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चंद्र ग्रहण : 31 जनवरी 2018 : कब, क्यों, कैसे ओर किस राशि पर क्या होगा इस ग्रहण का प्रभाव

चंद्र ग्रहण : 31 जनवरी 2018 : कब,क्यों, कैसे ओर किस राशि पर क्या होगा इस ग्रहण का प्रभाव

चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने को ही चन्द्र ग्रहण कहते हैं। चंद्र ग्रहण तब होता है, जब सूर्य व चन्द्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार से आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है। इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों के चन्द्रमा तक पहुँचने में अवरोध लगा देती है तो पृथ्वी के उस हिस्से में चन्द्र ग्रहण नज़र आता है। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चन्द्र ग्रहण केवल पूर्णिमा की रात्रि को घटित हो सकता है। 31 जनवरी 2018 को इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण घटित होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत समेत विश्व के कई देशों में देखा जाएगा। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण का असर हम सभी की राशि पर पड़ता है। जिससे हमारे जीवन में कई तरह के बदलाव आते हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस नए वर्ष 2018 में दो चंद्रग्रहण व तीन सूर्य ग्रहण होंगे। सौर मंडल का प्रमुख ग्रह चंद्रमा सदी के पहले ग्रहण के रूप में 31 जनवरी को दिखाई देगा। दूसरा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को होगा। वहीं तीन सूर्य ग्रहण भी होंगे, लेकिन यह भारत में नहीं दिखाई देंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 31 जनवरी को पहला चंद्र ग्रहण पुष्य, अश्लेषा नक्षत्र एवं कर्क राशि में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बुधवार के दिन होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार ग्रहण की काली छाया शाम 5.18 बजे चंद्रमा को स्पर्श पर लेगी। इसके बाद 6.22 बजे खग्रास काल प्रारम्भ होगा, जो ग्रहण के मोक्ष काल 8.41 बजे तक रहेगा। पूरा ग्रहण 3 घंटे 23 मिनट का रहेगा। 

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भारत में यह चन्द्र ग्रहण आसाम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, पूर्वी पश्चिम बंगाल में चंद्रोदय के बाद शुरू होगा। देश के बाकी हिस्सों में ग्रहण चंद्रोदय से पहले आरंभ हो जाएगा, अर्थात ग्रस्तावस्था रूप में दिखाई देगा यह चन्द्र ग्रहण आस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी अमेरिका में भी ग्रहण दिखाई देगा।

सूर्य संपूर्ण जगत की आत्मा का कारक ग्रह है। वह संपूर्ण चराचर जगत को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है इसलिए कहा जाता है कि सूर्य से ही सृष्टि है। अतः बिना सूर्य के जीवन की कल्पना करना असंभव है। चंद्रमा पृथ्वी का प्रकृति प्रदत्त उपग्रह है। यह स्वयं सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होकर भी पृथ्वी को अपने शीतल प्रकाश से शीतलता देता है। यह मानव के मन मस्तिष्क का कारक व नियंत्रणकर्ता भी है। सारांश में कहा जा सकता है कि सूर्य ऊर्जा व चंद्रमा मन का कारक है। सामान्य दिन के मुकाबले चंद्र ग्रहण में किया पुण्यकर्म एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता।

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राहु-केतु इन्हीं सूर्य व चंद्र मार्गों के कटान के प्रतिच्छेदन बिंदु हैं जिनके कारण सूर्य व चंद्रमा की मूल प्रकृति, गुण, स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है। यही कारण है कि राहु-केतु को हमारे कई पौराणिक शास्त्रों में विशेष स्थान प्रदान किया गया है। राहु की छाया को ही केतु की संज्ञा दी गई है। राहु जिस राशि में होता है उसके ठीक सातवीं राशि में उसी अंशात्मक स्थिति पर केतु होता है। मूलतः राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं के संपात बिंदु हैं जिन्हें खगोलशास्त्र में चंद्रपात कहा जाता है।

ज्योतिष के खगोल शास्त्र के अनुसार राहु-केतु खगोलीय बिंदु हैं जो चंद्र के पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने से बनते हैं। राहू-केतू द्वारा बनने वाले खगोलीय बिंदु गणित के आधार पर बनते हैं तथा इनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। अतः ये छाया ग्रह कहलाते हैं। छाया ग्रह का अर्थ किसी ग्रह की छाया से नहीं है अपितु ज्योतिष में वे सब बिंदु जिनका भौतिक अस्तित्व नहीं है, लेकिन ज्योतिषीय महत्व है, छाया ग्रह कहलाते हैं जैसे गुलिक, मांदी, यम, काल, मृत्यु, यमघंटक, धूम आदि। ये सभी छाया ग्रह की श्रेणी में आते हैं और इनकी गणना सूर्य व लग्न की गणना पर आधारित होती है। ज्योतिष में छाया ग्रह का महत्व अत्यधिक हो जाता है क्योंकि ये ग्रह अर्थात बिंदु मनुष्य के जीवन पर विषेष प्रभाव डालते हैं। राहु-केतु का प्रभाव केवल मनुष्य पर ही नहीं बल्कि संपूर्ण भूमंडल पर होता है। जब भी राहु या केतु के साथ सूर्य और चंद्र आ जाते हैं तो ग्रहण योग बनता है। ग्रहण के समय पूरी पृथ्वी पर कुछ अंधेरा छा जाता है एवं समुद्र में ज्वार उत्पन्न होते हैं।

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यदि आपकी कुंडली में ग्रहण दोष  है तो “ग्रहण दोष शांति पूजा” के लिए यह दिन सर्वोत्तम है. “पितृ दोष शांति ” और  “वैदिक चन्द्र शांति पूजा ” के लिए भी यह दिन उपयुक्त माना जाता है. इस दिन किये गये कार्यों का प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है इसलिए मन्त्र सिद्धि और किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए ग्रहण का  दिन अत्यंत ही उपयुक्त माना गया है |

चंद्रग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही विज्ञान की पुस्तकों में जानकारी दी जाती है कि ये एक प्रकार की खगोलीय स्थिति होती हैं। जिनमें चंद्रमा, पृथ्वी के और पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर चक्कर काटते हुए जब तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थिति होते हैं। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है तो उसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है ऐसा केवल पूर्णिमा को ही संभव होता है। इसलिये चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को ही होता है। वहीं सूर्यग्रहण के दिन सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है जो कि अमावस्या को संभव है। ब्रह्मांड में घटने वाली यह घटना है तो खगोलीय लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी बहुत है। इसे लेकर आम जन मानस में कई तरह के शकुन-अपशकुन भी व्याप्त हैं। माना जाता है कि सभी बारह राशियों पर ग्रहण का प्रभाव पड़ता है। 

जानिए चंद्र ग्रहण के प्रकार

चन्द्र ग्रहण का प्रकार एवं अवधि चन्द्र आसंधियों के सापेक्ष चन्द्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। चन्द्र ग्रहण दो प्रकार का नज़र आता है-पूरा चन्द्रमा ढक जाने पर सर्वग्रास चन्द्रग्रहण तथा आंशिक रूप से ढंक जाने पर खण्डग्रास (उपच्छाया) चन्द्रग्रहण।

पृथ्वी की छाया सूर्य से 6 राशि के अन्तर पर भ्रमण करती है तथा पूर्णमासी को चन्द्रमा की छाया सूर्य से 6 राशि के अन्तर होते हुए जिस पूर्णमासी को सूर्य एवं चन्द्रमा दोनों के अंश, कला एवं विकला पृथ्वी के समान होते हैं अर्थात एक सीध में होते हैं, उसी पूर्णमासी को चन्द्र ग्रहण लगता है।

कितनी अवधि/समय का होगा यह चन्द्र ग्रहण

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की विश्व में किसी सूर्य ग्रहण के विपरीत, जो कि पृथ्वी के एक अपेक्षाकृत छोटे भाग से ही दिख पाता है, चन्द्र ग्रहण को पृथ्वी के रात्रि पक्ष के किसी भी भाग से देखा जा सकता है। जहाँ चन्द्रमा की छाया की लघुता के कारण सूर्य ग्रहण किसी भी स्थान से केवल कुछ मिनटों तक ही दिखता है, वहीं चन्द्र ग्रहण की अवधि कुछ घंटों की होती है। इसके अतिरिक्त चन्द्र ग्रहण को सूर्य ग्रहण के विपरीत किसी विशेष सुरक्षा उपकरण के बिना नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है, क्योंकि चन्द्र ग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चन्द्र से भी कम होती है।

इस वर्ष संवत 2074 माघ सुदी पूर्णिमा खग्रास ग्रस्त उदित चंद्रग्रहण 31/1/2018 बुधवार को चंद्रग्रहण सुबह 8: 21 मिनट बजे से मान्य तथा ग्रहण का स्पर्श- प्रारंभ काल संयम 5 घंटा 21 मिनट से तथा मोक्ष शुद्धि काल रात्रि 8 घंटा 45 मिनट पर स्पष्ट है।

यह इस साल का पहला चंद्र ग्रहण होगा जिसकी समयावधि सायं 17:57:56 से रात्रि 20:41:10 बजे तक रहेगी। यह चंद्र ग्रहण उत्तर पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर पश्चमी अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, उत्तर पश्चमी साउध अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, हिन्द महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका दिखाई देगा और भारत में भी इसकी दृश्यता रहेगी।

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भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह चंद्रग्रहण अश्लेषा नक्षत्र तथा कर्क राशि में लग रहा है। अश्लेषा बुध का नक्षत्र है इसलिए इस नक्षत्र से संबंधित राशि के लोगों के लिए यह ग्रहण समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। चूंकि प्रत्येक राशि पर ग्रहण का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है, इसलिए कुछ राशि वालों के लिए यह ग्रहण कष्टकारी हो सकता है, तो कुछ राशि के लोगों के लिए कल्याणकारी भी हो सकता है। 

किस समय लगेगा इस चंद्रग्रहण का सूतक?

31 जनवरी 2018 को लगने वाला चंद्र ग्रहण जो कि पूर्ण चंद्रग्रहण है। चंद्रोदय के साथ आरंभ होगा। इस दिन चंद्रमा 17:58 बजे उदय होंगे। 20:41:10 बजे चंद्र ग्रहण की समाप्ति होगी। इस चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 2 घंटे 41 मिनट 10 सैकेंड की रहेगी। 

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चंद्रग्रहण हालांकि 31 जनवरी को चंद्रोदय के समय 17:58 बजे से आरंभ होगा लेकिन लेकिन इसका सूतक का समय प्रात: 7 बजकर 3 मिनट और 35 सैकेंड पर आरंभ हो जायेगा। जो कि रात्रि 08 बजकर 41 मिनट और 10 सैकेंड तक रहेगा। बच्चों एवं बुजूर्गों के लिये सूत्तक मध्यरात्रि 12 बजकर 40 मिनट और 27 सैकेंड से आरंभ होकर ग्रहण समाप्ति के समय तक रहेगा।

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ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री से जानिए इस चंद्र ग्रहण का सभी राशि पर होने वाले प्रभाव

मेष: खर्च बढ़ेगा (वृद्धि ) होगी।

वृषभ: सभी तरह से शुभ की संभावना। नौकरी और व्यापार में उन्नति होगी। मित्रों और प्रियजनों के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे।

मिथुन: धन हानि हो सकती है। अधिक यात्रा करने की वजह से घर से दूर रहना पड़ सकता है। सेहत का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि मानसिक अवसाद के शिकार हो सकते हैं।

कर्क: शारीरिक कष्ट से समस्या हो सकती है। गुप्त रोग होने की भी संभावना। वाहन सावधानी से चलाएं। तनाव मुक्त रहने के लिए स्वयं को अपने कार्य में व्यस्त रखें।

सिंह: वाद विवाद संभव। बेवजह की बातों से मानसिक चिंता बढ़ सकती है, इसलिए व्यर्थ ही किसी बात का तनाव ना लें। धन हानि होने की संभावना है। कुटुंब परिवार में कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती है या सदस्यों के बीच मनमुटाव हो सकता है।

कन्या: अचानक धन लाभ होगा और विभिन्न प्रकार के भौतिक सुखों का आनंद मिलेगा। साहस और परामक्रम में वृद्धि होगी। छोटी दूरी की यात्रा की संभावना है। भाई-बहन अच्छा समय व्यतीत करेंगे।

तुला: शारीरिक विकारों से परेशानी बढ़ सकती है। किसी बात का भय बना रह सकता है। जीवन में संघर्ष बढ़ेगा। पारिवारिक जीवन में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

वृश्चिक: किसी बात की चिंता करने से आप स्वयं को तनावग्रस्त महसूस करेंगे। प्रेम संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बेवजह के विवादों से बचने की कोशिश करें। पढ़ाई-लिखाई में अड़चनें आ सकती हैं।

धनु: विरोधियों से चुनौती मिल सकती है, वे कई तरह की समस्या उत्पन्न करेंगे। आर्थिक जीवन सामान्य रहेगा। धन लाभ के साथ-साथ खर्च भी बढ़ेंगे। किसी कानूनी मामले से परेशानी हो सकती है।

मकर: सावधानी बरतें | आपको वैवाहिक जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ मतभेद होने की संभावना है। बिजनेस पार्टनर के साथ भी किसी बात को लेकर टकराव या विवाद हो सकता है।

कुंभ: इस ग्रहण के प्रभाव स्वरूप शुभ योग बनाने की संभावना है।

मीन: मन वाणी को शांत रखें | किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको अत्यधिक प्रयास करने होंगे। आपकी परेशानी में वृद्धि होगी।

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पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
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