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अटल बिहारी वाजपेयी जी की अस्थियाँ मोक्षदायिनी गंगा की गोद में समायी

अटल बिहारी वाजपेयी जी की अस्थियाँ मोक्षदायिनी गंगा की गोद में समायी

  • भारतीय राजनीति का सूर्य आज गंगा में हुआ विलीन
  • अटल जी की अस्थियाँ मोक्षदायिनी गंगा की गोद में समायी
  • अस्थि विसर्जन नहीं बल्कि आस्था के सृजन का पर्व-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
  • स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि गंगा सहित देश की सभी नदियों की स्वच्छता के लिये  संसद में कानून पारित हो यही श्री अटल बिहारी वाजपेजी के लिये सच्ची श्रद्धांजलि होगी

ऋषिकेश, 19 अगस्त। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की अस्थियों का विसर्जन आज हर की पौड़ी हरिद्वार के किया गया। इस अवसर पर गृहमंत्री, भारत सरकार श्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष, श्री अमित शाह, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकार श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पतंजलि योगपीठ से आचार्य बालकृष्ण जी, पूज्य स्वामी सत्यमित्रानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द जी महाराज, स्वामी रविन्द्रपुरी जी महाराज, अनेक संत, श्री रमेश पोखरियाल जी, शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक जी, श्री अरविन्द पान्डे जी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू जी, विधामसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल, श्री शिवप्रकाश जी, अटल जी के परिवार के सदस्य एवं अनेक राजनीतिक दिग्गजों ने सहभाग किया। गंगा में अस्थियों के विसर्जन के समय वहां उपस्थित सभी की आखें नम हो गयी उस समय बाहर तो गंगा की धारा बह रही थी परन्तु सभी के दिलों में अटल जी की यादों का सैलाब हिलोंरे ले रहा था। सभी ने अपने प्यारे अटल जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। 

 हरिद्वार, भल्ला मैदान से बह्मकुण्ड, हर की पौड़ी के लिये निकली अस्थि कलश यात्रा में हजारों की संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता और आम नागरिक शामिल हुये।

 भारतीय राजनीति का सूर्य आज वेदमंत्रों के साथ मोक्षदायिनी गंगा में विलीन हो गया। भारत के इस ऐतिहासिक नेता ने अपने जीवन से ऐसे अनेक उदाहरण प्रस्तुत किये जो आने वाली पीढ़ियों का प्रथ प्रदर्शन करते रहेंगे। अटल जी ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जो विश्व पटल पर अपने को स्थापित करने के पश्चात भी विचारों से बिल्कुल सरल, सहज और शांत थे।  

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व हिमालय की तरह विराट और गंगा की तरह पवित्र और निर्मल था। आज तक श्री अटल जी दिलों पर राज करते रहे सब के दिलों में समाये और आज गंगा में समाये और गंगा सागर बन गये। आज मैं उनके मोक्ष के लिये नहीं बल्कि वापस आने के लिये प्रार्थना करता हूँ। आज वे हमें अपने कार्यों और विचारों में अटल जी को हमेंशा जिंदा रखना है। अटल जी का पूरा जीवन देश में स्थिरता, लोकतंत्र की अंखडता, देश का विकास, राष्ट्र निर्माण, अमन और शान्ति के लिये था। अटल जी के चट्टानी इरादों ने हिन्दुस्तान को एक विशेष मुकाम पर पहुंचाया है। राष्ट्र में अमन, चैन और शान्ति बनाये रखने के लिये प्रयत्न करना ही हमारी ओर से अटल को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज अटल जी रूपी तीर्थ, हर की पौड़ी, पवित्र तीर्थ में समाहित हो गया।

हर की पौड़ी पर अपार संख्या में उपस्थित लोगों ने नम आखों से अपने प्यारे अटल जी की अस्थियों का विर्सजन किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और वहां उपस्थित सभी लोगों ने शान्ति पाठ कर प्रार्थना की कि श्री अटल जी फिर से वापस आकर अपने देश की सेवा करे। स्वामी जी ने कहा कि अटल जी ने अपने जीवन काल में नदियों को जोड़ने का अभियान चलाया और आज जाते-जाते भी वे नदियों से जुड़ गये ताकि हम सभी नदियों से जुड़ सके और नदियों को संरक्षित कर सके। श्री अटल जी की अस्थियों का विसर्जन गंगा सहित देश की अन्य सभी नदियों में किया जायेगा। स्वामी जी ने कहा कि आज अस्थि विसर्जन नही बल्कि आस्था का सृजन उस राष्ट्रपुरूष के लिये जो राष्ट्र के लिये जिया। स्वामी जी महाराज ने कहा कि अटल जी एक ऐसे संत थे जो राजनीति से राष्ट्रनीति के लिये जीयें, वे एक महापुरूष थे जो इस शताब्दि के संत बन गये; राष्ट्र पुरूष बन गये। स्वामी जी महाराज ने वहां उपस्थित सभी को नदियों की स्वच्छता का संकल्प कराया सभी ने हाथ खडे कर संकल्प किया।

Post By Religion World