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6 अप्रैल 2019 से नव संवत्सर 2076 आरम्भ

6 अप्रैल 2019 से नव संवत्सर 2076 आरम्भ

इस वर्ष 6 अप्रैल 2019 से नव संवत्सर आरम्भ होगा। इस संवत्सर का नाम परिधावी है। निर्वाचित ग्रहों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस वर्ष आकाशीय मंडल के निर्वाचन में राजा (राष्ट्रपति) का पद शनि को प्राप्त होने वाला हैं। यानी हमारे राजा इस वर्ष शनि होंगे।

वहीं प्रधानमंत्री का पद भगवान सूर्य नारायण को मिलेगा जबकि पिछले वर्ष इससे उलट राष्ट्रपति का पद सूर्य के पास और प्रधानमंत्री का पद शनि के कब्जे में रहा। सूर्य के राष्ट्रपति होने से पूरे विश्वभर में भारत की सूर्य के समान चमकी। इस वर्ष शनि के राजा होने से अखिल ब्राह्मंड के सर्वोच्च न्यायाधीश शनिदेव के राजा बनने से भारतीय को अनेक मामलों न्याय दिलाएगा। इसमें आतंकीय मामलों के अलावा धार्मिक, सामाजिक मामलों की समरसता विश्वभर में बढ़ेगी। राजा शनि के पास वर्षा यानि मेघेश का भी प्रभार रहेगा।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया की नव वर्ष मिश्रित फल देने वाला होगा। भूमि, भवन संपत्ति के मान से सकारात्मक परिवर्तन दिखेंगे। सामाजिक दृष्टिकोण से मूल्यों के स्तर पर गिरावट दिखाई देगी। बारिश का प्रभाव मध्यम रहेगा। खेती अनुपातिक ही होगी। पड़ोसी राष्ट्रों के मध्य अस्थिरता से परेशानी आएगी।

नए वर्ष की शुरुआत रेवती नक्षत्र में होने से प्रकृति संतुलन बना रहेगा। रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र है, जिसका अधिपति पुषा है। ऋग्वेद की मान्यता के अनुसार यह प्रकृति के संतुलन का देवता है।यह हिंदू नव वर्ष मिश्रित फल देने वाला होगा। राजनीतिक परिवर्तन होंगे। भूमि, भवन संपत्ति के मान से सकारात्मक परिवर्तन दिखेंगे। सामाजिक दृष्टिकोण से मूल्यों के स्तर पर गिरावट दिखाई देगी। बारिश का प्रभाव मध्यम रहेगा। खेती अनुपातिक ही होगी। पड़ोसी राष्ट्रों के मध्य अस्थिरता से परेशानी आएगी।

नये वर्ष में केंद में सत्ता के भागीदारों के बीच वैचारिक मतभेद उभरेंगे। पर गुरु के सप्तम भाव में रहने से ये मतभेद सुलझ जाएंगे। वहीं प्रोपर्टी ओर रियल इस्टेट के बिजनेस में काफी उछाल आयेगा। हमारी लोकतांत्रिक प्रणालियों में सुधार होगा।

देश में मनोरंजन (टेलीविजन ओर सिनेमा) एवं तकनीकी के क्षेत्र में काफी प्रगति होगी। विश्व मे भारत की छवि और बेहतर होगी। हर क्षेत्र में भारत के लिए 2019 में बेहतर भविष्य दिखाई दे रहा है।

नए वर्ष में कई ग्रह होंगे वक्री और मार्गी – ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार नए साल में गुरु 10 अप्रैल को वक्री होंगे और मार्गी होंगे 11 अगस्त को। इसी तरह शनि 30 अप्रैल को वक्री और मार्गी होंगे 18 सितंबर को l बुध 5 मार्च को वक्री होंगे। पूरे वर्ष में बुध तीन बार वक्री होंगे और तीन बार मार्गी होंगे।

कई राशियों का होगा परिवर्तन – नए वर्ष में कई ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा। शनि का राशि परिवर्तन 30 साल बाद धनु में होगा। पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि शनि इससे पहले 18 दिसंबर 1987 को धनु राशि में थे अगली बार 8 दिसंबर 2046 को धनु राशि में आएंगे।

वृहस्पति ग्रह वृश्चिक राशि से धनु में 29 मार्च को प्रवेश करेंगे। राहु का गोचर परिवर्तन कर्क से मिथुन राशि में 7 मार्च को होगा और केतु धनु में प्रवेश करेंगे।

शनि के 1 मई 2019 तक मार्गी रहने से एवं सीधी चाल रहने से कई राशियों को फायदा मिलेगा। गुरु का स्थान परिवर्तन होने से देश की स्थिति काफी मजबूत होगी।

वर्ष 2019 में शनि के राजा होने से चोरी और आतंकवाद की घटनाएं बढ़ेंगी, जबकि मंत्री सूर्य के होने से राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर वर्ष भर रहेगा। सूर्य के मंत्री होने से राजनीतिज्ञों का अमर्यादित व्यवहार रहेगा। इस वर्ष पानी की कमी होने से लोग पलायन करेंगे। इस नवसंवत्सर में अग्नि, अग्निवात, आतंकी गतिविधियों, समुद्री चक्रवात, आंधी-तूफान, वायुवेग, चोरी, अपहरण, हिंसा बढ़ सकती है। फलेश भी शनि होने के कारण पुष्प विकास व फलाव झड़ने से रोकने के लिए दवा, रसायनों का प्रयोग बढ़ेगा।

यह होगा ग्रहों का इस साल पर असर..

राजा शनि – इस सम्वत वर्ष के राजा शनि होने से स्थिति थोड़ी अनियंत्रित सी हो सकती है. कुछ पारस्परिक विरोध और द्वेष की स्थिति राष्ट्र में देखी जा सकती है। राजनेताओं के मध्य भी स्थिति असंतोषजनक होगी, एक दूसरे पर आक्षेप और टकराव के मौके कोई भी नही छोड़ना चाहेगा।प्राकृतिक रुप से भी परेशानी झेलनी पड़ेगी, बाढ़ एवं सूखे की समस्या देश के कई राज्यों को प्रभावित करेगी। किसी रोग के कारण अस्थिरता व भय का माहौल भी होगा। शनि, जनमानस में आध्यात्म की वृद्धि या अनुभूति करेगा। बारिश के नजरिए से प्राकृतिक प्रभाव परेशानी उत्पन्न करेगा।

संवत मंत्री स्वामी सूर्य – सूर्य के मंत्री पद में आने पर राजनैतिक क्षेत्र में हलचल बढ़ जाती है. केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य विवाद अधिक देखने को मिल सकता है. आर्थिक क्षेत्र अच्छा रहता है. धन धान्य में वृद्धि होती है. सरकारी नीतियां कठोर हो सकती हैं. इस समय पर इस समय पर बाजार में मूल्यों में वृद्धि भी देखने को मिल सकती है। पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में उत्तम कृषि तथा धान्य की स्थिति में सुधार होगा। फलों का अधिक उत्पादन होने से रस पदार्थों में मंदी रहेगी।

मेघेश- इस वर्ष का मेघेश शनि हैं, इस कारण कहीं अधिक वर्षा तो कहीं सूखे की स्थिति बनेगी. इस कारण जान-माल का नुकसान भी होगा. राज्य में नियमों की कठोरता के कारण लोगों के मन में चिंता और विरोध की स्थिति भी पनपेगी. बीमारी का प्रभाव लोगों पर जल्द असर डाल सकता है.

रसेश गुरु, सस्येश मंगल, धान्येश चंद्र के पास, ये होगा असर..

धान्येश चंद्र – बारिश में आध्यात्मिक अनुष्ठान से स्थिति अच्छी होगी। पशुधन की सुरक्षा का का लाभ मिलेगा। धान्येश चंद्रमा के होने से रसदार वस्तुओं में वृद्धि देखने को मिल सकती है। चावल कपास की खेती अच्छी हो सकती है। दूध के उत्पादन में भी तेजी आएगी। तालाब, नदियों में जल स्तर की स्थिति अच्छी रहने वाली है।

रसेस गुरु – रसेश का स्वामी गुरु के होने से साधनों की वृद्धि होगी। आर्थिक रुप से संपन्न लोगों के लिए समय ओर अनुकूल रह सकता है। फल और फूलों की पैदावर भी अच्छी होगी. विद्वान और ब्राह्मण व्यक्तियों को उचित सम्मान भी प्राप्त हो सकेगा। श्रावण व भादौ में जल की स्थिति अच्छी रहेगी। जल स्रोत लबालब रहेंगे। औषधियों का उत्पादन बढ़ेगा।

सस्येश मंगल – पशुधन पर संकट रहेगा। संक्रमण का प्रभाव बढ़ेगा। दक्षिण के कुछ प्रांतों में पेयजल संकट होगा। सामाजिक अस्थिरता, हिंसात्मक घटनाएं होंगी।

खरीफ का महकमा मंगल व रबी का चंद्रदेव के पास रहेगा, इससे ऋतु जनित प्रकोप से खरीफ पैदावार घट सकती है, जबकि रबी में आनुपातिक उत्पादन होगा। कृषि में नवाचारों पर शोध बढ़ेगा।

रसेश गुरु के पास और निरसेश मंगल के पास होना शुभ संकेत देता है।

नीरसेश मंगल का प्रभाव

नीरसेश अर्थात धातुएं इनका स्वामी मंगल के होने से माणिक्य, मूंगा पुखराज इत्यादि में महंगाई देखने को मिल सकती है. गर्म वस्त्र, चंदन लाल रंग की वस्तुएं ताम्बा, पीतल में तेजी देखने को मिलेगी.

यह गुड़, शक्कर, घी, तेल-तिलहन, दूध रसादि के कार्य तथा चंदन, कर्पूर, मूली-गाजर, लहसुन, आलू, शकरकंद, अदरक, सौंठ, अरबी-कंदमूल का व्यवसाय लाभदायक रहेगा। मूंग, हल्दी, मसूर, लाल मिर्च, रक्तचंदन, तांबा, कोयला, रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल, क्रूड ऑयल, केरोसीन, सुगंधित पदार्थों में तेजी रहेगी। हल्दी, नींबू, अम्ल पदार्थों का उत्पादन कम होने से भावों में तेजी रहेगी।

फलेश शनि का प्रभाव

फलेश शनि का प्रभाव होने पर फल की तादाद में कमी रह सकती है. इस समय वृक्षों पर फूल कम लग पाएंगे ऎसे में फलों का उत्पादन भी कम होगा. पर्वतीय स्थलों पर मौसम की अनियमितता के कारण अधिक परेशानी झेलनी पड़ सकती है.

धनेश मंगल का प्रभाव

इस समय में मंगल के धनेश होने से महंगाई का दौर अधिक रहने वाला है. व्यापार से जु़डी वस्तुओं में उतार-चढा़व की स्थिति बनी ही रहने वाली है. इस समय देश में आर्थिक स्थिति और अनाज उत्पादन में अनियमितता के कारण परेशानी अधिक रह सकती है.

दुर्गेश शनि का प्रभाव

दुर्गेश अर्थात सेना के स्वामी इस समय शनि होंगे. इस स्थिति के चलते अराजकता को निपटाने के लिए कठोर नियमों का सहारा लिया जा सकता है. इस समय जातीय सांप्रदायिक मतभेद भी उभरेंगे. पशुओं या कीट इत्यादि द्वारा फसल, कृषि को नुक्सान भी पहुंच सकता है।

नए वर्ष में कई ग्रह होंगे वक्री और मार्गी

पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार नए साल में गुरु 10 अप्रैल को वक्री होंगे और मार्गी 11 अगस्त को होंगे। इसी तरह शनि 30 अप्रैल को वक्री और मार्गी 18 सितम्बर को होंगे। बुध पांच मार्च को वक्री होंगे। पूरे साल में बुध तीन बार वक्री होंगे और तीन बार ही मार्गी होंगे।

कई राशियों का होगा परिवर्तन

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि नए वर्ष में कई ग्रहों का राशि परिवर्तन भी होगा। शनि का राशि परिवर्तन 30 साल बाद धनु में होगा। शनि इससे पहले 18 दिसम्बर 1987 को धनु राशि में थे। अगली बार शनि 8 दिसम्बर 2046 को धनु राशि में आएंगे। बृहस्पति ग्रह वृश्चिक राशि से धनु में 29 मार्च को प्रवेश करेंगे। राहु का गोचर परिवर्तन कर्क से मिथुन राशि में सात मार्च को होगा और केतु धनु में प्रवेश करेंगे। शनि के 1 मई 2019 तक मार्गी रहने एवं सीधी चाल रहने से कई राशियों को फायदा मिलेगा। गुरु का स्थान परिवर्तन होने से देश की स्थिति काफी मजबूत बनेगी।

इस वर्ष के मुख्य पर्व और त्योहार..

6 अप्रैल- गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्र शुरू
17 अप्रैल- महावीर जयंती,
19 अप्रैल- हनुमान जयंती,
16 जुलाई- गुरु पूर्णिमा,
5 अगस्त- नागपंचमी,
15 अगस्त- रक्षाबंधन,
23 अगस्त- जन्माष्टमी,
2 सितंबर- हरतालिका तीज,
3 सितंबर- गणेश चतुर्थी गणेशोत्सव
12 सितंबर- अनंत चतुदर्शी,
13 सितंबर- श्राद्धपक्ष प्रारंभ
28 सितंबर- सर्व पितृ अमावस्या
29 सितंबर- शारदीय नवरात्रि
8 अक्टूबर- दशहरा
17 अक्टूबर- करवा चौथ
27 अक्टूबर- दीपावली

जानिए नवसंवत्सर 2076 में कैसा रहेगा सभी राशियों के लिए राशिफल…

मेष – आर्थिक उन्नति होगी, पारिवारिक व सामाजिक स्थिति मध्यम रहेगी।

वृषभ – लाभप्रद स्थिति, भाग्य साथ देगा।

मिथुन – मांगलिक कार्य होंगें, अनुकूल स्थिति।

कर्क – आर्थिक राहत मिलेगी, भूमि-वाहन योग बनेंगें।

सिंह – प्रतिष्ठा में वृद्धि, संतान पक्ष को सफलता।

कन्या – मांगलिक कार्य होंगे।

तुला – धार्मिक-सामाजिक सक्रियता बढ़ेगी।

वृश्चिक – व्यापार विस्तार सम्भव, लक्ष्य प्राप्ति।

धनु – स्थान परिवर्तन संभावित, अनुकूल स्थिति।

मकर – आर्थिक उन्नति होगी, संतान प्राप्ति।

कुंभ – मनोरथ पूरे होंगे. पदोन्नति होगी।

मीन – भाग्य का पूरा साथ मिलेगा, संतान प्राप्ति।

Post By Religion World