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उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलते हैं सिर्फ साल में एक बार – क्यों?

एक्सक्लूजिव देखिए – कैसे खुले नाग चंद्रेश्वर मंदिर के द्वार, महाकाल की शयन आरती की परंपरा

उज्जैन के इस मंदिर के पट खुलते हैं सिर्फ साल में एक बार

भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक है, उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का. इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की खास बात यह है कि इसके पट साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी के दिन ही दर्शन के लिए सिर्फ 24 घंटे के लिए खुलते हैं. 28 जुलाई को नागपंचमी होने से 27 जुलाई की रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे और 28 जुलाई की रात 12 बजे तक दर्शन होंगे. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मंदिर में स्वयं 1000 साल से भी ज्यादा आयु के नागदेव मौजूद रहते हैं.

एक्सक्लूजिव देखिए – कैसे खुले नाग चंद्रेश्वर मंदिर के द्वार, महाकाल की शयन आरती की परंपरा

रात 12 बजे खुलेंगे पट

नागपंचमी महापर्व पर विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित प्राचीन श्री नागचंद्रेश्वर महादेव के गुरुवार-शुक्रवार की मध्य रात 12.00 बजे पट खुलेंगे और परंपरा अनुसार पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव का प्रथम पूजन करेंगे. पूजन के बाद मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे. भक्त 40 फीट ऊपर अस्थाई मार्ग से पहुंचकर बाबा के दर्शन करेंगे.

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नाग आसन पर होंगे शिव-पार्वती के अद्भुत दर्शन

नागचंद्रेश्वर मंदिर में श्रद्धालु 11वीं शताब्दी की अद्भुत प्रतिमा है. इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं. महानिर्वाणी अखाड़े के प्रतिनिधि महंत रामेश्वर दास महाराज ने बताया नागपंचमी पर इस प्रतिमा के दर्शन के बाद श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन करेंगे. कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी. उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है. ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन खुद नागदेव मंदिर में मौजूद रहते हैं और किस्मत वालों को ही इस एक हजार वर्षीय नागदेवता के दर्शन होते हैं.

मंदिर के लिए बना अस्थायी रास्ता

क्या है पौराणिक मान्यता

ऐसी मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया. कहते हैं कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सा‍‍‍न्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया. लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो. अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं. शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है. कहते हैं इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है.

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परमार राजा ने करवाया था मंदिर का निर्माण

यह मंदिर काफी प्राचीन है. माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसके बाद सिं‍धिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था. सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए. लगभग दो लाख से ज्यादा भक्त एक ही दिन में नागदेव के दर्शन करते हैं.

भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान

पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं. मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या.पर विराजित हैं. शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं.

 

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मनमोहक प्रतिमा है नागचंद्रेश्वर की

उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के सबसे ऊपरी तल पर बने इस मंदिर के दर्शन करने लाखों लोग यहां नागपंचमी के दिन पहुंचते हैं. नागचंद्रेश्वर के दर्शनों के लिए एक दिन पहले ही यहां श्रद्धालुओं को लंबी कतारें लग जाती हैं. मंदिर में प्रवेश करते ही दाईं ओर भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं. शेषनाग के आसन पर विराजित शिव-पार्वती की सुंदर प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालु स्वयं को धन्य मानते हैं. यह प्रतिमा मराठाकालीन कला का उत्कृष्ट नमूना है. यह प्रतिमा शिव-शक्ति का साकार रूप है.

घर बैठे करें लाइव दर्शन 

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जी हां, आप सभी श्रद्धालुओं के लिए रिलिजन वर्ल्ड 27 जुलाई की रात 12:00 बजे फेसबुक लाइव के माध्यम से नागचंद्रेश्वर मन्दिर से लाइव दर्शन कराएगा. लाइव दर्शन के लिए आप https://www.facebook.com/religionworldIN/ पर जा सकते हैं.

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Post By Shweta