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परमार्थ निकेतन में शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व और विविधता में एकता को बढ़ावा देने के लिये पारस्परिक संवाद बैठक का आयोजन

परमार्थ निकेतन में शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व और विविधता में एकता को बढ़ावा देने के लिये पारस्परिक संवाद बैठक का आयोजन

  • गंगा के तट पर बह रही है एकता और प्रेम की धारा
  • बच्चो के सर्वांगीण विकास और देश के नवनिर्माण के लिये शिक्षा के साथ संस्कारों का होना नितांत आवश्यक – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
  • हमारी शिक्षा शान्ति की स्थापना के लिये हो शक्ति प्रदर्शन के नही – मौलाना कोकब मुस्तबा

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आज ऐतिहासिक और वर्षो तक यादगार बना रहने वाला सुनहरा अवसर है जब मन्दिरों के पुजारी, मस्जिदों के इमाम, गुरूकुलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थी, मदरसों में पढ़ने वाले छात्र और विश्व स्तर के हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुुरूओं ने गंगा तट पर एकजूट होकर एकता, शान्ति, अमन, चैन, भाईचारा, पर्यावरण व जल संरक्षण का संदेश दिया।

परमार्थ गंगा के तट पर आज की सुबह केसरिया और सफेेद रंग का संगम लेकर आयी। केसरिया रंग में रंगे गुरूकुल के ऋषिकुमार और सफेद रंग के लिबास पहने मदरसों के प्यारे-प्यारे बच्चे एक साथ रहकर, साथ-साथ खाते-पीते एकता का संदेश दे रहे है। ये बच्चे हमंे दिखावा नहीं बल्कि दिल से जीने की प्रेरणा दे रहे है।

पारस्परिक संवाद बैठक के दूसरे दिन कायसीड डाॅयलाग सेन्टर के सदस्य डाॅ केजेविनो आरम, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी एवं कार्यक्रम निदेशक कायसीड डाॅयलाग सेन्टर सैफुल्ला मंसुर जी ने हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरूओं का स्वागत और अभिनन्दन किया।

पारस्परिक संवाद बैठक का परिचय एवं उद्देश्य के विषय में कायसीड डाॅयलाग सेन्टर के समन्वयक अधिकारी रेनाटा नेल्सन ने जानकारी प्रदान की। तत्पश्चात हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरूओं ने प्रेरक संदेश एवं उद्बोधन दिये। सभी ने एक स्वर में कहा कि जब तक पर्यावरण और जल प्रदूषण की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता तब तक हम विश्व शान्ति की स्थापना नहीं कर सकते। ये समस्यायें वैश्विक समस्यें है इनका समाधान भी वैश्विक स्तर पर ही सम्भव है। प्रदूषण और मौलिक समस्याओं के अभाव में व्यक्ति के जीवन में शान्ति का समावेश नहीं हो सकता।

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने संवाद बैठक को सम्बोधित करते हुये कहा, ’’बच्चोेें के सर्वांगीण विकास और देश के नवनिर्माण के लिये शिक्षा के साथ संस्कारों का होना नितांत आवश्यक है। शिक्षा और संस्कार के अभाव में हमारा युवा विचारहीनता और आदर्श शून्यता के भवर में डूब सकता है। शिक्षा के साथ संस्कारों का समावेश कर समाज में आत्मचेतना, आत्मविश्वास और जागरूकता का समावेश किया जा है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज हमें ऐसी शिक्षा पद्धति की जरूरत है जिससे बच्चेे आत्मनिर्भर बने; उनका सर्वांगीण विकास हो; वे पैसे के साथ पीस (शान्ति) पर भी ध्यान दे। उन्होने देश के युवाओं से आह्वान किया कि सद्भाव, भाईचारा, वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की भावना को आत्मसात कर देश की प्रगति में योगदान प्रदान करें।

स्वामी जी महाराज ने युवाओं से आह्वान करते हुये कहा कि ’’कर कुछ ऐसा की दुनिया बनना चाहे तेरे जैसा’’। प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश देते हुये उन्होने कहा कि सबसे उंची प्रेम सगाई, आपसी प्रेम ही है सब समस्याओं का समाधान।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने श्री राम मन्दिर मुद्दे पर बोलते हुये कहा कि एक मिसाल हम कायम करे तथा समाधान की मशाल लेकर आगे बढ़े तो अद्भुत कार्य हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट का हम सभी मिलकर सम्मान करे, संविधान का सम्मान करे साथ ही साथ हम अपने समाधान को आगे ले आये तो मुझे लगता है उसका कुछ विलक्षण असर भारत सहित पूरे विश्व में होगा इसलिये आईये मिलकर उस समाधान की ओर आगे बढ़े।

महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द जी महाराज ने कहा कि ’जिस प्रकार परमार्थ निकेतन में समता और समरसता की धारा बह रही है ऐसी ही धारा यदि अयोध्या में श्री राम मन्दिर बनाने के लिये भी बहे तथा मुस्लिम समाज आगे बढ़ कर अपनी उदारता का संदेश दे तो विलक्षण कार्य हो सकता है।

मौलाना कोकब मुस्तबा जी ने कहा कि मोहब्बत के साथ रहना और शान्ति की स्थापना के लिये कार्य करना ही सच्ची इबादत है। शिक्षा चाहे मन्दिरों में दी जा रही हो या मस्जिदों में यह जरूरी नहीं है जरूरी तो यह है कि हम अपने आने वाली पीढ़ियों को क्या बनाना चाहते है? हमारी शिक्षा शान्ति की स्थापना के लिये हो शक्ति प्रदर्शन के नहीं।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने बताया कि विश्व स्तरीय जल विशेषज्ञ कहते है कि वर्ष 2040 तक पीने का पानी आधा रह जायेगा ऐसे स्थिति में आगामी युद्ध जल के लिये हो सकता है ऐसा कहा जा रहा है। साथ ही कहा जा रहा है कि आगामी समय में जल शरणार्थी की संख्या सबसे अधिक होगी। इन भयावह समस्याओं से निपटने के लिये हमें आज से ही कठोर प्रयास करने की जरूरत है।

प्रातःकालीन सत्र के पश्चात सभी धर्मगुरूओं एवं प्रतिभागियों ने परमार्थ निकेतन में रोपित सद्भाव और समरसता का प्रतीक पीपल, पाकड़ और बरगद के पौधों को जल अर्पित कर पर्यावरण संरक्षण और सद्भावना का संदेश दिया। सभी धर्मगुरूओं ने मिलकर ’’विविधता में एकता, शान्ति और भाईचारा’’ का संदेश प्रसारित करने हेतु रूद्राक्ष के पौधे का रोपण किया। विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की पर्याप्त आपूर्ति होती रहे इसी भावना से विश्व जल का जलाभिषेक सभी हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरूओं और विद्यार्थियों ने किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि पृथ्वी पर जल और प्राणवायु आक्सीजन रहेगी तभी तक जीवन रहेगा, जीवन है तो इबादत, प्रार्थना और शान्ति है इसलिये आज हमारी सबसे बड़ी जरूरत जल और पर्यावरण संरक्षण की है। आईये हम सभी मिलकर पर्यावरण, जल और नदियों के संरक्षण का संकल्प करे। सभी ने हाथ खड़े कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।

दो दिनों तक चलने वाली कार्यशला तथा आने वाली कार्यशालाओं के लिये एक दूसरे के साथ मिलकर हिंसा को दूर रखते हुये, अहिंसा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाते हुये प्रेम और सदभाव के सेतु बना सके इस समाधान हेतु बनाये गये ड्राफ्ट का विमोचन भी सभी धर्मगुरूओं ने मिलकर किया ताकि युवा पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया जा सके। इसके लिये सभी के सुझावों को भी आमंत्रित किया गया जिससे इस ड्राफ्ट को और अधिक समृद्ध बनाया जा सके।

KAICIID के अधिकारियों ने विद्यार्थियों को खेल के माध्यम से शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व और विविधता में एकता को बढ़ावा देने वाले खेल खिलाये। इस आयोजन की सभी ने मुक्त कंठ से प्रशन्सा करते हुये इसे हिन्दू – मुस्लिम एकता की मिसाल बताया।ं प्रातःकालीन सत्र का शुभारम्भ वेद मंत्रों के साथ हुआ तथा समापन ’भारत माता की जय’ और राष्ट्रगीत के साथ किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरूओं ने दोनों सम्प्रदाय के विद्याथियों को रूद्राक्ष के पौधे भेंट किये ताकि वे मिलकर वृक्षारोपण करे। साथ ही यह संदेश दिया कि वे नफरत को अपने दिलों में जगह न दे तथा मोहब्बत, प्रेम, सद्भाव, समरसता, भाईचारे के साथ जीवन में आगे बढे़ जिससे परिवार, राष्ट्र और विश्व में शान्ति स्थापित हो सके।

9 दिसम्बर के आयोजन में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, में पारस्परिक बैठक में सम्मिलित हुये प्रमुख धर्मगुरू एवं विशिष्ट अतिथि

1 पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, संस्थापक ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस ( जीवा )
2  पूज्य स्वामी कैलाशानन्द जी
3 पूज्य स्वामी हरिचेतनानन्द जी, हरिद्वार
4 पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती, अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस,
5 पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानन्द जी
6 पूज्य श्री कांतजी व्यास,  कथाकार
7 पूज्य ध्यानमूर्ति माताजी, कथाकार
8 12 पूज्य स्वामी कमलदास जी
9 पूज्य स्वामी रूपेश प्रकाश
10 श्री श्रीकांत व्यास

मुस्लिम धर्मगुरू

1 इमाम उमर अहमद इलियासी जी, अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष
2 मौलाना अब्दुल्ला जी, देवबंद
3 मौलाना कोकब मुस्तबा जी
4 हाजी सैयद सलमान चिस्ती जी, गद्दी नशीन अजमेर
6 मौलाना लुकमान तारापुरी जी, गुजरात
7 सैयद अब्बास मुर्तजा शमसीजी, प्रबंध निदेशक, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान फाउण्डेशन, संयुक्त सेक्रेटरी/प्रबंधक शिया डिग्री काॅलेज
8 मुफ्ती रायसजी, देहरादून
9 मुफ्ती नसीहुर रहमान, प्रिंसिपल अल जीमयतुल इस्लामिया बनत, मदरसा मंगलदाई, दरारंग, असम

राजनैतिक नेता

1 माननीय संसद सदस्य श्री रमेश पोखरियाल निशंक जी
2 आरूषि निशंक, स्पेशल गंगा के राष्ट्रीय संयोजक
3 कई अन्य विशिष्ट अतिथि।

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