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वैष्णव संप्रदाय: इतिहास और विवरण

वैष्णव संप्रदाय: इतिहास और विवरण

वैष्णव संप्रदाय हिंदू धर्म की एक प्रमुख शाखा है जो भगवान विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण आदि) की उपासना पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य भगवान की भक्ति (भक्ति योग) द्वारा मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना है। वैष्णव परंपरा में शुद्ध आचार-विचार, सत्य, अहिंसा, सेवा और प्रेम को परम धर्म माना गया है।

प्राचीन काल: वैदिक युग में विष्णु की उपस्थिति

ऋग्वेद में विष्णु का उल्लेख “त्रिविक्रम” के रूप में आता है, जो ब्रह्मांड को अपने तीन विशाल कदमों से मापते हैं। यद्यपि प्रारंभिक वेदों में इंद्र और अग्नि जैसे देव प्रमुख थे, विष्णु की उपासना धीरे-धीरे बढ़ी और बाद के उपनिषदों व पुराणों में वह परम ब्रह्म के रूप में स्थापित हुए।

पुराणिक युग में विस्तार

विष्णु पुराण, भागवत पुराण, और नारायणीय उपनिषद ने विष्णु को सृष्टिकर्ता, पालक और संहारक के रूप में प्रस्तुत किया। इस काल में दशावतार की अवधारणा मजबूत हुई – विशेष रूप से राम और कृष्ण को भगवान के संपूर्ण अवतारों के रूप में पूजा गया।

भक्ति आंदोलन और वैष्णव संप्रदाय की शक्ति

7वीं से 17वीं शताब्दी तक भक्ति आंदोलन ने वैष्णव परंपरा को गांव-गांव तक पहुंचाया। संतों और आचार्यों ने इसे जनमानस का धर्म बनाया।

🔹 प्रमुख वैष्णव संत और उनके योगदान:

  1. रामानुजाचार्य (1017–1137)

    • दर्शन: विशिष्टाद्वैत वेदांत

    • मुख्य सिद्धांत: आत्मा और ब्रह्म एक हैं लेकिन भिन्न भी हैं।

    • संप्रदाय: श्रीवैष्णव संप्रदाय (तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश)

  2. मध्वाचार्य (1238–1317)

    • दर्शन: द्वैत वेदांत

    • मुख्य सिद्धांत: जीव और ईश्वर सदा अलग हैं।

    • संप्रदाय: द्वैत संप्रदाय (कर्नाटक क्षेत्र)

  3. वल्लभाचार्य (1479–1531)

    • दर्शन: शुद्धाद्वैत वेदांत

    • संप्रदाय: पुष्टिमार्ग

    • भगवान श्रीनाथजी की सेवा को प्रधान माना गया।

  4. चैतन्य महाप्रभु (1486–1534)

    • दर्शन: अचिन्त्य भेदाभेद

    • संप्रदाय: गौड़ीय वैष्णव

    • प्रचार: राधा-कृष्ण प्रेम भक्ति एवं हरे कृष्ण संकीर्तन।

वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख पंथ/उपसंप्रदाय

संप्रदायसंस्थापकप्रमुख आराध्यक्षेत्र
श्रीवैष्णवरामानुजाचार्यश्रीमन नारायणतमिलनाडु, आंध्र
मध्व संप्रदायमध्वाचार्यविष्णु (श्रीकृष्ण)कर्नाटक
पुष्टिमार्गवल्लभाचार्यश्रीनाथजी (कृष्ण)राजस्थान, गुजरात
गौड़ीय वैष्णवचैतन्य महाप्रभुराधा-कृष्णबंगाल, उड़ीसा, अंतरराष्ट्रीय

प्रमुख वैष्णव ग्रंथ

  • श्रीमद्भगवद्गीता

  • श्रीमद्भागवत महापुराण

  • विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र

  • नारायणीयम

  • रामानुज, मध्व और वल्लभाचार्य के भाष्य

आधुनिक युग में वैष्णव संप्रदाय

वैष्णव भक्ति आज भी पूरे भारत और विदेशों में जीवंत है। ISKCON (हरे कृष्ण आंदोलन) ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया है।
तिरुपति बालाजी, द्वारका, वृंदावन, पुरी, श्रीरंगम आदि विश्वविख्यात तीर्थस्थल वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख केंद्र हैं।

जीवन शैली और साधना

वैष्णव जन सुबह स्नान कर तुलसी की माला से जप करते हैं, सात्विक भोजन करते हैं, अहिंसा, दया, सेवा, और भक्ति का पालन करते हैं।
हरि नाम संकीर्तन, मंदिर सेवा, कथा श्रवण, उपवास और एकादशी व्रत इनके धार्मिक जीवन के अंग हैं।

वैष्णव संप्रदाय केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन पद्धति है जो प्रेम, भक्ति और ईश्वर के प्रति समर्पण पर आधारित है। इसके आचार्यों, ग्रंथों और भक्ति परंपरा ने भारतीय संस्कृति को अमूल्य योगदान दिया है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

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