दीपावली 2025: इस दीपावली कैसे करें लक्ष्मी-गणेश पूजन?
हर वर्ष की तरह वर्ष 2025 में भी दीपावली का पर्व अपार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष दीपावली सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा।
लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर बाद प्रारंभ होकर अगले दिन 21 अक्टूबर की संध्या तक रहेगी। पूजा के लिए सबसे शुभ समय प्रदोष काल में होता है, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होकर लगभग शाम 5:45 से रात 8:15 बजे तक रहेगा। इसमें वृषभ लग्न का काल यानी शाम 7:05 से 9:05 बजे तक लक्ष्मी-पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसी समय माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों के घरों में स्थायी निवास का आशीर्वाद देती हैं।
पूजा की तैयारी
दीपावली के दिन प्रातः स्नान कर घर को पूरी तरह साफ करें। मुख्य द्वार, आंगन और मंदिर स्थान को फूलों और रंगोली से सजाएँ। मुख्य दरवाजे पर तोरण बाँधें और घर के कोनों में दीपक रखें ताकि वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहे। पूजा के लिए चाँदी या मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को लाल कपड़े पर स्थापित करें। साथ में कलश, नारियल, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप और नैवेद्य रखें।
पूजन विधि
गणेश पूजन से प्रारंभ करें – सबसे पहले भगवान गणेश की आराधना करें। उन्हें मोदक, दूर्वा और सिंदूर अर्पित करें।
लक्ष्मी पूजन करें – माँ लक्ष्मी को चंदन, अक्षत, पुष्प और मिष्ठान्न अर्पित करें। लक्ष्मी स्तोत्र या श्रीसूक्त का पाठ करें।
कलश पूजन – कलश को जल, सुपारी, सिक्के और आम के पत्तों से सजाकर रखें। यह कुबेर व लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
दीप प्रज्वलन – घर के हर कोने में दीपक जलाएँ। दीपक की लौ प्रतीक है कि जीवन में प्रकाश, ज्ञान और सकारात्मकता सदैव बनी रहे।
आरती और प्रसाद वितरण – अंत में लक्ष्मी-गणेश की आरती करें और प्रसाद सभी को बाँटें।
पौराणिक कथा
मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय माँ लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुईं। उसी दिन अमावस्या की रात थी, इसलिए उस रात को धन और सौभाग्य की देवी का दिवस माना गया। कहते हैं, जो भक्त इस दिन श्रद्धा से माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं, उनके घर में धन, ज्ञान और सुख-शांति का वास होता है।
पूजा के बाद क्या करें
पूजा के बाद घर में दीपक जलते रहने दें। रसोईघर, तिजोरी और मुख्य द्वार पर दीप अवश्य रखें। अगले दिन सुबह उस दीप के तेल और बाती को पवित्र स्थान पर विसर्जित करें। ध्यान रखें कि इस दिन कोई नकारात्मक कार्य न करें, झगड़ा या क्रोध न करें। माँ लक्ष्मी स्वच्छता और शांति पसंद करती हैं, इसलिए मन और घर दोनों को पवित्र रखें।
दीपावली का यह पावन पर्व केवल धन-संपत्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मिक प्रकाश और आंतरिक आनंद का संदेश देता है। इस दिवाली माँ लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और उजाला सदा बना रहे।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो