Post Image

मसीही बपतिस्मा (Baptism) : उत्पत्ति, क्रिया और महत्त्व 

मसीही बपतिस्मा (Baptism) : उत्पत्ति, क्रिया और महत्त्व

क्या है मसीही बपतिस्मा (Baptism)

जिस प्रकार विवाह एक प्रेमी जोड़े के लिए नहीं शुरुआत है. उसी तरह बपतिस्मा परमेश्वर की ओर जाने के लिए एक पहला कदम है. यह एक विधि है जिसमे हम परमेश्वर  के साथ वाचा बांधते हैं.

मसीही बपतिस्मा दो में से एक अध्यादेश या विधि या विधान है जिन्हें यीशु ने कलीसिया में स्थापित किया है. अपने स्वर्गारोहण से ठीक पहले, यीशु ने कहा कि, “इसलिए तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता, और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैंने तुम्हें आज्ञा दी हैं, मानना सीखाओ. और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ” (मत्ती 28:19-20). ये निर्देश स्पष्ट करते हैं कि कलीसिया को यीशु का चेला बनाने, और उन चेलों को बपतिस्मा देने के शब्दों को पूरा करने का दायित्व है. इन बातों को सभी जगहों पर (“सब जातियों”) जब तक “जगत का अन्त” नहीं आ जाता किया जाना चाहिए. इसलिए, बपतिस्मा के अतिमहत्वपूर्ण होने का कोई और कारण नहीं, क्योंकि यीशु ने इसकी आज्ञा दी है.

कब शुरू हुयी प्रथा

बपतिस्मा की प्रथा कलीसिया की स्थापना से पहले की गई है. प्राचीन समय के यहूदी अन्य विश्वासों में से आए हुए लोगों को बपतिस्मा के द्वारा उनके “शुद्ध” स्वभाव के होने के चिन्ह के रूप में दर्शाते थे. यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने बपतिस्मे का उपयोग न केवल अन्यजातियों के लिए, अपितु प्रत्येक लिए आवश्यक रूप से प्रभु के मार्ग की तैयारी के लिए किया, कि प्रत्येक व्यक्ति को बपतिस्मा लेना है क्योंकि प्रत्येक को पश्चाताप की आवश्यकता है. परन्तु फिर भी, यूहन्ना का बपतिस्मा, जो केवल पश्चाताप को ही दर्शाता है, वह वैसा ही नहीं है जैसा कि मसीही विश्वास वाला होता है, जो कि प्रेरितों के काम 18:26 और 19:1-7 में दिखाई देता है. मसीही बपतिस्मे की बहुत गहरी विशेषता है.

यह भी पढ़ें-यरूशलम क्यों है ईसाईयों, यहूदियों और मुसलमानों के लिए ख़ास

कैसे मिलता है बपतिस्मा

बपतिस्मा पिता, पुत्र और आत्मा के नाम से दिया जाता है – ये मिल कर एक “मसीही बपतिस्मा” को बनाते हैं. इस विधान के द्वारा एक व्यक्ति को कलीसिया की संगति में स्वीकार कर लिया जाता है. जब हम बचाए जाते हैं, तब हमारा “बपतिस्मा” मसीह की देह में आत्मा के द्वारा हो जाता है. 1 कुरिन्थियों 12:13 कहता है, “क्योंकि हम सब ने – क्या यहूदी हो क्या यूनानी, क्या दास हो क्या स्वतंत्र – एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिए बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया.” पानी के द्वारा दिया हुआ बपतिस्मा आत्मा के द्वारा दिए हुए बपतिस्मे का “पुन र्प्रदर्शन” है.

पवित्रिकरण की क्रिया है बपतिस्मा

मसीही बपतिस्मा एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा एक व्यक्ति विश्वास और शिष्यता को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करता है. पानी के बपतिस्मे में, एक व्यक्ति इन शब्दों को कहता है कि, “मैं यीशु में अपने विश्वास का अंगीकार करता हूँ; यीशु ने मेरे प्राणों को पाप से शुद्ध कर दिया है और मेरे पास अब पवित्रीकरण में चलने वाला नया जीवन है.”

मसीही बपतिस्मा, नाटकीय शैली में, मसीह की मृत्यु, गाड़े जाने और जी उठने को दर्शाता है. ठीक इसी समय, यह पाप के लिए हमारी मृत्यु और मसीह में नए जीवन को प्रगट करता है. जब एक पापी प्रभु यीशु का अंगीकार करता है, तो वह पाप के लिए मर जाता है (रोमियों 6:11) और पूरी तरह से एक नए-जीवन के लिए जी उठता है (कुलुस्सियों 2:12). पानी में डूब जाना पाप के लिए मृत्यु को प्रस्तुत करता है, और पानी में से बाहर निकलना शुद्ध, पवित्र जीवन को प्रगट करता है, जो उद्धार का अनुसरण करता है. रोमियों 6:4 इसे इस तरह से कहती है कि, “अत: उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें.”

प्रभु की आज्ञापालन करने का कार्य है बपतिस्मा

सरल रूप से कहना, बपतिस्मा एक विश्वासी के आंतरिक जीवन में हुए परिवर्तन की बाहरी गवाही है. मसीही बपतिस्मा उद्धार के बाद प्रभु की आज्ञापालन करने का एक कार्य है; यद्यपि बपतिस्मा निकटता से उद्धार के साथ सम्बन्धित है, तो भी यह बचाए जाने के लिए एक शर्त नहीं है. बाइबल इस से सम्बन्धित घटनाओं के क्रम को बहुत से स्थानों पर दर्शाती है कि

  • पहले एक व्यक्ति प्रभु यीशु में विश्वास करता है
  • 2) फिर उसका बपतिस्मा होता है. इस क्रम को प्रेरितों के काम 2:1 में भी देखा जा सकता है, “अत: जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया”

यीशु मसीह में एक नए विश्वासी को शीघ्र अतिशीघ्र बपतिस्मा लेने की इच्छा को प्रगट कर देना चाहिए. प्रेरितों के काम 8 में फिलिप्पुस कूशी खोजे को “यीशु के शुभ-सन्देश के बारे” में बताता है, और जब “वे मार्ग में चलते चलते किसी जल की जगह पहुँचे, तब खोजे ने कहा, ‘देख वहाँ जल है, अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है?” (आयतें 35-36). ठीक वहीं, उन्होंने रथ को रोक लिया, और फिलिप्पुस ने उस व्यक्ति को बपतिस्मा दिया.

मसीही बपतिस्मा एक विश्वासी की पहचान मसीह, मृत्यु, गाड़े जाने और जी उठने को दर्शाता है. जहाँ कहीं भी सुसमाचार का प्रचार किया जाता है, वहाँ पर लोगों को बपतिस्मा दिया जाना चाहिए.

@religionworld

Post By Religion World