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शिष्य के अधूरेपन को पूरा करता है सद्गुरु ः डॉ पण्ड्या

शिष्य के अधूरेपन को पूरा करता है सद्गुरु ः डॉ. पण्ड्या

  • गुरुपूर्णिमा श्रद्धा के मूल्यांकन का महापर्व ः शैलदीदी
  • बड़ी संख्या में हुए गुरु दीक्षा सहित विभिन्न संस्कार, कई देशों में एक साथ चान्द्रायण साधना की शुरुआत
हरिद्वार 27 जुलाई। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सद्गुरु अपने शिष्य की पात्रता को विकसित करने के साथ उसके जीवन के अधूरेपन को दूर करने का कार्य करता है। सद्गुरु के ज्ञान का कोष सदैव भरा रहता है। वह ज्ञानवान, विवेकशील एवं भावनाओं से परिपूर्ण होता है।

सद्गुरु डॉ पण्ड्या

सद्गुरु डॉ पण्ड्या
 
श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित गुरुपूर्णिमा महापर्व के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर देश-विदेश के कई हजार गायत्री साधक उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि यथार्थ ज्ञान को जानने का महापर्व गुरुपूर्णिमा है। सच्चे गुरु का वरण कर उनके बताये सूत्रों को जीवन में उतारने एवं उनके सूझाये मार्गों पर चलने से शिष्य महानता की ओर अग्रसर होता है। उन्होंने उपनिषद, गीता सहित विभिन्न आर्षग्रन्थों का उदाहरण देते हुए गुरु-शिष्य के संबंध को उकेरा। अपने चार दशक के चिकित्सकीय अनुभव का जिक्र करते हुए डॉ. पण्ड्या ने कहा कि मनुष्य के मस्तिष्क का केवल 13 प्रतिशत भाग सक्रिय हो पाता है, जबकि सद्गुरु अपने शिष्य के शेष 87 प्रतिशत भाग को भी जगाने में समर्थ होता है।
सद्गुरु डॉ पण्ड्या
 
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने गुुरु पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाले चान्द्रायण व्रत की शुरुआत की और कहा कि यह प्रत्येक वर्ष इन्हीं तिथियों में चलाया जायेगा। इस वर्ष कई देशों के 2400 से अधिक साधक अपना पंजीयन करा चुके हैं। इसके साथ ही शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती 2021 में तथा 2019 में नेपाल, 2020 में हैदराबाद, जनवरी 2021 में मुम्बई और दिसम्बर 2021 में तिरुपुर (तमिलनाडू) में अश्वमेध गायत्री महायज्ञ की घोषणा के साथ विधिवत् प्रयाज का शंखनाद किया। डॉ. पण्ड्या ने गुरु पूर्णिमा से अगले एक माह तक चलने वाले वृक्षारोपण में भी भागीदारी करने का आवाहन किया, तो वहीं आगामी 02 अक्टूबर को पोरबंदर में भारत को नशा मुक्त करने के लिए सत्याग्रह करने की घोषणा की। इसके साथ ही दुनिया भर में फैले अंधविश्वास को वैज्ञानिक अध्यात्मवाद से मिटाने के लिए गायत्री साधकों को तैयार करने की बात कही।
संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने गुरु को भाव संवेदना की मूर्ति बताया और कहा कि गुरु वह कुम्हार है जो शिष्य के व्यक्तित्व को निखारता है और उसे सुगढ़ बनाता है। उन्होंने कहा कि गुरुपूर्णिमा आत्म मूल्यांकन का महापर्व है। उन्होंने कहा कि सद्गुरु शिष्य की श्रद्धा, प्रतिभा को उभारता है, जिससे शिष्य का स्तर जनसामान्य से ऊँचा उठता है। पूज्य गुरुदेव ने गायत्री परिवार के करोड़ों अनुयायियों को ऊँचा उठाया है। शैलदीदी ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए गुरु-शिष्य परंपरा पर विस्तृत जानकारी दी।
 
इस अवसर पर देश-विदेश से आये हजारों शिष्यों ने पूज्य आचार्यश्री के युग निर्माण की संजीवनी विद्या, सद्विचार, सद्साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर डॉ पण्ड्या व शैल दीदी ने फ्रेंच, अंग्रेजी, पंजाबी की किताबों तथा युग सृजन नामक मोबाइल एप की शुरुआत की। वहीं शांतिकुंज में विद्यारंभ, उपनयन, मुण्डन, विवाह आदि संस्कार बड़ी संख्या में निःशुल्क संपन्न कराये गये। गुरुदीक्षा भी सैकड़ों की संख्या में हुई, जिसे स्वयं युगऋषि पूज्य गुरुदेव के प्रतिनिधि के रूप में डॉ पण्ड्या व शैलदीदी ने दी। मुख्य कार्यक्रम का मंच संचालन श्याम बिहारी दुबे ने किया। संगीत विभाग के युग गायकों द्वारा सुन्दर प्रस्तुतियाँ दी गयीं। सायं भव्य दीपमहायज्ञ हुआ।
 
शांतिकुंज ने बाँटे तीन हजार से अधिक पौधे
 शांतिकुंज गुरु पर्व मनाने आये साधकों को विदाई के समय एक-एक पौधा तरु प्रसाद के रूप में दिये गये। साथ ही उन्हें रोपने व संरक्षण के लिए समझाया। वहीं अखण्ड दीप दर्शन, हवन आदि क्रम में लंबी लाइन दिखी, जहाँ पंक्ति में खड़े श्रद्धालुओं को भारत स्काउट गाइड के बच्चे पानी पिलाते नजर आये।
Post By Religion World