क्या आप जानते हैं? माँ कालरात्रि की पूजा करने का सही तरीका
नवरात्रि का सातवां दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि को समर्पित होता है। माँ कालरात्रि को भय नाशिनी और अंधकार निवारिणी कहा जाता है। यह स्वरूप भक्तों को भय, नकारात्मक ऊर्जा और संकटों से मुक्त करने वाली मानी जाती हैं। माँ कालरात्रि की पूजा करने से मानसिक शक्ति, साहस और जीवन में सुरक्षा प्राप्त होती है।
पूजा का महत्व
माँ कालरात्रि का स्वरूप भयभीत दिखता है, परंतु यह दिखावा केवल बुराई और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने के लिए है। शास्त्रों में वर्णन है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से उनकी पूजा करता है, उसे जीवन में आने वाले संकट, भय और अंधकार से मुक्ति मिलती है।
पूजा का सही तरीका
स्थान और समय: पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें। सप्तमी तिथि की सुबह या शाम का समय सबसे शुभ माना जाता है।
सफाई और सजावट: पूजा स्थल को साफ करके लाल या काला रंग का वस्त्र बिछाएँ। दीपक और धूप से वातावरण को पवित्र करें।
मूर्ति और प्रतीक: माँ कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। यदि मूर्ति नहीं है तो देवी का मंत्र पढ़ते हुए ध्यान करें।
कमल और दीपक: माता को लाल फूल और दीपक अर्पित करें। माना जाता है कि दीपक और फूल अंधकार और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं।
मंत्र का जाप: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करने से माता प्रसन्न होती हैं।
नैवेद्य और अर्पण: माता को खीर, फल और अन्य शुद्ध भोजन अर्पित करें। ध्यान रखें कि यह अर्पण साफ मन और श्रद्धा के साथ हो।
पूजा के लाभ
मानसिक शांति और साहस की प्राप्ति
भय, तनाव और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
घर और परिवार में सुरक्षा और समृद्धि
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता
माँ कालरात्रि की पूजा श्रद्धा, भक्ति और सही विधि से करने पर जीवन में न केवल भय और संकट दूर होते हैं, बल्कि मानसिक शक्ति, सुरक्षा और सकारात्मकता भी बढ़ती है। नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की आराधना करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो