Varaha Jayanti 2025: आख़िर क्यों हर साल मनाई जाती है वराह जयंती?
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दस अवतारों (दशावतार) की विशेष महिमा है। इन्हीं में से एक है वराह अवतार, जिसमें भगवान विष्णु ने धरती की रक्षा के लिए जंगली वराह (सूअर) का रूप धारण किया था। जब दैत्य हिरण्याक्ष ने पूरी पृथ्वी को अपने बल से समुद्र में डुबो दिया था और देवताओं तक को आतंकित कर दिया था, तब भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर महासागर में प्रवेश किया। वहाँ उन्होंने हिरण्याक्ष से भीषण युद्ध किया, और अंततः उसका वध कर धरती माता को अपने विशाल दाँतों पर उठाकर सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया।
इस महान लीला की स्मृति में हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है।
वराह जयंती 2025 की तिथि
वर्ष 2025 में यह पावन पर्व 25 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा।
पूजा-व्रत और परंपराएँ
इस दिन भक्तजन प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं और भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं। उपवास रखने की परंपरा है। दिनभर भक्ति में लीन रहकर संध्या समय दीपक जलाए जाते हैं और भगवान को पंचामृत, फल और विशेष भोग अर्पित किया जाता है।
मंदिरों और घरों में शंखनाद और मंत्रोच्चार से वातावरण पवित्र हो उठता है।
वराह अवतार की कथा श्रवण और सत्संग का आयोजन किया जाता है।
कई स्थानों पर भजन, कीर्तन और प्रवचन होते हैं।
दक्षिण भारत के कई मंदिरों (जैसे तिरुविदंडई वराह मंदिर – तमिलनाडु) और उत्तर भारत के काशी, पुष्कर जैसे तीर्थों में इस दिन विशेष उत्सव और शोभायात्राएँ भी निकाली जाती हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
वराह जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह धर्म की विजय और धरती की रक्षा का प्रतीक है। भगवान विष्णु ने अपने वराह रूप से यह संदेश दिया कि जब भी अधर्म बढ़ेगा, तब धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर अवतार लेकर धरती का उद्धार करेंगे।
पर्यावरण और प्रकृति से जुड़ा संदेश
इस पर्व का एक आधुनिक संदेश भी है। जिस प्रकार भगवान विष्णु ने धरती माता को समुद्र की गहराइयों से बचाया, उसी प्रकार आज के मनुष्य का भी दायित्व है कि वह धरती और प्रकृति की रक्षा करे। बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण संकट के समय वराह जयंती हमें यह संकल्प लेने के लिए प्रेरित करती है कि हम प्रकृति का सम्मान करेंगे, पेड़-पौधों और नदियों की रक्षा करेंगे और धरती को सुरक्षित बनाएँगे।
वराह जयंती आस्था, भक्ति और कृतज्ञता का ऐसा पावन पर्व है जब भक्त भगवान विष्णु और धरती माता दोनों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। यह पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि धरती हमारी माँ है, और उसका संरक्षण करना प्रत्येक मानव का सबसे बड़ा कर्तव्य है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो