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कन्या पूजन करने का सबसे आसान तरीका क्या है?

कन्या पूजन करने का सबसे आसान तरीका क्या है?

नवरात्रि के अंतिम दिनों में किया जाने वाला कन्या पूजन हर भक्त के लिए अत्यंत पावन और आवश्यक अनुष्ठान माना गया है। हिंदू धर्म में यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मान्यता है कि 2 से 10 वर्ष तक की छोटी कन्याओं में देवी दुर्गा के नौ रूप निवास करते हैं। इसलिए अष्टमी या नवमी को इन कन्याओं की पूजा करके व्रत की पूर्णता होती है और देवी माँ का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन कई बार लोग यह सोचकर उलझन में पड़ जाते हैं कि कन्या पूजन कैसे करें। आइए जानते हैं इसका सबसे आसान तरीका।

सही समय

कन्या पूजन के लिए अष्टमी या नवमी तिथि का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद घर की साफ-सफाई कर पूजा स्थल तैयार करना चाहिए। पूजा का सर्वोत्तम समय सूर्योदय से लेकर दोपहर तक होता है। माना जाता है कि इस समय किए गए पूजन का फल कई गुना बढ़ जाता है।

किन कन्याओं को बुलाएँ

कन्या पूजन में आमतौर पर 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है। इन्हें क्रमशः माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही एक छोटे बालक (लंगूर) को भी बुलाया जाता है, जिसे भैरव का स्वरूप समझकर पूजन किया जाता है। यह परंपरा इसलिए है क्योंकि बिना भैरव के देवी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

पूजन की विधि

सबसे पहले कन्याओं को घर बुलाकर उनका सम्मानपूर्वक स्वागत करें। उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएँ और उनके पाँव धोकर पूजा स्थल पर ले आएँ। इसके बाद उनके माथे पर रोली, चंदन या कुमकुम का तिलक करें, फूल अर्पित करें और चुनरी या रुमाल ओढ़ाएँ। इसके बाद देवी माँ के मंत्रों का जाप करते हुए कन्याओं को भोजन कराएँ।

भोजन में परंपरागत रूप से पूड़ी, काले चने और हलवे का प्रसाद अवश्य होना चाहिए, क्योंकि यह माता को अत्यंत प्रिय है। कन्याओं को प्रेमपूर्वक भोजन परोसें और यह ध्यान रखें कि वे संतुष्ट हों।

दक्षिणा और उपहार

भोजन के बाद कन्याओं को अपनी सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा, वस्त्र, फल या उपहार दें। कई लोग कन्याओं को लाल चुनरी, बिंदी, चूड़ियाँ या मिठाई भी भेंट करते हैं। अंत में उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। मान्यता है कि कन्याओं के आशीर्वाद से ही माँ दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।

विशेष ध्यान देने योग्य बातें

कन्या पूजन में सबसे महत्वपूर्ण है श्रद्धा और भाव। यह पूजा केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि समाज में स्त्री और कन्या के सम्मान का प्रतीक है। पूजा के दौरान स्वच्छता बनाए रखना, कन्याओं से प्रेमपूर्वक व्यवहार करना और उन्हें प्रसन्न करना सबसे आवश्यक है।

कन्या पूजन नवरात्रि का सबसे सरल और फलदायी अनुष्ठान है। इसे करने के लिए किसी विशेष कठिनाई या भारी-भरकम तैयारी की जरूरत नहीं है। बस सच्चे मन से छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनका सम्मान करें और भोजन कराएँ। यह पूजा न केवल आपके नवरात्रि व्रत की पूर्णता कराती है, बल्कि माँ दुर्गा की कृपा और जीवन में सुख-समृद्धि भी लेकर आती है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World