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दलाई लामा, स्वामी रामदेव, आचार्य लोकेश ने रचा आध्यात्मिक इतिहास

दलाई लामा, स्वामी रामदेव, आचार्य लोकेश ने रचा आध्यात्मिक इतिहास

केन्द्रीय मंत्री पियूष गोयल, डा. हर्ष वर्धन , पुरुषोत्तम रुपाला कार्यक्रम में उपस्थित

भारत और चीन साथ काम करे बौद्ध धर्म उन्हें जोड़ता है- दलाई लामा

अंतर धार्मिक संवाद के विश्व शांति व सद्भावना संभव- आचार्य लोकेश

अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए मुसलमान आगे आये- कल्बे सादिक

मुंबई के एन.एस.सी.आई. डोम में गूंजा धार्मिक सहिष्णुता का स्वर

मुम्बई, 13 अगस्त 2017: मुंबई के एन.एस.सी.आई. डोम में जब विश्व विख्यात आध्यात्मिक गुरु परम पूज्य दलाई लामा, योगऋषि स्वामी रामदेव, आचार्य डा. लोकेश मुनि ने मंच पर एक साथ आसन ग्रहण किया तो खचाखच भरा सभागार तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा । अवसर था आचार्य डा. लोकेश मुनि द्वारा स्थापित संस्था अहिंसा विश्व भारती द्वारा आयोजित वर्ल्ड पीस कोनक्लेव के अंतर्गत अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘अनेकता में एकता- भारतीय संस्कृति’ जिसमे परम पूज्य दलाई लामा, योगऋषि स्वामी रामदेव, जैनाचार्य डा. लोकेश मुनि, जैनाचार्य कुलचन्द्र जी महाराज, गुरुदेव नम्रमुनि जी महाराज, अकाल तख़्त प्रमुख जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल  लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डा. कल्बे सादिक आर्चबिशप फेलिक्स मव्हादो, विश्व शांति व सद्भावना का सन्देश दिया। संगोष्ठी में भारत के केन्द्रीय मंत्री श्री पियूष गोयल, डा. हर्षवर्धन, डा. महेश शर्मा, श्री पुरुषोत्तम रुपाला, मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी सभा को संबोधित किया।

परम पूज्य दलाई लामा ने इस अवसर पर कहा कि चीन और भारत को एक साथ मानव विकास के लिए काम करना चाहिए, बौद्ध धर्म दोनों को जोड़ता है। धर्म के नाम पर हिंसा और आतंकवाद बहुत दुखदायी है| धर्म के नाम पर हिंसा व आतंक को ख़त्म करने के लिए यह जरूरी हो गया है कि धर्म गुरु अंतर धार्मिक संवाद को बढावा दें। एक धर्म, एक सच के दर्शन को महत्त्व देना जरूरी है, हम सब एक ईश्वर की संतान है | परम पूज्य दलाई लामा ने  हिंसा से प्रभावित मध्य पूर्वी एशिया, म्यामनार व श्री लंका जैसे बौद्ध देश व हिंसा से प्रभावित मुस्लिम अल्पसंख्यकों की और इशारा करते हुए कहा कि इन परिस्थितीयों में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों ने हमेशा मानवता के हित में काम किया है और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने धार्मिक गुरुओं से आग्रह किया कि धार्मिक कट्टरपंथियों और मुमकिन हो तो आतंकवादी संगठनों के प्रतिनिधियों को अंतर धार्मिक वार्ता के लिए प्रेरित करें जिससे हिंसा व आतंकवाद ख़त्म करने की सुव्यवस्थित कार्य योजना बन सके। उन्होंने कहा शिक्षा का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान और अध्यात्म में समन्वय हो रहा है यह प्रशंसनीय है। परम पूज्य दलाई लामा ने इस बात की सराहना की कि आचार्य लोकेश मुनि के पास एक्शन प्लान है और वो सुव्यवस्थित रूप से सभी धर्मों को साथ लेकर विश्व शांति व सद्भावना की स्थापना में कार्यरत हैं।

देखिए कैसे सभी धर्म गुरु आए संग-संग : 

अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैनाचार्य डा. लोकेश मुनि ने कहा कि वर्तमान परिस्थितों में ऐसे समसामयिक विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करना राष्ट्र व समाज के लिए कल्याणकारी है। मौजूदा समय में  हम जिस दौर से गुजर रहे है, आज न केवल भारत बल्कि अमेरिका,चीन सहित सम्पूर्ण विश्व हिंसा व आतंकवाद से प्रभावित है। सीरिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, ईराक, बांग्लादेश, फ़्रांस, रूस में  आये दिन धर्म, जाति व सम्प्रदाय के नाम पर बेगुनाहों का कत्लेआम हो रहा है। ऐसे समय में अंतरधार्मिक संवाद की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि हिंसा और आतंकवाद किसी समस्या का समाधान नहीं है| हिंसा प्रतिहिंसा को जन्म देती है। धर्म हमें जोड़ना सिखाता है तोड़ना नहीं| धर्म के क्षेत्र में हिंसा, घृणा और नफरत का कोई स्थान नहीं हो सकता| संवाद के द्वारा, वार्ता के द्वारा हर समस्या को बैठ कर सुलझाया जा सकता है| उसके लिए सबसे पहले जरूरी है, हम अपने अस्तित्व की तरह दूसरों के अस्तित्व का, विचारों का सम्मान करना सीखें। मतभेद हो सकते है किन्तु उसे मनभेद में न बदले।

योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि योग के माध्यम से आन्तरिक व बाह्य शांति व सद्भावना मुमकिन है। योग विश्व को भारत की एक महान देन है।  भारतीय संस्कृति बहुलतावादी संस्कृति है। अनेकता में एकता उसकी मौलिक विशेषता है। सर्वधर्म संवाद इसका मूल मंत्र है। यही से अहिंसा, शांति और सद्भावना का शुभारम्भ होता है। उन्होंने कहा योग एकता और ताकत का प्रतीक है। इससे व्यक्तिगत व सामाजिक विकास भी संभव है| हम सभी विकास चाहते है, समृद्धि चाहते है। विकास व शांति का गहरा सम्बन्ध है। धर्मगुरु, राजनेता व समाज के विभिन्न  क्षेत्रों के प्रमुख जब एक मंच से शांति व सद्भावना का सन्देश देंगे तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव होगा।

इस अवसर पर मौलाना कल्बे सादिक ने मुसलमानों से आह्वान किया कि वो अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए आगे आये उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट में मुसलमान केस जीत भी जाते है तो जमीन राम मंदिर बनाने के लिए दे देनी  चहिये क्योंकि यह आस्था का विषय है |

केन्द्रीय मंत्री श्री पियूष गोयल ने कहा कि भारत धार्मिक एकता का पक्षधर है, भारत के हर प्रान्त में विभिन्न धर्म आपसी सद्भाव व भाईचारे के साथ रहते है | यहाँ जहाँ दीवाली का त्यौहार सभी धर्मों के लोग मिलकर मानते है वही, ईद व क्रिसमस पर भी सभी ओर त्यौहार का माहोल होता है | | भारत धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल है। इस भारतीय सभ्यता को धर्म गुरुओं के माध्यम से विश्व में फैला कर विश्व शांति व सद्भावना की स्थापना हो सकती है

केन्द्रीय मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि अंतर धार्मिक संवाद से ही धार्मिक रूढ़ीवाद की गहरी जड़ो को ख़त्म किया जा सकता है | धार्मिक विभिन्नता स्वाभाविक है, विभिन्न धर्मों के कारण ही मानवता का विकास और खुशहाली संभव है | लोकतंत्र में वैचारिक मतभेद जरूरी है , वार्ता के माध्यम से ही विभिन्न मतों को एक साथ जोड़ कर समाज, राष्ट्र व विश्व शांति, समृद्धि व विकास की योजना बन सकती है|

केन्द्रीय मंत्री श्री पुरुषोत्तम रुपाला ने भव्य आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि अहिंसा विश्व भारती द्वारा सर्व धर्म सद्भाव के लिए किये जा रहे प्रयासों से निश्चित ही एक विशेष सन्देश जायेगा।

संगोष्ठी का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अहिंसा विश्व भारती द्वारा सभी आमंत्रित धर्म गुरुओं, केन्द्रीय मंत्रियों और विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत किया गया| 

इस अवसर पर खचाखच भरे हाल में बोलीवुड से विवेक ओबरोय, मधुर भंडारकर, खेल जगत से विश्व विजेता विजेंद्र सिंह, सहित अनेक  शिक्षाविद, साहित्यकार. उद्योगपति, समाजसेवी उपस्थित थे। मंच सञ्चालन श्री साजन शाह ने किया| सम्मेलन के बाद परम पूज्य दलाई लामा, स्वामी राम देव, आचार्य लोकेश, सभी धर्म गुरुओं,  केन्द्रीय मंत्रियों, बोलीवुड जगत, उद्योग जगत की विशिष्ठ हस्तीयों के साथ अनेक प्रख्यात लोगो ने साथ भोजन ग्रहण किया।

Post By Religion World