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कथा क्रम : दिल्ली में भागवताचार्य देवी चित्रलेखा का श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ

!! श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ !!

स्थान – गांधी आश्रम कींगस्वे कैँप जी टी बी नगर दिल्ली
समय – दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक
कथा का तृतीय दिवस

भगवान् का नाम ही सबसे बड़ी भक्ति है, जीव को प्रभु नाम में विश्वास रखना चाहिए – देवी चित्रलेखाजी

गांधी आश्रम कींगस्वे कैँप में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में पूज्या देवी चित्रलेखाजी ने अपनी मधुर वाणी से श्रवण कराते हुए कहा कि जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता है। और माया में लिपट जाने के कारण जीव अपने कल्याण के लिए कुछ नहीं कर पाता। वह जैसे जैसे कर्म करता जाता है वैसे वैसे फल उसे भोगने पड़ते हैं।

बताया के मृत्यु के बाद जीव को 28 नरकों में से अपने कर्म के अनुसार किसी को भोगना पड़ता है तामिस्, अंध्र तामृस्, शैरव, माहरोख, काल असि पत्रवन इत्यादि 28 प्रकार के नरक हैं। और फिर अजामिल उपाख्यान की कथा, अजामिल जिसने जीवन भर पाप कर्म किये हर प्रकार से वह दुष्कर्मी था मगर घर आये संतों की एक बात मान कर अपने पुत्र का नाम उसने नारायण रख दिया। और जीवन के अंत समय में अपने पुत्र के प्रति मोह के कारण नारायण नारायण पुकारने के कारण ही उसे जो यमदूत लेने आये थे वो उसे यमलोक न ले जा सके और वह गौलोक वासी हुआ। तात्पर्य ये है की जीव को भगवान् नाम के प्रति सच्ची आस्था रखनी चाहिए। फिर वह नाम चाहे आलस में ले या भाव से ले। इसके बाद देवीजी ने गुरु और शिष्य के बंधन पर प्रकाश डाला कहा कि सच्चे गुरु और शिष्य के सम्बन्ध का उद्देश्य सिर्फ भगवद् प्राप्ति होती है, जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है।


इसके पश्चात श्री सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को सृष्टि प्रकरण का वर्णन श्रवण कराया की कैसे कैसे इस सृष्टि की रचना हुई। और कथा विश्राम से पूर्व भगवान् के सबसे कम उम्र के भक्त श्री प्रह्लाद जी महाराज की कथा सुनाई। प्रह्लाद जी जो मात्र 5 वर्ष की उम्र में भगवान को पाने के लिए अकेले जंगल में चले गए। उन्हें स्वयं श्री नारद जी ने गुरु बन कर जाप मंत्र दिया। और इस मंत्र का जाप करते हुए जब भक्ति की सबसे ऊँची स्तिथि पर प्रह्लाद जी पहुच गए तब स्वयं नारायण जी ने पधारकर प्रह्लाद जी को दर्शन दिए।


इस प्रकार कथा के प्रसंगों को कह के कथा के तृतीय दिवस को वश्राम दिया गया। कथा के चतुर्थ दिवस में भगवान् के भक्तो की कथा और भगवान् के 24 अवतारो में से विशेष श्री वामन अवतार और भगवान् राम जन्म की कथा व कृष्ण जन्मोत्सव् मनाया जाएगा।

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