क्या सत्य धर्म है या धर्म सिर्फ रूप और रिवाज़ ?

क्या सत्य धर्म है या धर्म सिर्फ रूप और रिवाज़ ? धर्म मानव जीवन का एक अत्यंत गहरा पक्ष है, जो जन्म से मृत्यु तक हमारी सोच, व्यवहार और जीवनशैली को प्रभावित करता है। अधिकांश लोग धर्म को पूजा, मंदिर, व्रत, त्योहार या परंपराओं से जोड़कर देखते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या धर्म का वास्तविक स्वरूप यही है? क्या धर्म सिर्फ बाहरी रूप, रिवाज़ और संस्कारों का संग्रह है, या इसके मूल में… Continue reading क्या सत्य धर्म है या धर्म सिर्फ रूप और रिवाज़ ?

 December 2, 2025
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पाप और पुण्य—इनका परिणाम कब और कैसे मिलता है?

पाप और पुण्य—इनका परिणाम कब और कैसे मिलता है? मानव जीवन हमेशा से कर्मों पर आधारित माना गया है। हर धर्म, हर संस्कृति और हर आध्यात्मिक परंपरा में यह बात बार-बार समझाई गई है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसे किसी न किसी रूप में मिलता है। पाप और पुण्य को लेकर लोगों के मन में अनेक प्रश्न होते हैं—क्या इसका फल तुरंत मिलता है या समय आने पर? क्या हर… Continue reading पाप और पुण्य—इनका परिणाम कब और कैसे मिलता है?

 December 1, 2025
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क्या कर्मों की शक्ति वास्तव में हमारी किस्मत लिखती है?

क्या कर्मों की शक्ति वास्तव में हमारी किस्मत लिखती है? किस्मत और कर्म—यह दो शब्द मानव जीवन के सबसे पुरानी और गहरी बहसों में शामिल हैं। लोग अक्सर परिस्थितियों को किस्मत का खेल मान लेते हैं, जबकि कुछ लोग दृढ़ता से मानते हैं कि किस्मत को बदलने की असली ताकत हमारे कर्मों में छिपी है। यह प्रश्न कि क्या कर्मों की शक्ति वास्तव में हमारी किस्मत लिखती है, केवल धार्मिक मान्यता नहीं है, बल्कि जीवन… Continue reading क्या कर्मों की शक्ति वास्तव में हमारी किस्मत लिखती है?

 December 1, 2025
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ईश्वर को बिना देखे लोग उन पर इतना भरोसा क्यों करते हैं?

ईश्वर को बिना देखे लोग उन पर इतना भरोसा क्यों करते हैं? मनुष्य का ईश्वर पर विश्वास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता। यह विश्वास किसी एक धर्म, किसी एक समुदाय या किसी एक पुस्तक तक सीमित नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि ईश्वर को किसी ने आंखों से नहीं देखा, फिर भी करोड़ों लोग उनसे प्रेम करते हैं, प्रार्थना करते हैं और उन पर पूरा भरोसा भी रखते हैं। यह… Continue reading ईश्वर को बिना देखे लोग उन पर इतना भरोसा क्यों करते हैं?

 November 29, 2025
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स्वामी विवेकानंद अंधविश्वास के खिलाफ थे, फिर मूर्ति-पूजा को क्यों सही ठहराया?

स्वामी विवेकानंद अंधविश्वास के खिलाफ थे, फिर मूर्ति-पूजा को क्यों सही ठहराया? स्वामी विवेकानंद का नाम आते ही एक ऐसे व्यक्तित्व की छवि बनती है जो तर्क, विवेक और आध्यात्मिकता को एक साथ जोड़ते थे। वे अंधविश्वास, रूढ़ियों और बिना सोचे-समझे अनुसरण करने वाली आस्था के कट्टर विरोधी थे। लेकिन यही विवेकानंद मूर्ति-पूजा को न केवल स्वीकारते थे, बल्कि उसके आध्यात्मिक महत्व को भी समझाते थे। यह विरोधाभास केवल सतही रूप से दिखाई देता है;… Continue reading स्वामी विवेकानंद अंधविश्वास के खिलाफ थे, फिर मूर्ति-पूजा को क्यों सही ठहराया?

 November 28, 2025
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मंत्र और जप की परंपरा कैसे शुरू हुई?

मंत्र और जप की परंपरा कैसे शुरू हुई? मंत्र और जप की परंपरा मानव सभ्यता के सबसे प्राचीन आध्यात्मिक अभ्यासों में से एक है। इसकी शुरुआत उस समय से मानी जाती है जब मनुष्य प्रकृति के बीच रहते हुए ध्वनियों को एक रहस्यमय और शक्तिशाली तत्व के रूप में अनुभव करने लगा। हवा की सरसराहट, नदी की ध्वनि, पक्षियों का कलरव और आकाशीय गर्जना—इन सभी प्राकृतिक ध्वनियों ने मनुष्य को यह महसूस कराया कि ब्रह्मांड… Continue reading मंत्र और जप की परंपरा कैसे शुरू हुई?

 November 28, 2025
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किसने बनाए मंदिर–चर्च–मस्जिद–गुरुद्वारे?

किसने बनाए मंदिर–चर्च–मस्जिद–गुरुद्वारे?  मानव इतिहास में धार्मिक स्थलों की उत्पत्ति उतनी ही पुरानी है जितनी सभ्यताओं की अपनी यात्रा। मंदिर, चर्च, मस्जिद और गुरुद्वारे केवल पूजा या प्रार्थना की जगहें नहीं हैं, बल्कि वे मनुष्य की आस्था, संस्कृति, भावनाओं और आध्यात्मिक खोज के साक्षी भी हैं। इन स्थलों के निर्माण के पीछे किसी एक व्यक्ति का हाथ नहीं होता, बल्कि पूरी सभ्यता का विकास, आध्यात्मिक नेताओं की शिक्षाएँ और समय के साथ बढ़ती सामाजिक आवश्यकताएँ… Continue reading किसने बनाए मंदिर–चर्च–मस्जिद–गुरुद्वारे?

 November 28, 2025
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मृत्यु के बाद आत्मा 13 दिनों तक क्या करती है? – पुराणों की व्याख्या 

मृत्यु के बाद आत्मा 13 दिनों तक क्या करती है? – पुराणों की व्याख्या  मृत्यु मानव जीवन का सबसे गहरा और रहस्यमय अनुभव है। शरीर रुक जाता है, लेकिन क्या आत्मा भी यहीं समाप्त हो जाती है?पुराणों, उपनिषदों और हिंदू दर्शन में आत्मा को अजर, अमर और अविनाशी बताया गया है।माना जाता है कि शरीर समाप्त होता है, लेकिन आत्मा अपनी यात्रा आगे बढ़ाती है। हिंदू मान्यताओं में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है—मृत्यु के बाद के… Continue reading मृत्यु के बाद आत्मा 13 दिनों तक क्या करती है? – पुराणों की व्याख्या 

 November 27, 2025
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भगवान के कई रूप क्यों होते हैं? 

भगवान के कई रूप क्यों होते हैं?  भारत की धार्मिक परंपराएँ अत्यंत समृद्ध, विविध और रहस्यमय हैं। यहाँ एक ईश्वर को अनेक रूपों में पूजने की अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। हिंदू दर्शन में यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है—“भगवान के इतने रूप क्यों हैं?” इसका उत्तर केवल धार्मिक मान्यताओं में ही नहीं, बल्कि मानव मनोविज्ञान, संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिक अनुभवों में भी छिपा है। एक परम सत्य, अनेक रूपों की मान्यता हिंदू धर्म… Continue reading भगवान के कई रूप क्यों होते हैं? 

 November 24, 2025
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The Concept of Time in Hinduism, Buddhism, and Christianity

The Concept of Time in Hinduism, Buddhism, and Christianity The understanding of time has shaped how religions view the universe, life, and human purpose. Hinduism, Buddhism, and Christianity—three of the world’s most influential faith traditions—offer deep yet distinct interpretations of time. Their perspectives influence spiritual practice, moral responsibility, and the believer’s view of creation and destiny. While Hinduism and Buddhism often see time as cyclical, Christianity generally perceives time as linear, moving from creation toward… Continue reading The Concept of Time in Hinduism, Buddhism, and Christianity

 November 20, 2025
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मटन बिरयानी प्रसाद: वह मंदिर जहाँ हर साल हजारों भक्त मटन बिरयानी का प्रसाद ग्रहण करते हैं

मटन बिरयानी प्रसाद: वह मंदिर जहाँ हर साल हजारों भक्त मटन बिरयानी का प्रसाद ग्रहण करते हैं भारत की धार्मिक परंपराएँ अपनी विविधता और विशिष्टता के लिए जानी जाती हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक ऐसी परंपरा भी है, जहाँ दक्षिण भारत के कुछ शक्तिपीठों और ग्राम-देवता के मंदिरों में भक्त मटन बिरयानी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। यह परंपरा हर वर्ष हजारों लोगों को आकर्षित करती है, जो सिर्फ स्वाद के… Continue reading मटन बिरयानी प्रसाद: वह मंदिर जहाँ हर साल हजारों भक्त मटन बिरयानी का प्रसाद ग्रहण करते हैं

 November 20, 2025
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अमावस्या से उभरती रोशनी—पहले चंद्र दर्शन का रहस्य और शुभता

अमावस्या से उभरती रोशनी—पहले चंद्र दर्शन का रहस्य और शुभता हिंदू परंपराओं में चंद्रमा का विशेष स्थान है। चंद्रमा मन, भावनाओं, शांति और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि अमावस्या के बाद दिखाई देने वाला पहला चाँद अत्यन्त शुभ, पवित्र और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या की रात पूर्ण अंधकार का प्रतीक होती है, लेकिन उसके बाद प्रकट होने वाला प्रथम चंद्रकलादर्शन प्रकाश, आशा और नई शुरुआत… Continue reading अमावस्या से उभरती रोशनी—पहले चंद्र दर्शन का रहस्य और शुभता

 November 19, 2025
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