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कैसे पर्यावरण की रक्षा करती है हरियाली अमावस्या ?

कैसे पर्यावरण की रक्षा करती है हरियाली अमावस्या ?

हिन्दू धर्म में अमावस्या का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। 23 जुलाई 2017 को हरियाली अमावस है। जिसका सीधा संबंध प्रकृति की रक्षा से है। इस दिन पेडो़ं की पूजा, वृक्षारोपण की परंपरा सदियों से जारी है। हिंदू धर्म में प्रकृति को बचाने और सिंचित करने के लिए हर वस्तु में दिव्यता का भाव दिया गया है। इससे जनमानस उनके प्रति आदर का भाव रखता है और उनके लिए एक खास दिन का निर्माण भी किया गया है।

क्यों होता हैं हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का अधिक महत्व ?

शास्त्रों में कहा गया है कि एक पे़ड दस पुत्रों के समान होता है। पे़ड लगाने के सुख बहुत होते है और पुण्य उससे भी अधिक। क्योंकि यह “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना पर आधारित होते है। वृक्ष सदा उपकार की खातिर जीते है।

जानिए वृक्षों में किन देवी- देवताओं का वास होता हैं?

धार्मिक मान्यता अनुसार वृक्षों में देवताओं का वास बताया गया है। शास्त्र अनुसार पीपल के वृक्ष में त्रिदेव याने ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है। इसी प्रकार आंवले के पे़ड में लक्ष्मीनारायण के विराजमान की परिकल्पना की गई हैं।

हमारी धर्म संस्कृति में वृक्षों को देवता स्वरूप माना गया है। मनु-स्मृति के अनुसार वृक्ष योनि पूर्व जन्मों के कमों के फलस्वरूप मानी गयी है। परमात्मा द्वारा वृक्षों का सर्जन परोपकार एवं जनकल्याण के लिए किया गया है।

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पीपल- हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि पीपल के वृक्ष में अनेकों देवताओं का वास माना गया है। पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढाने से पितृ तृप्त होते है तथा शनि शान्ति के लिये भी शाम के समय सरसों के तेल का दिया लगाने का विधान है। केला- केला, विष्णु पूजन के लिये उत्तम माना गया है। गुरूवार को बृहस्पति पूजन में केला का पूजन अनिवार्य हैं। हल्दी या पीला चन्दन, चने की दाल, गु़ड से पूजा करने पर विद्यार्थियों को विद्या तथा कुँवारी कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

इसलिए हरियाली अमावस्या के दिन केले का पौधा जरूर लगायें।

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बड़ –  बड वृक्ष की पूजा सौभाग्य प्राप्ति के लिये की जाती है। जिस प्रकार सावित्री ने बड़ की पूजा कर यमराज से अपनी पति के जीवित होने का वरदान मांगा था। उसी प्रकार सौभाग्यवती स्त्रयां अपने पति की लम्बी उम्र की कामना हेतु यह व्रत करके बड़ वृक्ष की पूजा एवं सेवा करती है।

तुलसी- तुलसी एक बहुश्रूत, उपयोगी वनस्पति है। स्कन्दपुराण एवं पद्मपुराण के उत्तर खण्ड में आता है कि जिस घर में तुलसी होती है वह घर तीर्थ के समान होता है। समस्त वनस्पतियों में सर्वाधिक धार्मिक, आरोग्यदायिनी एवं शोभायुक्त तुलसी भगवान नारायण को अतिप्रिय है।

जानिए पौधा रोपण हेतु ज्योतिषीय मुहूर्त

पौधा रोपण हेतु ज्योतिष के अनुसार नक्षत्रों का महत्व है। उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तरा भाद्रपदा, रोहिणी, मृगशिर, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मूल, विशाखा, पुष्य, श्रवण, अश्विनी, हस्त इत्यादि नक्षत्रों में किये गये पौधारोपण शुभ फलदायी होते है।

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ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री
उज्जैन (मध्यप्रदेश)


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