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कैसे करें पहला करवाचौथ ?

कैसे करें पहला करवाचौथ ?

करवा चौथ का त्यौहार नव विवाहित हिन्दू महिलाओं के लिये बहुत महत्व रखता है। यह उसकी शादी के बाद पति के घर पर बहुत बङा अवसर होता है। करवा चौथ के अवसर के कुछ दिन पहले से ही वह और उसके ससुराल वाले बहुत सारी तैयारियॉ करते है। वह सभी नयी वस्तुओं से इस प्रकार तैयार होती है जैसे उसकी उसी पति से दुबारा शादी हो रही हो। सभी ( मित्र, परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और पङोसी) एक साथ इकट्ठे होकर इसे त्यौहार की तरह मनाते है। उसे उसके विवाहित जीवन में समृद्धि के लिये अपने पति, मित्रों, परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और पङोसियों से बहुत सारे आशीर्वाद और उपहार मिलते है।

उसे अपनी पहली करवा चौथ पर अपनी सास से पहली सरगी मिलती है। पहली सरगी में साज सज्जा का सामान, करवा चौथ से एक दिन पहले का खाना और अन्य बहुत सारी वस्तुऍ ढेर सारे प्यार और खुशहाल जीवन के लिये आशीर्वाद शामिल होता है।वह आशीर्वाद पाने के लिये घऱ के बङों और रिश्तेदारों के पैर छूती है।

पहला बाया देने की भी प्रथा है। यह सूखे मेवे, उपहार, मीठी और नमकीन मठरी, मिठाई, कपङे, बर्तन आदि का समूह होता है, लङकी की माँ द्वारा लङकी की सास और परिवार के अन्य सदस्यों के लिये भेजा जाता है। यह एक बेटी के लिये बहुत महत्वपूर्ण होता है जो पहली करवा चौथ पर इसका बेसब्री से इंतजार करती है। करवा चौथ की पूजा के बाद पहला बाया सभी परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और पङोसियों के बीच बॉटा जाता है।

अंत में, नविवाहित दुल्हन को अपने पति से रात्री भोजन के समय चन्द्रोदय के समारोह के बाद बहुत ही खास उपहार मिलता है। इस दिन उनके बीच प्यार का बंधन मजबूती के साथ बढता है, पति अपनी प्रिय पत्नी के लिये बहुत गर्व महसूस करते है क्योंकि वे उनके लिये बहुत कठिन व्रत रखती है। वे अपनी पत्नी को बहुत सारा प्यार और सम्मान देते है और बहुत सारी देखभाल औऱ करवा चौथ के उपहार द्वारा उन्हें खुश रखते है। इस दिन वे अपनी पत्नी को पूर्ण आनन्द करने और स्वादिष्ट भोजन करने कराने के लिये किसी अच्छी दिलचस्प जगह लेकर जाते है जिस से कि कम से कम साल में उन्हें एक दिन के लिये घर की जिम्मेदारियों से आराम मिलें।

ऐसे मनाएं चंद्रोदय समारोह

महिलाऍ चंद्रोदय समारोह की रस्म के लिए अपनी पूजा थाली को तैयार करती है। पूजा थाली में घी का दीया, चावल के दाने, पानी भरे बर्तन, माचिस, मिठाई, पानी का एक गिलास और एक छलनी शामिल है। एक बार आकाश में चंद्रमा उगने के बाद, महिलाऍ चाँद देखने के लिए अपने घरों से बाहर आती है। सब से पहले वे चन्द्रमा को अर्घ्य देती है, चाँद की ओर चावल के दाने डालती है, छलनी के अन्दर घी का दिया रखकर चॉद को देखती है। वे अपने पतियों की समृद्धि, सुरक्षा और लंबे जीवन के लिए चंद्रमा से प्रार्थना करती हैं। चाँद की रस्म पूरी करने के बाद, वे अपने पति,सासु मॉ और परिवार अन्य बडों के पैर छू कर सदा सुहागन और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद लेती हैं। कहीं कहीं चाँद को सीधे देखने के स्थान पर उसकी परछाई को पानी में देखने का रिवाज है। पैर छूने के बाद, पति अपने हाथों से अपनी पत्नी को मिठाई खिलाकर पानी पिलाता है।

क्या हो करवाचौथ के उपहार

करवा चौथ के बहुत सारे उपहार पति, माँ, सासु माँ और परिवार के अन्य सदस्यों और मित्रों द्वारा उन महिलाओं को विशेष रुप से दिये जाते है जो अपना पहला करवा चौथ का व्रत रखती है। यह माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत बहुत कठिन है,बिना कुछ खाये पीये पूरा दिन व्यतीत करना पडता है। यह हर विवाहित महिला के लिए अपने पति के लिए उपवास रखकर उनसे कुछ खूबसूरत और महंगे तोहफे पाने जैसे आभूषण, चूड़ियाँ, साड़ी, लहंगे, फ्रॉक सूट, नए कपड़े, और मिठाई और अन्य पारंपरिक उपहार पाने का सुनहरा मौका होता है। महिलाऍ बहुत सारे प्यार और स्नेह के साथ अविस्मरणीय उपहार प्राप्त करती है जो खुशी के साथ साथ उनके पति के साथ उनके रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है।

लेख – पं. दयानंद शास्त्री, उज्जैन 

Post By Religion World