Post Image

माँ बगलामुखी जन्मोत्सव : कैसे करें माँ बगलामुखी का पूजन

माँ बगलामुखी जन्मोत्सव : कैसे करें माँ बगलामुखी का पूजन

आज 12 मई 2019 (रविवार) वैशाख शुक्ल अष्टमी को मां बंगलामुखी की जयंती मनाई जा रही हैं। इसी पावन तिथि पर मां बगलामुखी ( बगलामुखी जन्मोत्सव ) का प्राकट्य हुआ था। मां बगलामुखी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है, इसीलिए इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है।

मां की पूजा में पीले रंग की सामग्री होने से पूजा का शुभ लाभ मिलता है। मां बगलामुखी की साधना शत्रु से जुड़ी तमाम बाधाओं से मुक्ति के लिए बहुत ही कारगर व अचूक मानी गई है।

मां बगलामुखी दसमहाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। ये स्तम्भन की देवी हैं और सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। माता बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं की पराजय होती है और सभी तरह के वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। मान्यताओं के अनुसार देवी बगलामुखी का प्राकट्य स्थान गुजरात का सौराष्ट्र है। आज नलखेड़ा (जिला- आगर, मध्यप्रदेश) स्थित लक्ष्मणा नदी के तट पर शमशान में विराजमान प्राचीन और पांडवों द्वारा स्थापित माँ बगलामुखी मन्दिर में राष्ट्र कल्याण और रक्षा हेतु विशेष अनुष्ठान किया जायेगा।

दस महाविद्या में से बगलामुखी आठवां स्वरूप है। वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी की जयंती ( बगलामुखी जन्मोत्सव ) मनाई जाती है। इस वर्ष बगलामुखी जन्मोत्सव (जयंती) आज 12 मई, (रविवार ) को मनाई जा रही हैं। मां की साधना शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए बहुत ही कारगर व अचूक मानी गई है। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि मां बगलामुखी अपने भक्तों की सभी परेशानियां दूर करती हैं, शत्रुओं से रक्षा करती हैं, बुरी नजर और बुरी शक्तियों से बचाती हैं। देवी मां को पीला रंग बहुत प्रिय है, इस कारण इनकी पूजा में पीले रंग की पूजन सामग्री का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। देवी मां के इस स्वरूप की पूजा बहुत सावधानी से करनी चाहिए। इसी वजह से किसी ब्राह्मण के मार्गदर्शन में ही देवी के इस स्वरूप की पूजा करेंगे तो बेहतर रहेगा। साथ ही, देवी के भक्तों को साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बंगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है।

बगलामुखी जन्मोत्सव

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि माँ बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बंगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है।

बगलामुखी जन्मोत्सव

जाने और समझे माँ बगलामुखी मंत्र के उपयोगी मन्त्रों को…

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए..

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार..

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

यह है माँ बगलामुखी का मंत्र…

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है।

जानिए कैसे करें माँ बगलामुखी का व्रत ( बगलामुखी जन्मोत्सव ) व पूजन विधि…

इस दिन प्रातः काल उठे, नियत कर्मों से निवृत होकर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार व्रती को साधना अकेले मंदिर में अथवा किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर माता बगलामुखी की पूजा करनी चाहिए। पूजा की दिशा पूर्व में होना चाहिए। पूर्व दिशा में उस स्थान को जहां पर पूजा करना है। उसे सर्वप्रथम गंगाजल से पवित्र कर लें। तत्पश्चात उस स्थान पर एक चौकी रख उस पर माता बगलामुखी की प्रतिमूर्ति को स्थापित करें। तत्पश्चात आचमन कर हाथ धोए, आसन पवित्र करे। माता बगलामुखी व्रत का संकल्प हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, एवम पीले फूल तथा दक्षिणा लेकर करें। माता की पूजा धुप, दीप, अगरबत्ती एवम विशेष में पीले फल, पीले फूल, पीले लड्डू का प्रसाद चढ़ा कर करना चाहिए। व्रत के दिन व्रती को निराहार रहना चाहिए। रात्रि में फलाहार कर सकते है। अगले दिन पूजा करने के पश्चात भोजन ग्रहण करे।

इन उपाय से होगा लाभ

दरिद्रता के मुक्ति चाहते हैं तो मां बगलामुखी के सामने हल्दी की माला का उपयोग करते हुए इस मंत्र का जाप 108 बार या 1008 बार करें।

मंत्र – श्रीं ह्रीं ऐं भगवती बगले मे श्रियं देहि देहि स्वाहा। इस मंत्र का जाप सही उच्चारण के साथ करें। अगर जाप करने में कोई परेशानी आ रही हो तो किसी अन्य ब्राह्मण से जाप करवा सकते हैं।

क्या करें उपाय कृपा पाने के लिए

बगलामुखी जयंती पर देवी मां हल्दी की दो गांठ चढ़ाएं। पूजा करें और पूजा के बाद एक गांठ अपने पास रख लें। इस उपाय से देवी मां की कृपा हमारे साथ रहती है और बुरी नजर से रक्षा होती है।

लेखक – पं. दयानंद शास्त्री, उज्जैन

Post By Religion World