गणेश चतुर्थी 2025: विघ्नहर्ता गणपति बप्पा के स्वागत की अनोखी परंपरा
गणेश चतुर्थी, भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारतवर्ष में अपार श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता, बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता माना गया है। मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी का नाम लिए बिना अधूरी रहती है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह महापर्व मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी बुधवार, 27 अगस्त 2025 को धूमधाम से मनाई जाएगी।
चतुर्थी तिथि और पूजन मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, इस वर्ष चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 अगस्त की दोपहर 02:28 बजे से होगा और यह 27 अगस्त की दोपहर 03:15 बजे तक चलेगी। परंपरा के अनुसार, गणेश चतुर्थी का मुख्य पूजन 27 अगस्त को मध्याह्न 11:00 बजे से 01:30 बजे तक करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसी समय भगवान गणेश का आह्वान कर मूर्ति स्थापना की जाती है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भक्ति, समाज और संस्कृति का अद्भुत संगम है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन गणेश जी की उपासना करने से जीवन से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति का वास होता है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में यह पर्व अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन प्रदेशों में पंडालों में विशाल गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है, जहां दस दिनों तक कीर्तन, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
पूजन विधि और परंपरा
गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः स्नान के पश्चात घर और मंदिरों को स्वच्छ व पवित्र किया जाता है। शुभ मुहूर्त में गणेश जी की प्रतिमा को लाल वस्त्र पर स्थापित किया जाता है। स्थापना के समय “ॐ गणपतये नमः” या “श्री गणेशाय नमः” मंत्र का उच्चारण किया जाता है। पूजा में दूर्वा (तीन पत्तियों वाली घास), लाल फूल, मोदक, लड्डू, अक्षत और धूप-दीप का विशेष महत्व है।
भक्त गणपति बप्पा की आरती करते हैं और उनसे विघ्न विनाशक, सुख-संपत्ति और बुद्धि की वृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि गणपति बप्पा को मोदक अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए हर घर में इस दिन विशेष रूप से मोदक का भोग लगाया जाता है।
उत्सव की अवधि और विसर्जन
गणेश चतुर्थी का पर्व दस दिनों तक चलता है। भक्तगण प्रतिदिन आरती और भजन-कीर्तन कर वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। अंततः भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इस दिन गणपति से अगली बार जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है –
“गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!”
गणेश चतुर्थी हमें यह सिखाती है कि जीवन में किसी भी नई शुरुआत से पहले विघ्नहर्ता गणेश का स्मरण करना क्यों आवश्यक है। यह पर्व केवल मूर्ति स्थापना या विसर्जन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें परिवार, समाज और राष्ट्र को एकजुट करने की अद्भुत शक्ति छिपी है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो