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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर महारास के जरिए धर्म में नारी की महत्ता

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर महारास के जरिए धर्म में नारी की महत्ता

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर महारास का महाआयोजन
  • दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने धर्म में नारी की महत्ता को अध्यात्मिक तरीके से स्थापित किया

श्री कृष्ण-एक परिवर्तनकारी युगपुरुष जिनकी क्रांति में भी शांति के छंद थे, विध्वंस में भी महा-सृजन का उद्घोष था। जिन्होंने महाभारत में महान-भारत का चित्र गढ़ा। जिनकी लीलाओं में था अध्यात्म का सरसतम सार और सामाजिक परिवर्तन का दिव्य शंखनाथ। ऐसे युगांतकारी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर सर्वश्री आशुतोष महाराज की प्रेरणा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन किया। बाहरी दिल्ली के कंझावला-कुतुब रोड स्थित पंजाब खोड़ गांव के दिव्य धाम में श्रीकृष्ण और गोपियों के महारास के जरिए न केवल उसके आध्यात्मिक रहस्यों को समझाया गया, बल्कि धर्म में नारी की महत्ता को बड़े ही प्रबल तरीके से स्थापित किया गया।

समाज में आज भी कई जगहों पर नारी का प्रवेश वर्जित है, ऐसे में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के चरित्र के जरिए धर्म में नारी की महत्ता को रेखांकित किया। वास्तव में समाज इसे एक त्यौहार मानकर मना लेता है, लेकिन हर सनातनी त्यौहार के पीछे के वास्तविक उद्देश्यों को प्रकट करने से वह चूक जाता है। सर्वश्री आशुतोष महाराज ने अपने शिष्यों को हर पर्व के पीछे की वैज्ञानिकता को समझाया है, जिसका प्रस्फूटन आज की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में भी देखने को मिला।

श्रीकृष्ण की हर लीला में कई अध्यात्मिक रहस्य छुपे हैं, जिससे आम जन अनजान है। ऐसे लीलाधर के लीला रहस्यों को बड़े ही सरल तरीके से मंचित किया गया। मंदिरों में नारी का प्रवेश, भ्रूण हत्या, नारी सशक्तिकरण और नारी के सम्मान जैसे विषय को श्रीकृष्ण की कथाओं के मंचन से बड़े ही खूबसूरत तरीके से सर्वश्री आशुतोष महाराज के शिष्यों ने प्रस्तुत किया। आशुतोष महाराज का मानना है कि श्रीकृष्ण साक्षात् ब्रह्म हैं और उन्होंने अपने समय से आगे जाकर समाज के उन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया, जिसके प्रति आज भी समाज में अनेक तरह की वर्जनाएं मौजूद हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने एक नहीं, अनेक लीलाओं का मंचन किया और हर लीला में आज के संदर्भ का संदेश छुपा था।

कार्यक्रम में श्रीकृष्ण भगवान के अवतरण से लेकर उनके प्रमुख लीलाओं का मंचन और उसके अंदर छुपे संदेश को कुछ इस प्रकार प्रकट किया गया।

  1. श्रीकृष्ण अवतार

भारत ही वह धरती है, ईश्वर ने बार-बार अवतार लिया है। ईश्वर अवतार क्यों लेते हैं? अवतार का उद्देश्य क्या है? इस विषय पर वैदिक, वैज्ञानिक और वास्तविक रूप से मंचन ओर विवेचना की गयी।

  1. मटकी फोड़

श्रीकृष्ण की बाल लीला का प्रस्तुतीकरण किया गया। किस प्रकार मटकी फोड़ कर भगवान कृष्ण और उनके बाल सखाओं ने मथुरा द्वारा किए जा रहे दमन का विरोध किया था। उन्होंने माखन की मटकी फोड़ कर यह प्रदर्शित किया था कि गोकुल के ग्ववाल-बाल अगर कुपोषित हैं तो वह गोकुल के माखन को मथुरा के राज-दरबार में जाने नहीं देंगे। इस पर पहला अधिकार गोकुल के बालकों का है।

  1. महारास

आध्यात्मिकता से सराबोर वास्तविक महारास के रहस्यों के मंचन ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। श्रीकृष्ण की विरह में व्याकुल गोप एवं गोपिकाओं के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया गया कि जब तक उस वह ईश्वर को अपने भीतर तत्व से नहीं जानेंगे वह उस परमात्मा का स्थायी सनीद्ध्य प्रपट नहीं कर पाएंगे। आत्मिक चेतना का ईश्वरीय तत्व से योग ही महारास है। इसमे प्रधानता आत्मा की है; स्त्री अथवा पुरुष होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। आध्यात्मिक ज्ञान पर सभी का अधिकार है।

  1. पोंड्रिक और वासुदेव की कहानी

इस सुंदर मंचन के जरिए समझाया गया कि वास्तव में ईश्वर की पहचान कैसे किया जाए? कैसे पाखंडी और लालची लोग स्वयं को ईश्वर सिद्ध करने का प्रयास करते हैं, लेकिन सत्य तो उद्घाटित होकर ही रहता है। ईश्वर और ईश्वर की प्रभुता स्वयं प्रकट हो जाती है और पाखंडियों की कलई खुल जाती है।

  1. भगवान श्रीकृष्ण का गोकुल से प्रस्थान और गोपियों का विरह

भगवान और भक्त के बीच प्रेम को दर्शाते इस मंचन को देखकर दर्शक भाव-विह्वल हो उठे। अपने अराध्य से बिछड़ना एक भक्त के लिए कितनी पीड़ादायक होता है, लेकिन यह उद्देश्य सिद्धि के लिए बेहद अनिवार्य होता है।

  1. मीरा की भक्ति और उनका क्रांतिकारी रूप

भक्त मीरा ने नारी होकर भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम में समाज की जड़ताओं को किस प्रकार तोड़ा, यही इस मंचन का सार था। धर्म के क्षेत्र में महिलाओं के अधिकार को पुनः स्थापित करने के लिए हर नारी को मीरा बनने की आवश्यकता है। एक नारी सामाजिक जकड़न से निकल कर किस तरह भक्ति से परमात्मा को पा सकती है, यही है मीरा बाई की कहानी।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के भव्य कार्यक्रम में लगभग 40,000 हज़ार श्रधालुओं ने भाग लिया। विशिष्ट अतिथियों में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष श्री दुष्यंत कुमार गौतम, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय, प्रदेश महामंत्री श्री कुलजीत चहल एवं संघ के क्षेत्रीय प्रान्त प्रचारक व भाजपा नेता श्री सिद्धार्तन जी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की।

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