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बिच्छू के काटने से बदली थी श्री सत्य साईं बाबा की ज़िन्दगी

बिच्छू के काटने से बदली थी श्री सत्य साईं बाबा की ज़िन्दगी

इंसानी सुंदरता का ये सच हमे उनके व्यवहार में दिखाई देता है, और इस सच को उजागर करना ही उनका काम और लक्ष्य था. दरअसल, उनके प्रवचनों में वे अपने भक्तो से हमेशा कहते है की वे “एक सुन्दर आत्मा के मूर्त रूप है”. सभी ने उनके सच्चे और निस्वार्थ प्रेम का अनुभव किया है.

सत्य साईं का जन्म सत्यनारायण राजू के नाम से भारत के आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवम्बर 1926 को हुआ था. बचपन में ही आध्यात्मिकता की और अपने झुकाव और ध्यान देने वाले व्यवहार ने उन्हें इतर बच्चों से अलग बनाया, बचपन में वे ज्यादातर अपने सहपाठियों में ‘गुरु’ या ‘ब्रह्मज्ञानी’ के नाम से जाने जाते थे. ये सिर्फ 20 अक्टूबर 1940 तक ही सिमित नही था, ये वही दिन है जिस दिन उन्हें अदभुत अवतार की एतेहासिक घोषणा की गयी थी. और आज देश ही नही बल्कि विदेशो में सत्य साईं बाबा के लाखो भक्त है. लाखो लोगो का उनपर भरोसा है, उनके दर्शन पाने के लिए लाखो लोग रोज़ पुट्टापर्थी के प्रशांति निलयम आश्रम में इकट्टा होते है.

श्री सत्य साई संस्था आज दुनिया के 167 देशो में स्थापित है और उनके भक्त भी किसी एक देश में नही बल्कि पूरी दुनिया में है, बे अपने लोगो की मदद से पूरी दुनिया को अपने संदेशो से प्रेरित करते रहे है और जरुरतमंदो को सहायता करते आये है.

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ऐसे बने सत्यसाईं


1940 में सत्यनारायण राजू अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कर रहे थे. 8 मार्च को इन्हें एक बिच्छू ने डंक मार दिया और वे कई घंटे तक बेहोश पड़े रहे. इस घटना के बाद इनके व्यक्तित्व में ख़ासा बदलाव देखने को मिला. वो कभी हंसते तो कभी रोते, तो कभी गुमसुम हो जाते. इसके साथ ही उन्होंने संस्कृत बोलना भी शुरू कर दिया था जिसे वो अभी तक जानते भी नहीं थे. डॉक्टर भी ऐसे व्यवहार को देखकर हैरान थे.

अपने बच्चे के ऐसे व्यवहार को देखकर माँ-बाप को चिंता सताने लगी. उन्हें चिंता होने लगी कि उनके बेटे को एकदम से ये क्या हो गया. इसी दौरान सत्य साई अपने घर पर सभी लोगों को बुलाकर चमत्कार दिखाने लगे. पिता को लगा कि उस पर किसी बुरी आत्मा का साया है और छड़ी लेकर उनसे पूछने लगे कि ‘‘कौन हो तुम?’’ पिता को जवाब मिला ‘‘मै साईं बाबा हूं.’’

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इस घटना के बाद सत्यनारायण राजू ‘श्री सत्य साईं बाबा’ बन गए. उन्होंने अपने आप साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया. भगवान बनना इस दुनिया में इतना आसान भी नहीं है इसमें कुछ मुश्किलें भी होती हैं. भगवान को हर बार साबित करना होता है कि वो भगवान है उन्हें दुनियावालों को चमत्कार करके दिखाना होता है जिससे वो मानें कि आप भगवान है.

ऐसे दिखाए चमत्कार

साईं ने अपने चमत्कारों की शुरूआत बचपन में ही कर दी थी. जिस स्कूल में वह पढ़ते थे उसी स्कूल में टीचर ने एक दिन बिना किसी वजह के उन्हें बेंच पर खड़ा कर दिया. सत्य साईं चुपचाप घंटों तक बैंच पर खड़े रहे लेकिन जब क्लास खत्म हुई और टीचर कुर्सी से उठकर जाने लगे तो वो कुर्सी से चिपक गए और उठ नहीं पाए. टीचर को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तब ही वे उठ पाए.

सत्य साई बाबा थोड़े दिनों में ही घरबार छोड़कर साईं भक्ति में लीन हो गए. कई लोग तो उनके अनुयायी बने लेकिन कई लोग उनके आलोचक भी बने. एक बार तो गांव के एक बड़े बुजुर्ग ने उन्हें चुनौती दे दी. वो दिन गुरूवार का था लोग सत्य साईं की कुटिया में पहुंचे और कहा कि साबित करके दिखाओं कि तुम साईं के सबसे बड़े भक्त हो.

तब साईं ने अपना चमत्कार दिखाया, साईं ने सिर्फ फूल मंगाए और यूं ही जमीन पर बिखेर दिए, जब लोगों ने जमीन पर देखा तो वहां बिखरे हुए फूलों से तेलगू में ‘साईं’ लिखा था. सत्य साईं कहते थे कि ‘‘मैं भगवान हूं और तुम भी भगवान ही हो, तुममें और मुझमें फर्क केवल इतना है कि मुझे इस बारे में पता है और तुम्हें इस बारे में जरा भी नहीं पता.’’

बाबा सत्य साईं ने कई बार चमत्कार किए. उन्हें कई बार भगवान होने का प्रमाण देना पड़ता था और भारत में भगवान होने का प्रमाण चमत्कार को माना जाता है. श्री सत्य साईं बाबा का सबसे अधिक चर्चित चमत्कार भक्तों के ऊपर भभूत गिराना था. बाबा का दावा था कि उनके हाथों में से जादुई भभूत निकलती है जो भक्तों का कल्याण करती है.

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दुनिया की हस्तियां है इनकी अनुयायी


ऐसा नहीं है कि सिर्फ कुछ लोग ही श्री सत्य साईं बाबा के अनुयायी है या उनको भगवान मानते हैं. दुनिया भर में ऐसे कई प्रसिद्ध हस्तियां है जो इनके अनुयायी है. इनके वीआईपी अनुयायियों में सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, सुनील गावस्कर जैसे प्रसिद्ध लोग है.

सत्य साईं ऑर्गेनाइजेशन

सत्य साईं बाबा ने साल 1960 में सत्य साईं ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना की थी. यह संगठन सामाजिक कार्य तथा लोगों में अध्यात्म को बढ़ावा देने का काम करता हैं. सत्य साईं बाबा की प्रसिद्धी इतनी है कि देश-विदेश में इनके केंद्र है. सत्य साई ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार 114 देशों में 1200 सत्य साई बाबा सेंटर है.

जिस तरह देश-विदेश में सत्य साईं के अनुयायी है उसी तरह इनके लिए दान देने वालों की तादात भी बड़ी हैं यहां आने वाला दान लाखों करोड़ों रूपए में गिना जाता है जिसे ऑर्गेनाइनजेशन सामाजिक कार्यों में लगाता है. आर्गेनाइनजेशन ने लोगों के कल्याण शिक्षा, स्वास्थ जैसी सुविधा मुहैया कराने के लिए कई संस्थान बनाए है. आइए आपको बताते है इन्हीं संस्थानों के बारे में…

  1. एजुकेशन
    गरीबों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सत्य साई ऑर्गेनाइनेशन ने कई कॉलेज और स्कूल खोले है जो स्टूडेंट्स को मानवीय मूल्ये और सिद्धांतों के साथ उन्हें शिक्षा देते है.
    अ. सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग
    ब. श्री सत्य साईं हायर सेंकेंडरी स्कूल
    स. सत्य साईं लोक सेवा दल
  2. हॉस्पिटल और मेडिकल केयर


सत्य साईं ट्रस्ट कई सारे हॉस्पिटल भी देश में चला रहा है जिसमें से दो हॉस्पिटल सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल हैं.इसके अलावा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नेत्र चिकित्सालय, मोबाइल डिस्पेंसरी भी इनके द्वारा संचलित है.
अ. श्री सत्य साईं जनरल हॉस्पिटल, व्हाइटफील्ड
ब. श्री सत्य साईं इंस्टीटयूट ऑफ हायर मेडिकल साइंस, पुट्टपर्थी
स. श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंस, व्हाइटफील्ड

  1. ड्रिकिंग वाटर सप्लाय प्रोजेक्ट

1995 में पानी की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए सत्य साईं बाबा ने पीने के पानी को सप्लाय का प्रोजेक्ट शुरू किया.जिससे अनन्तपुरम के 750 गांवों में पानी को सप्लाय किया गया.इस प्रोजेक्ट से करीब 10 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए.

इसके बाद उन्होंने 2004 में चेन्नई में भी इसकी शुरूआत की. इसका नाम ‘सत्य साईं गंगा कैनल’ रखा गया तथा तमिलनाडु के चीफ मिनिस्टर एम. करूणानिधी द्वारा इसे सराहा गया. इस प्रोजेक्ट से करीब 8 लाख लोगों को फायदा मिला.

सत्य साईं बाबा इनके साथ ही कुछ विवादों में भी रहे लेकिन उन्हें भगवान का दर्जा देने वालें भक्तों की संख्या इतनी है कि उन पर कोई आंच नहीं आ सकती. श्री सत्य साईं बाबा ने 24 अप्रैल 2011 में 86 वर्ष की अवस्था में अंतिम सांस ली. अपने निधन के बाद वे हमेशा के लिए अमर हो गए.

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Post By Shweta