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मेघेश शनि के वक्रि होने के फलस्वरूप और देरी दिखाएगा मानसून

मेघेश शनि के वक्रि होने के फलस्वरूप और देरी दिखाएगा मानसून

  • बन रहे हैं खंडवर्षा, अन्न के महंगें होने के योग

ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार जब सूर्य मिथुन राशि में आकर आद्र्रा नक्षत्र का भोग करते हैं, तब मानसून दस्तक दे देता है। बारिश के लिए मुख्य रूप से 8 नक्षत्र जिम्मेदार माने गए हैं क्रमशः आद्र्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी एवं हस्त। हालांकि चित्रा एवं स्वाति तक बारिश का क्रम चल जाता है।

उल्लेखनीय है कि सूर्य आद्र्रा नक्षत्र में 22 जून 2019 की शाम 5 बजकर 18 मिनट पर आ चुके हैं। फिर भी देश में कई राज्यों में मानसून नहीं आया। यह अभी तक केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडू में ही अटका हुआ है।

इनका तात्कालीन मुख्य कारण है वर्तमान परिधावी संवत्सर के राजा एवं मेघेश शनि का वक्र होना तथा सूर्य पर समसप्तक दृष्टि होना है। सूर्य आद्र्रा नक्षत्र का भोग लगभग 6 जुलाई तक करेंगे तदउपरांत पुनर्वसु नक्षत्र का भोग शुरू करेंगे। अतः 6 जुलाई के उपरांत मानसून आने का फलादेश बनता है। हालांकि सूर्य पर शनि का पूरी तरह प्रभाव 17 जुलाई को हटेगा, जब सूर्य मिथुन राशि को छोड कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। अतः देश में 17 जुलाई से 15 अगस्त के बीच औसत वर्षा दर्ज हो सकती है। 17 अगस्त को जब सूर्य अपनी स्वयं की सिंह राशि में आएंगे, तब संतोषजनक बारिश के योग बनते हैं, विशेष तौर पर 17 अगस्त से 16 सितंबर के मध्य।

18 सितंबर तक वक्र शनि देगा तेज हवाएं

वर्तमान में मेघेश शनि अपनी वक्र अवस्था में बना हुआ है। शनि अपना वक्रतत्व 18 सितंबर को त्यागेंगे। अतः उपरोक्त अवधि से पूर्व शनि तेज हवाओं, तूपफान, बने-बनाये काले बादलों को आगे धकेलने का काम करेंगे। परिणामस्वरूप कहीं अल्प वर्षा तो कहीं ज्यादा वर्षा भी संभव है।

देश में बारिश का संभावित क्रम

अब बात करते हैं कि देश के किन राज्यों में कब और कितनी बारिश हो सकती है। जुलाई से अगस्त मध्य में देश के मध्य एवं उत्तर-पूर्वात्तर राज्यों में अच्छी बारिश हो सकती है। अगस्त से सितंबर के मध्य देश के पूर्वी भाग सहित राजस्थान, गुजरात में बारिश हो सकती है। सितंबर से अक्टूबर मध्य में देश के पश्चिम भाग में बारिश हो सकती है। देश के दक्षिणी भाग में गत वर्षों की तुलना में इस वर्ष अच्छी बारिश की संभावना बनती है।

विशेष फलादेश

सितंबर के प्रारंभिक तीन सप्ताह अथवा उपरोक्त अवधि से पूर्व भी देश के पूर्व हिस्से जिसमें मुख्य रूप से उडीसा, पश्चिम बंगाल में तेज हवाओं अथवा तूफान का सामना करना पड सकता है। केरल, तमिलनाडू, सहित देश के दक्षिण-पश्चिम भागों में तेज बारिश दर्ज होने से जन-धन हानी संभव। देश के पूर्व-उत्तर के क्षेत्रों में तेज हवाओं की वजह से जंगलों का नुकसान तथा नदी-नालों में अत्यधिक भराव संभव है। अल्पवर्षा की वजह से देश के पश्चिम भारत सहित मध्य भारत के कुछ हिस्सों में सूखे की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता। ओवरआल इस वर्ष खंडवर्षा के योग बनते हैं। कहीं तेज, तो कहीं अल्प तो कहीं अत्यधिक अल्पता के साथ वर्षा हो सकती है। इस कारण भारत सरकार को अन्न महंगा होने, मंहगाई बढने की समस्या से दो-चार होना पड सकता है।

ज्योतिष विभाग
महर्षि वेद विज्ञान विश्व विद्यापीठम

Post By Religion World