे तो जीवित कैसे रहेंगे। वर्तमान युग में भी इस सूत्र को अपनाया होता तो वायु प्रदूषण नहीं होता। पाणी, जल तो पिता की तरह है उसे पिता की तरह आदर करो उसे प्रदूषित न होने दो। उन्होने कहा कि पानी नहीं होगा तो सम्मेलन नहीं होंगे, ’नो वाॅटर नो ट्री; नो वाॅटर नो पीस उन्होने वाॅटर शरणार्थियों की बात करते हुये कहा कि पहले युद्ध शरणार्थी होते है परन्तु जिस गति से वाॅटर प्रदूषित हो रहा है उससे लगता है अब वाॅटर शरणार्थियों की संख्या भी बढ़ने वाली है।

स्वामी जी महाराज ने कहा कि रेडक्रास और अन्य सारी संस्थायें जिन्होने यह विलक्षण कार्य किया है वह अद्भुत है। उन्होने कहा कि सिक्खों का बलिदान देश का स्वाभिमान है; देश की शान और देश का मान है। सिक्ख कौम एक अद्भुत, बहादुर, ईमानदार और वफादार कौम है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि नोट बंदी हुयी परन्तु लंगर बंदी नहीं हुयी लंगर सब के लिये हमेशा चलते रहे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने रेडक्रास के प्रतिनिधियों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

इस अवसर पर प्रो मनोज सिन्हा, डाॅ संगीता टाॅक, गौरव यादव, कनिका जामवाल, सुगन्धा, मदेहा माजीद, एस जसविन्द्र सिंह, डाॅ अनुराधा जी और अन्य अतिथियों ने सहभाग किया।

रिफ्रेशिंग हृाूमैनिटेरियन एक्शन कंाफ्रेस सत्र का शुभारम्भ एस मंजीत सिंह, यूके प्रेसिंडेट डीएसजीएमसी, सभी अतिथियों का वेलकम मि जर्नी इण्लैंड क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडल प्रमुख आईसीआरसी न्यू दिल्ली, सुरिन्द्र सिंह ओबेराय ने सभी अतिथियों का अभिनन्दन किया।

Post By Religion World