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भाई दूज क्यों मनाई जाती है? यमराज और यमुनाजी की अद्भुत कथा

भाई दूज क्यों मनाई जाती है? यमराज और यमुनाजी की अद्भुत कथा

दीपावली के पाँच दिनों के उत्सव का अंतिम दिन होता है — भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह दिन भाई और बहन के पवित्र संबंध का प्रतीक माना जाता है। जहाँ रक्षाबंधन में बहन भाई की रक्षा के लिए राखी बांधती है, वहीं भाई दूज पर बहन अपने भाई की दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती है। इस पर्व के पीछे एक अत्यंत सुंदर और भावनात्मक कथा जुड़ी है — यमराज और यमुनाजी की कथा।

यमराज और यमुनाजी की पवित्र कथा

पुराणों के अनुसार, सूर्यदेव और संवरणा देवी के दो संतान थे — पुत्र यमराज और पुत्री यमुना (यमुनाजी)। यमुनाजी अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और चाहती थीं कि उनका भाई कभी उनके घर आए।लेकिन यमराज अपने कार्यों में इतने व्यस्त रहते थे कि उन्हें अपनी बहन से मिलने का समय नहीं मिलता था।

एक दिन यमुनाजी ने अपने भाई को निमंत्रण भेजा कि वे उनके घर आएं और भोजन करें। बहुत दिनों बाद, जब यमराज को समय मिला, तो वे अपनी बहन यमुना के घर पहुँचे। यमुना ने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया, आरती उतारी, तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन कराया।

यमराज का आशीर्वाद

यमराज बहन के स्नेह और आदर से अत्यंत प्रसन्न हुए।उन्होंने यमुना से कहा —

“हे बहन! आज से जो भी बहन अपने भाई को इस दिन प्रेम से तिलक लगाएगी,
उसके भाई को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा और वह लंबी आयु प्राप्त करेगा।”

उस दिन कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि थी। तभी से यह दिन भाई दूज या यम द्वितीया के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है, मिठाई खिलाती है और उसके जीवन की मंगलकामना करती है।

भाई दूज का आध्यात्मिक अर्थ

भाई दूज केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं, बल्कि आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक है। यह भाई-बहन के बीच स्नेह, सम्मान और विश्वास का संदेश देता है। इस दिन तिलक लगाने का अर्थ है  “तेरे जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहे।”

बहन अपने भाई को तिलक लगाकर यह कामना करती है कि जैसे यमुनाजी ने अपने भाई को अमरत्व का आशीर्वाद दिलाया, वैसे ही उसके भाई को भी कभी किसी संकट का सामना न करना पड़े।

भाई दूज की परंपरा

इस दिन बहनें अपने भाई को आमंत्रित करती हैं, तिलक लगाती हैं, आरती उतारती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। भाई बदले में बहन को उपहार और सुरक्षा का वचन देता है। कई स्थानों पर यह परंपरा यमुनाजी में स्नान करने की भी होती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमुना में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

भाई दूज हमें यह सिखाता है कि पारिवारिक प्रेम ही सच्ची संपत्ति है। भगवान यमराज और यमुनाजी की यह कथा हमें यह याद दिलाती है कि स्नेह, समय और सम्मान – ये ही वो उपहार हैं जो रिश्तों को अमर बनाते हैं।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World