धर्म और शांति: आज के हालात हमें क्या सिखाते हैं?

धर्म और शांति: आज के हालात हमें क्या सिखाते हैं? आज की दुनिया तेज़ी से बदल रही है, लेकिन इसके साथ-साथ अशांति, तनाव और अविश्वास भी बढ़ता जा रहा है। युद्ध, हिंसा, सामाजिक विभाजन और धार्मिक टकराव की खबरें हमें बार-बार यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर धर्म, जिसका उद्देश्य शांति था, आज शांति का आधार क्यों नहीं बन पा रहा? शायद यह समय धर्म को दोष देने का नहीं, बल्कि धर्म से… Continue reading धर्म और शांति: आज के हालात हमें क्या सिखाते हैं?

 December 24, 2025

धर्म और सेवा: क्यों हर धर्म मानवता पर ज़ोर देता है?

धर्म और सेवा: क्यों हर धर्म मानवता पर ज़ोर देता है? धर्म का मूल उद्देश्य केवल ईश्वर तक पहुँचना नहीं, बल्कि इंसान तक पहुँचना भी है। दुनिया के लगभग सभी धर्मों में सेवा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। चाहे वह भूखे को भोजन कराना हो, पीड़ित को सहारा देना हो या कमजोर के साथ खड़ा होना—हर धर्म किसी न किसी रूप में मानव सेवा को ईश्वर सेवा के बराबर मानता है। सवाल यह है… Continue reading धर्म और सेवा: क्यों हर धर्म मानवता पर ज़ोर देता है?

 December 24, 2025

धर्म या दिखावा? धार्मिकता की असली पहचान क्या है?

धर्म या दिखावा? धार्मिकता की असली पहचान क्या है? आज के समय में धर्म पहले से कहीं ज़्यादा दिखाई देता है। पूजा-पाठ, प्रतीक, वेश-भूषा, नारे और सोशल मीडिया पर धार्मिक अभिव्यक्तियाँ हर जगह हैं। लेकिन इसी के साथ एक गंभीर प्रश्न भी उठता है—क्या यह सब धार्मिकता है, या केवल धर्म का दिखावा? धार्मिक होना और धार्मिक दिखाई देना—इन दोनों के बीच का अंतर समझना आज पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। धार्मिकता… Continue reading धर्म या दिखावा? धार्मिकता की असली पहचान क्या है?

 December 24, 2025

हर धर्म शांति सिखाता है, फिर टकराव क्यों?

हर धर्म शांति सिखाता है, फिर टकराव क्यों? दुनिया का कोई भी धर्म खोलकर देखिए, उसकी मूल शिक्षा में शांति, प्रेम, करुणा और सह-अस्तित्व ही मिलेगा। फिर भी इतिहास से लेकर वर्तमान तक, हम बार-बार धर्म के नाम पर टकराव, हिंसा और विभाजन देखते हैं। यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है कि समस्या धर्म में है या हमारी धर्म को समझने की प्रक्रिया में? धर्म का मूल संदेश: एक समान आधार हिंदू धर्म “वसुधैव कुटुम्बकम्” की… Continue reading हर धर्म शांति सिखाता है, फिर टकराव क्यों?

 December 23, 2025

आज के युग में फैसले गुरु लेते हैं… या तालियाँ?

आज के युग में फैसले गुरु लेते हैं… या तालियाँ? आज का युग सूचना का युग है, लेकिन साथ ही यह प्रदर्शन और तालियों का युग भी बन चुका है। कभी समाज की दिशा गुरु, संत, शिक्षक और विचारक तय करते थे। उनके शब्द अनुभव, तप और विवेक से जन्म लेते थे। पर आज सवाल उठता है — क्या फैसले अब भी गुरु लेते हैं, या फिर तालियों की गूंज ही सत्य और दिशा तय… Continue reading आज के युग में फैसले गुरु लेते हैं… या तालियाँ?

 December 23, 2025

मंदिर, मस्जिद और चर्च से पहले मन का द्वार क्यों ज़रूरी है?

मंदिर, मस्जिद और चर्च से पहले मन का द्वार क्यों ज़रूरी है? धर्म के मार्ग पर चलते हुए मनुष्य अक्सर मंदिर, मस्जिद और चर्च के द्वार तक तो पहुँच जाता है, लेकिन क्या वह अपने मन के द्वार तक भी पहुँच पाता है? यह प्रश्न आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है, जब धार्मिक पहचान तो प्रबल है, पर करुणा, शांति और आत्मचिंतन की कमी दिखाई देती है। सच्चा धर्म केवल… Continue reading मंदिर, मस्जिद और चर्च से पहले मन का द्वार क्यों ज़रूरी है?

 December 23, 2025

प्राचीन ऋषियों का ध्यान आज भी उतना प्रभावी क्यों है?

प्राचीन ऋषियों का ध्यान आज भी उतना प्रभावी क्यों है? आज की तेज़ रफ्तार, तनावपूर्ण और तकनीक-प्रधान जीवनशैली में लोग शांति, संतुलन और मानसिक स्थिरता की तलाश में हैं। इसी खोज में जब आधुनिक विज्ञान और मनोविज्ञान भी सीमित उत्तर देता है, तब मानव जाति फिर से प्राचीन भारतीय ऋषियों के ध्यान-मार्ग की ओर लौटती दिखाई देती है। प्रश्न यह है कि हज़ारों वर्ष पहले विकसित किया गया ऋषियों का ध्यान आज भी उतना ही… Continue reading प्राचीन ऋषियों का ध्यान आज भी उतना प्रभावी क्यों है?

 December 20, 2025

दुनिया में कष्ट: ईश्वर की इच्छा या मनुष्य के कर्म?

दुनिया में कष्ट: ईश्वर की इच्छा या मनुष्य के कर्म? मनुष्य के मन में सबसे पुराना और सबसे गहरा प्रश्न यही रहा है—अगर ईश्वर सर्वशक्तिमान और दयालु है, तो फिर संसार में इतना दुःख और कष्ट क्यों है?यह प्रश्न केवल दर्शन का नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जिसने जीवन में पीड़ा, अन्याय या हानि का अनुभव किया है। क्या यह सब ईश्वर की इच्छा है, या फिर मनुष्य के अपने कर्मों का परिणाम?… Continue reading दुनिया में कष्ट: ईश्वर की इच्छा या मनुष्य के कर्म?

 December 19, 2025

कर्म का सिद्धांत: अच्छे और बुरे कर्म का वास्तविक परिणाम क्या है?

कर्म का सिद्धांत: अच्छे और बुरे कर्म का वास्तविक परिणाम क्या है? भारतीय दर्शन में कर्म का सिद्धांत जीवन का सबसे गहरा और प्रभावशाली नियम माना गया है। यह सिद्धांत केवल धर्म तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो—जैसा कर्म, वैसा फल। लेकिन क्या कर्म का परिणाम हमेशा तुरंत मिलता है? क्या अच्छे कर्मों का फल हमेशा सुख और बुरे कर्मों का फल दुःख… Continue reading कर्म का सिद्धांत: अच्छे और बुरे कर्म का वास्तविक परिणाम क्या है?

 December 18, 2025

Why Did Buddha Choose Sarnath for His First Sermon?

Why Did Buddha Choose Sarnath for His First Sermon? Among all events in the life of Gautama Buddha, one of the most significant moments is the Dharmachakra Pravartan—the turning of the wheel of Dharma. But a profound question arises: Why did Buddha choose Sarnath as the place for this first sermon? Was there a deeper spiritual meaning behind it?Was Sarnath uniquely suited for the beginning of a new path of wisdom? Let us explore the historical,… Continue reading Why Did Buddha Choose Sarnath for His First Sermon?

 December 11, 2025

क्या सच में साधक की पहचान ज्ञान से नहीं, श्रद्धा से होती है?

क्या सच में साधक की पहचान ज्ञान से नहीं, श्रद्धा से होती है? आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाला हर व्यक्ति एक ही दुविधा से गुजरता है—क्या साधक की पहचान उसके ज्ञान से होती है या उसकी श्रद्धा से? क्या शास्त्रों को कंठस्थ करना ही साधना की ऊँचाई है, या फिर ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास ही असली पहचान बनाता है? इस प्रश्न का उत्तर सीधा नहीं, लेकिन गहरा है। आध्यात्मिक परंपराएँ बताती हैं कि ज्ञान… Continue reading क्या सच में साधक की पहचान ज्ञान से नहीं, श्रद्धा से होती है?

 December 11, 2025

What Hidden Strength Lies Behind Questioning Religion?

What Hidden Strength Lies Behind Questioning Religion? Religion has guided humanity for thousands of years, offering comfort, meaning, and a sense of belonging. Yet, throughout history, one thing has remained constant—the presence of doubt. People often assume that questioning religion is a sign of weakness, confusion, or lack of faith. But what if the truth is the opposite?What if questioning religion actually reveals a deep, silent strength within us?This article explores how doubt shapes spiritual… Continue reading What Hidden Strength Lies Behind Questioning Religion?

 December 10, 2025