नवमी पर कन्या पूजन क्यों किया जाता है? जानिए असली वजह
नवरात्रि के अंत दिनों — विशेषकर अष्टमी और नवमी — पर किए जाने वाला कन्या पूजन हिंदू धर्म में अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। लेकिन सवाल यह है — नवमी पर कन्या पूजन क्यों किया जाता है? इस लेख में हम इसके पौराणिक, धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों को समझेंगे।
नवमी तिथि और मुहूर्त (2025)
नवमी तिथि प्रारंभ: 30 सितम्बर 2025, रात 10:56 बजे
नवमी तिथि समाप्त: 1 अक्टूबर 2025, रात 08:15 बजे
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: 1 अक्टूबर 2025 को सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है।
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियों पर कन्या पूजन करने की परम्परा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पूजन केवल धार्मिक कर्मकांड ही नहीं, बल्कि देवी माँ की नौ शक्तियों के प्रत्यक्ष पूजन का प्रतीक है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं में माँ दुर्गा के नौ रूप विद्यमान माने जाते हैं। इन्हें सम्मान देना और पूजन करना, देवी शक्ति को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का श्रेष्ठ तरीका है।
पौराणिक कारण
नौ देवियों का प्रतीक – नवरात्रि में जिन नौ देवियों की आराधना की जाती है, नवमी के दिन उन्हीं का स्वरूप कन्याओं में माना जाता है।
व्रत की पूर्णता – नवरात्रि व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन किया जाए।
माँ की प्रसन्नता – ऐसा विश्वास है कि कन्याओं की सेवा और पूजन से माँ दुर्गा तुरंत प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
स्त्री सम्मान का संदेश – कन्या पूजन समाज को यह संदेश देता है कि स्त्री शक्ति पूजनीय है और उसका सम्मान करना हर किसी का कर्तव्य है।
कन्या पूजन की विधि
सुबह स्नान कर घर को शुद्ध करें और पूजा स्थल तैयार करें।
2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को घर बुलाएँ और उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएँ।
उनके चरण धोकर उन्हें देवी स्वरूप मानकर लाल चुनरी, फूल और तिलक अर्पित करें।
कन्याओं को पूड़ी, चने और हलवे का भोग खिलाएँ। यह प्रसाद माँ को अत्यंत प्रिय है।
भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा, उपहार या वस्त्र भेंट करें।
अंत में उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
पूजन के समय पूर्ण श्रद्धा और पवित्र भाव होना सबसे जरूरी है।
कन्याओं को बुलाते समय उनके साथ एक लंगूर (छोटा लड़का) को भी आमंत्रित करें, जो भैरव स्वरूप माना जाता है।
भोजन, उपहार और दक्षिणा अपनी क्षमता अनुसार ही दें लेकिन कन्याओं को संतुष्ट करना आवश्यक है।
यह पूजा दिखावे के लिए नहीं, बल्कि भाव और सेवा के लिए की जाती है।
नवरात्रि नवमी का कन्या पूजन हर भक्त के लिए सबसे आवश्यक अनुष्ठान है। इससे न केवल नवरात्रि व्रत की पूर्णता होती है, बल्कि देवी माँ की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। कहा जाता है कि कन्याओं को प्रसन्न करना, नौ देवियों को प्रसन्न करने के समान है। इसलिए इस वर्ष 1 अक्टूबर 2025 को कन्या पूजन विधिपूर्वक करें और माँ दुर्गा से सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो