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सूर्य ग्रहण 2020: क्या ग्रहण से कोरोना कम होगा ?

21 जून 2020 के सूर्य ग्रहण को लेकर कहा जा रहा है कि इसके बाद कोरोना वायरस का असर खत्म हो जाएगा. यह साल का यह पहला सूर्य ग्रहण है.



ज्योतिषियों का मानना है कि दिसंबर 2019 को पड़े सूर्य ग्रहण के बाद से कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ. अब 21 जून को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण के साथ कोरोना महामारी खत्म हो जाएगी. हम सभी के मन में यह सवाल उमड़ के आ रहा है कि क्या सच में यह कोरोना का प्रकोप अब ख़त्म हो जायेगा. चलिए जानते हैं इसे ज्योतिष और विज्ञानं के माध्यम से-

क्या कहता है ज्योतिष 

ज्योतिष शास्त्र की गणनाएं बता रही हैं कि 21 जून को पड़ने जा रहे सूर्य ग्रहण से ग्रह-नक्षत्रों में हो रहे परिवर्तन के कारण महामारी से राहत मिल सकती है।

यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में पड़ने जा रहा है। वहीं विस्तृत गणनाएं संकेत दे रही हैं कि मध्य अगस्त के बाद महामारी अपने पतन को प्राप्त होगी।

30 मार्च को बृहस्पति का संचार धनु राशि से मकर राशि में हुआ था, जो 30 जून तक रहेगा।

30 जून को बृहस्पति वक्री होकर पुन: धनु राशि में आ जाएंगे। इसी बीच 21 जून को मृगशिरा नक्षत्र में सूर्य ग्रहण पड़ेगा। इसी दिन मंगल भी शनि की राशि छोड़कर बृहस्पति की राशि में जाएंगे, जो इस महामारी का प्रभाव कम करने में सहायक होंगे।

बता दें कि इससे पहले 26 दिसंबर, 2019 को पड़े सूर्य ग्रहण का परिणाम अशुभ साबित हुआ है।

इसके बाद ही भारत में इस महामारी का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ था। 11 मई के बाद से शनि भी वक्री हो गए हैं। वक्री शनि का प्रभाव शुभ नहीं होता। इसलिए अभी कुछ दिन भारत के लिए कष्टकारी साबित हो सकते हैं।

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क्या कहता है विज्ञान 

न्यूक्लियर और अर्थ साइंटिस्ट डॉ. केएल सुंदर कृष्णा का कहना है, कोरोना वायरस का संबंध पिछले साल 26 दिसंबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण से है. आने वाले सूर्य ग्रहण के दिन कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा. सूर्य ग्रहण के बाद निकली विखंडन ऊर्जा के पहले न्यूट्रॉन के कण के संपर्क में आने के बाद कोरोनो वायरस टूट जाएगा.

उनके मुताबिक साल 2019 के 26 दिसंबर को पड़े आखिरी सूर्य ग्रहण के बाद ग्रहों की स्थिति में बदलाव हुआ है. जिसकी वहज ये ऊपरी वायुमंडल से कोरोना वायरस पैदा हुआ.

सूर्य की सबसे अधिक विखंडन ऊर्जा से ये न्यूट्रॉन पैदा हो रहे हैं. हो सकता है कि बायो मॉलिक्यूल स्ट्रक्चर का म्यूटेशन कोरोना वायरस का संभावित स्रोत हो. इसका इलाज सूर्य ग्रहण और सूर्य की किरणें हैं.

टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 1986 में आए ‘कोरोनावायरस’ शब्द के साथ वैज्ञानिकों ने पाया कि एक माइक्रोस्कोप के जरिए वो जिस वायरस को देख रहे थे, वह एक सौर कोरोना जैसा दिख रहा था. यानी सूर्य के आस-पास के गैसों का चमकीला मुकुट जैसा कि सूर्य ग्रहण के दौरान दिखाई देता है.

नासा ने भी इसी तरह का जिक्र किया है. “सूर्य का कोरोना (मुकुट) सूर्य के वातावरण का सबसे बाहरी हिस्सा है. कोरोना आमतौर पर सूर्य की सतह के उज्ज्वल प्रकाश से छिपा होता है. यह विशेष उपकरणों का उपयोग किए बिना देखना मुश्किल बनाता है. हालांकि, हो सकता है कि पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान कोरोना देखा गया हो.”



सच में होगा कोरोना का खात्मा ?

असल में कोरोना एक संक्रामक बीमारी है, एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे के संपर्क में आने से फैलती है. कोरोना वायरस को रोकने का अब तक एकमात्र वैज्ञानिक तरीका है, सैनिटाइजर का उपयोग, साबुन और पानी के साथ 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को धोना, मास्क पहनना, सतहों को कीटाणुरहित करना जो किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आ सकते हैं, जो कि बीमारी का वाहक हो सकते हैं. सूर्य ग्रहण कोरोना वायरस को खत्म नहीं करेगा. इससे बचाव कर पाना सिर्फ आपके हाथों में है.

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Post By Shweta