जगन्नाथ रथ यात्रा – भगवान जगन्नाथ का रथ कैसे बनता है?
हर साल जब रथ यात्रा का समय आता है, तो पुरी (ओडिशा) में एक अलग ही माहौल होता है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए भव्य रथ बनाए जाते हैं। लेकिन बहुत लोग नहीं जानते कि ये रथ कैसे बनते हैं और इसके पीछे कितनी मेहनत और परंपरा जुड़ी होती है।
रथ बनाने की शुरुआत कब होती है?
रथ निर्माण की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन होती है। ये वही दिन है जब किसान खेत में पहली बार हल चलाते हैं और इसे शुभ शुरुआत माना जाता है। उसी दिन से रथ निर्माण भी शुरू होता है। मंदिर के बढ़ई (बिस्वकर्मा जाति के लोग) अपने औजारों की पूजा करके रथ बनाना शुरू करते हैं।
रथ बनाने में कौन-सी लकड़ी लगती है?
रथ के लिए कोई भी लकड़ी नहीं ली जाती। इसके लिए खास पेड़ों की लकड़ियाँ होती हैं जैसे:
फासी
ढोसा
आस्था से जुड़ी कुछ और खास प्रजातियाँ
इन लकड़ियों को पहले से चिन्हित जंगलों से लाया जाता है। पेड़ काटने से पहले पूजा और मंत्रोच्चार होता है। यह सब बड़े नियम और विश्वास से किया जाता है।
रथ बनाते कौन हैं?
रथ बनाने का काम विशेष कारीगर परिवारों को ही सौंपा जाता है। ये परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यही काम करते आ रहे हैं। हर परिवार की जिम्मेदारी तय होती है – कोई पहिए बनाता है, कोई रथ की छत, कोई लकड़ी की सजावट।
रथ के मुख्य हिस्से
हर रथ अलग रंग और पहचान वाला होता है।
नीचे तीनों रथों की जानकारी दी गई है:
भगवान | रथ का नाम | रंग | पहिए |
---|---|---|---|
जगन्नाथ | नंदीघोष | लाल-पीला | 16 |
बलभद्र | तलध्वज | नीला-लाल | 14 |
सुभद्रा | पद्मध्वज | काला-लाल | 12 |
हर रथ के ऊपर एक गुंबदनुमा छत, लकड़ी की नक्काशी, हाथ से बनी सजावट, और एक बड़ा ध्वज (झंडा) होता है। सबसे ऊपर एक नीम की लकड़ी से बना ‘सुधर्शन चक्र’ भी होता है।
हर साल नया रथ क्यों बनता है?
ये बहुत खास बात है कि हर साल तीनों रथ नए बनाए जाते हैं।
पुराने रथों का उपयोग फिर नहीं होता। उनका विसर्जन (श्रद्धापूर्वक तोड़ना) किया जाता है। यह परंपरा बताती है कि भगवान के लिए हर साल नया रथ बनाया जाना चाहिए – यह पवित्रता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
रथ यात्रा से जुड़ी भावना
रथ बनाना केवल एक निर्माण कार्य नहीं, ये ईश्वर की सेवा है। बढ़ई इसे सिर्फ काम नहीं, बल्कि पूजा मानकर करते हैं। लकड़ी की हर कील, हर हिस्से में भक्ति झलकती है।
जब हम रथ यात्रा में भगवान के रथ को खींचते हैं, तो उस रथ में सैकड़ों लोगों की मेहनत, परंपरा और आस्था जुड़ी होती है। हर साल ये रथ बनते हैं, टूटते हैं, फिर से बनते हैं – और इसी चक्र में हमारी आस्था सदा चलती रहती है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो