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पुष्य नक्षत्र : 31 अक्टूबर : दीपावली के पहले सबसे शुभ योग

पुष्य नक्षत्र : 31 अक्टूबर : दीपावली के पहले सबसे शुभ योग

दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ होता है। इस बार 31 अक्टूबर को बुध पुष्य का शुभ योग बन रहा है। इसे खरीदारी का महामुहूर्त भी कहते हैं। उज्जैन के ज्योतिषचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार, धनतेरस और दिवाली के लिए लोग बाजार में पुष्य नक्षत्र के संयोग में ही सबसे अधिक खरीदारी करते हैं।

पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग सर्वगुण संपन्न, भाग्यशाली तथा विशेष होते हैं। दिखने में यह सुंदर, स्वस्थ, सामान्य कदकाठी के तथा चरित्र में विद्वान और बोलचाल में चतुर होते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग जनप्रिय और नियम पर चलने वाले होते हैं तथा खनिज पदार्थ, पेट्रोल, कोयला, धातु, पात्र, खनन संबंधी कार्य, कुएं, ट्यूबवेल, जलाशय, समुद्र यात्रा, पेय पदार्थ आदि में क्षेत्रों में सफलता हासिल करते हैं।

प्राचीन काल से ही ज्योतिषी 27 नक्षत्रों के आधार पर गणनाएं कर रहे हैं। इनमें से हर एक नक्षत्र का शुभअशुभ प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है। नक्षत्रों के इन क्रम में आठवें स्थान पर पुष्य नक्षत्र को माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु बहुत लंबे समय तक उपयोगी रहती है तथा शुभ फल प्रदान करती है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थाई होता है। 

पुष्य को नत्रक्षों का राजा भी कहा जाता है। यह नक्षत्र सप्ताह के विभिन्न वारों के साथ मिलकर विशेष योग बनाता है। इन सभी का अपना एक विशेष महत्व होता है। रविवार, बुधवार व गुरुवार को आने वाला पुष्य नक्षत्र अत्यधिक शुभ होता है। ऋग्वेद में इसे मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता, आनंद कर्ता एवं शुभ कहा गया है।

पुष्य नक्षत्र मंगलवार से बुधवार तक रहेगा। इस बार बुध पुष्य का महा योग बना रहा है। साथ ही आनंदादि मातंग योग के महामुहूर्त की साक्षी में बुध पुष्य नक्षत्र आरंभ होगा। यह सुयोग मंगलवार शाम 17 बजकर 10 मिनट बजे से पुष्य नक्षत्र का योग बुधवार देर रात 03 बजकर 30 मिनिट (गुरुवार सुबह) तक रहेगा

दीपावली से पहले बुध पुष्य नक्षत्र का संयोग 10 साल बाद बना है।

उन्होंने बताया कि ऐसा अगला संयोग 7 साल बाद 2025 में बनेगा तब 15 अक्टूबर 2025 को पुन: बुध पुष्य नक्षत्र योग बनेगा।

ध्यान रखें, बुध पुष्य नक्षत्र में की गई खरीदी स्थायी समृद्धि प्रदान करने वाली मानी जाती है। इस दिन भूमि, भवन, वाहन, सोना, चांदी, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद सहित हर प्रकार की खरीदी शुभफल प्रदान करेगी। पं. अंकित मार्कण्डेय के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी पर बुधवार के दिन पुष्य नक्षत्र साध्य योग, वह बवकरण के साथ आ रहा है। बुधवार के दिन पुष्य नक्षत्र का होना बुध पुष्य कहलाता है। इस नक्षत्र को महामुहूर्त कहा गया है। इस दिन खरीदी शुभफल प्रदान करती है। इस बार बुधपुष्य और भी खास है, क्योंकि महामुहूर्त को सर्वार्थसिद्धि योग की साक्षी मिल रही है। इससे इसकी शुभता कई गुना बढ़ गई है।

हिंदू पंचांग के हर महीने में अपने क्रम के अनुसार विभिन्न नक्षत्र चंद्रमा के साथ संयोग करते हैं। जब यह क्रम पूर्ण हो जाता है तो उसे एक चंद्र मास कहते हैं। इस प्रकार हर महीने में पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बनता है। दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि दीपावली के लिए की जाने वाली खरीदी के लिए यह विशेष शुभ होता है जिससे कि जो भी वस्तु इस दिन आप खरीदते हैं वह लंबे समय तक उपयोग में रहती है। 

नक्षत्रों के संबंध में एक कथा भी हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती है। उसके अनुसार ये 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं हैं, इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा के साथ किया था। चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पतिपत्नी के निश्चल प्रेम का ही प्रतीक स्वरूप है। इस प्रकार चंद्र वर्ष के अनुसार, महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है।

पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं जो सदैव शुभ कर्मों में प्रवृत्ति करने वाले, ज्ञान वृद्धि एवं विवेक दाता हैं तथा इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि शनि हैं जिसेस्थावरभी कहते हैं जिसका अर्थ होता है स्थिरता। इसी से इस नक्षत्र में किए गए कार्य चिर स्थायी होते हैं। 

इस बार 31 अक्टूबर बुधवार को पुष्य नक्षत्र है। इस दिन खरीदारी, भूमि पूजन, लेनदेन करना शुभ माना जाता है। यह 28 नक्षत्रों में 8वां नक्षत्र है और 12 राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। पुष्य नक्षत्र के सभी चरणों के दौरान चंद्रमा अन्य किसी राशि का स्वामी नहीं है, इसलिए पुष्य नक्षत्र को सुखशांति व धनसंपत्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों का राजा है।

दीपावली से पहले पुष्य नक्षत्र का आना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसमें बाजारों में जमकर खरीदी की जाती है। साथ ही इस दिन धन की पूजा करने का भी विधान है। दीपावली से पहले इस बार पुष्य नक्षत्र 31 अक्टूबर, बुधवार को आ रहा है। चूंकि पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं और इस बार यह भगवान श्रीगणेश के दिन बुधवार को आ रहा है, इसलिए यह विशेष शुभकारक योग का निर्माण कर रहा है।

पुष्य नक्षत्र 30 अक्टूबर रात 3 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर 31 अक्टूबर की रात 2 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। बुधवार को पुष्य नक्षत्र का संयोगमातंग योगबनाता है। यह योग वंश वृद्धि के लिए शुभ माना गया है।

इस दिन सोने की खरीदारी का है अधिक महत्व 

पुष्य नक्षत्र में सोने की खरीदारी का अधिक महत्व है। लोग इस दिन सोने इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है । यह नक्षत्र स्वास्थ्य के लिए भी विशेष महत्व रखता है।पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है।

जानिए क्या करें इस दिन

पुष्य नक्षत्र मां लक्ष्मी का अत्यंत प्रिय नक्षत्र है। इसमें मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए अनेक उपाय किए जाते हैं।

इस दिन मुहूर्त में भवन, भूमि, वाहन, आभूषण सहित अन्य खरीदारी करना श्रेष्ठ होता है।इस योग में खरीदी गईं वस्तुएं लंबे समय तक चलती हैं व शुभ फल प्रदान करती हैं।

31 अक्टूबर को प्रात: 6.30 से 9.21 बजे के बीच महालक्ष्मी मंदिर में जाकर देवी को 108 गुलाबकेपुष्पअर्पितकरें।इससेघरमेंस्थायीलक्ष्मीकावासहोगा।

पुष्य नक्षत्र में दूध और चावल की खीर बनाकर चांदी के पात्र में लक्ष्मी को भोग लगाने से अष्टलक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

पुष्य नक्षत्र में श्रीसूक्त के 108 पाठ करने से जीवन के आर्थिक संकटों का नाश होता है और सुखसौभाग्य प्राप्त होता है। 👉🏻👉🏻वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और खुशहाली के लिए पुष्य नक्षत्र में शिव परिवार का विधिविधानसेपूजनकरें।

विवाह में बाधा आ रही है तो पुष्य नक्षत्र में बृहस्पति देव के निमित्त कन्याओं को बेसन के लड्डू का वितरण करें।

भगवान श्रीगणेश को 1008 दुर्वांकुर अर्पित करने से सुखसौभाग्य, वैभवऔरज्ञानकीप्राप्तिहोतीहै।

विद्या बुद्धि की प्राप्ति के लिए पुष्य नक्षत्र के दिन चांदी के पात्र से दूध का सेवन करें।

भगवान गणेश जी के दिन बुधवार को पुष्य नक्षत्र के शुभयोग में सोने से निर्मित आभूषण खरीदने से देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और दिवाली तक उनके आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है।

पुष्य नक्षत्र में चांदी या इससे निर्मित आभूषण, बर्तन, पूजन सामग्री, शुभ प्रतीक आदि खरीदने से घर में बरकत बनी रहती है। आज के दिन पन्ना, हीरा, पुखराज, नीलम, मोती आदि रत्न खरीदने से यह भविष्य में बड़ा लाभ प्रदान करते हैं।

इस शुभयोग में दो व चार पहियावाले वाहन खरीदे जा सकते हैं। इस दिन खरीदे गए वाहन लंबे समय तक चलते हैं।यह अपने साथ अन्य शुभ संयोग भी लेकर आते हैं।

इस खास योग में मकान, प्लॉट व फ्लैट खरीदना भी शुभ होता है। इससे स्थायी संपत्ति में दिन दूनी रात चार चौगुनी वृद्धि होती है।

इस योग में पीतल, तांबे अथवा कांसे के बर्तनों की खरीदी करना भी शुभ होता है।

पुष्य नक्षत्र में सोने की खरीदारी का अधिक महत्व है। लोग इस दिन सोने इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है। यह नक्षत्र स्वास्थ्य के लिए भी विशेष महत्व रखता है।

पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है।

धन निवेश करने के लिए पुष्य नक्षत्र का दिन अत्यंत शुभ है।

पुष्य नक्षत्र अपने आप में अत्यधिक प्रभावशील एवं मानव का सहयोगी माना गया है। पुष्य नक्षत्र शरीर के अमाशय, पसलियां व फेफड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। पुष्य नक्षत्र शुभ ग्रहों से प्रभावित होकर इन अंगों को दृढ़, पुष्ट तथा निरोगी बनाता है। जब यह नक्षत्र दुष्ट ग्रहों के प्रभाव में होता है तब इन अंगों को बीमार व कमजोर करता है।

  • ज्योतिषचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री
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