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जूडा सिनागॉग: दिल्ली के दिल में बसा है छोटा सा इजरायल

जूडा सिनागॉग: दिल्ली में बसा है छोटा सा इजरायल

दिल्ली की खान मार्केट के पास हुमांयू रोड पर जूडा सिनागॉग नाम धार्मिक स्थल है. हर शुक्रवार को कुछ लोग ‘शाबात’ के लिए यहां इकट्ठा होते हैं. ‘शाबात’ का मतलब यहूदियों द्वारा की जाने वाली ईश्वर की प्रार्थना है. नई दिल्ली में रहने वाले कुछ यहूदी परिवारों के अलावा इजरायल और अन्य देशों के कुछ डिप्लोमैट भी यहां आते हैं. साथ ही कुछ गैर यहूदी लोग भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं.

क्या है जुडा सिनागॉग

जूडा सिनागॉग इस बात का प्रतीक है कि कैसे यहूदी समुदाय के लोग भारत में अपना आधार बना चुके हैं. जूडा सिनागॉग में कुछ ही लोग हैं जो विश्वास और एकता बनाये हुए हैं.

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क्या है शाबात की प्रक्रिया

शाबात शाम 7 बजे शुरू होता है. इसके जरिए, 7-8 यहूदी परिवारों का छोटा सा समूह अपनी संस्कृति को जिंदा रखने की कोशिश कर रहा है. इनमें कुछ की कहानियां 4 पीढ़ी पुरानी भी हैं. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए एक रशियन और ईसाई जोड़ा भी वहां मौजूद था. सभी एक ही साहित्य पढ़ते हुए ईश्वर की प्रार्थना कर रहे थे. इस दौरान दिल्ली के दो युवा डॉक्टर भी वहां मौजूद थे. 2007 में यहां एक भव्य आयोजन हुआ था, जिसमें दुनिया भर के करीब 12 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था.


यहूदी समुदाय के प्रमुख सदस्य मालेकर से बातचीत के दौरान पता चला कि मालेकर का जन्म पुणे में हुआ, लेकिन 1980 में वह दिल्ली आकर रहने लगे. उनकी अपनी कहानी में भारत में यहूदियों का इतिहास नजर आता है. वह अपने आखिरी नाम ‘मालेकर’ का हवाला देते हुए बताते हैं कि जब यहूदी भारत आए तो बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में रहते थे. इसलिए उनके उपनाम वहां के गांवों से जुड़े हैं.

सिनागॉग यहूदियों और यहूदी धर्म में रूचि रखने वालों की एक प्रमुख जगह है. इस सिनागॉग ने यहूदियों को अन्य समुदायों के लोगों के साथ शादी करते हुए भी देखा है. यहां हिब्रू की क्लास भी लगती है.

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भारत में यहूदियों को अल्पसंख्यक के दर्जे पर मालेकर ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि यहूदी समुदाय को अल्पसंख्यकों का दर्जा मिलेगा. इससे न केवल हमारे बच्चों को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी, बल्कि उस देश में हमारी पहचान को भी मजबूती मिलेगी, जहां शांति और सद्भाव से रहते हैं.’

मुंबई में रहने वाली एक टीचर हाना जुदाह दिल्ली में 2010-12 के अपने दिनों को याद करते हुए कहती हैं, ‘हमारा समुदाय काफी छोटा है, ऐसे में सिनागॉग ही एक जरिया जो हमें एक-दूसरे से जोड़े रख सकता है. हम जब दिल्ली में होते हैं तो अपने त्योहार मनाने के लिए महाराष्ट्र भवन जाते हैं. इसके अलावा अब तो वॉट्सऐप के जरिए भी एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं.’

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Post By Shweta