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आचार्य लोकेश ने वियाना में अन्तर्राष्ट्रीय अंतर धार्मिक सम्मेलन को संबोधित किया

आचार्य लोकेश ने वियाना में अन्तर्राष्ट्रीय अंतर धार्मिक सम्मेलन को संबोधित किया

  • अध्यात्म और विज्ञान का मानवता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान – आचार्य लोकेश

अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य डा. लोकेश मुनि ने ऑस्ट्रिया के वियाना शहर में KAICIID द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय अंतरधार्मिक सम्मेलन ‘शांति के लिए अंतरधार्मिक संवाद : शांतिपूर्ण अस्तित्व और सामान नागरिकता’ को जैन प्रतिनिधि के रूप में संबोधित किया। आचार्य लोकेश ने KAICIIDसलाहकार समिति के सम्मानित सदस्य के रूप में सलाहकार समिति की बैठक में धार्मिक एकता और सर्वधर्म सद्भाव पर वक्तव्य दिया।

आचार्य लोकेश ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म ने सभ्यतों का निर्माण किया है। धर्म के माध्यम के समाज एकजूट होता है। विश्व के सभी धर्म एकता, भाईचारा और सद्भावना का मार्ग प्रशस्त करते है। अध्यात्म और विज्ञान दोनों ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जरूरत है धर्म को एक सामाजिक विज्ञान के रूप में समझने की | धर्म के नाम पर हिंसा, नफरत, भेदभाव किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। विकास के लिए शांति आवश्यक है और धार्मिक एकता व सद्भाव से ही विश्व शांति स्थापित होगी | धर्म और विज्ञान के समन्वय से ही मानवता का संतुलित विकास संभव है।

आचार्य लोकेश ने कहा कि ईसाई धर्म युद्ध से पेरिस के हमलों तक धार्मिक मान्यताओं के परिणाम स्वरुप असंख्य संघर्ष और विवाद हुए है | हर दिन सीरिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, ईराक, बांग्लादेश, फ़्रांस, रूस जैसे देशों में धर्म, जाति और समुदाय के नाम पर निर्दोष लोग  मारे जाते है। ऐसे में जरुरत है अंतर धार्मिक संवाद की, हिंसा और आतंकवाद किसी समस्या का समाधान नहीं | हिंसा प्रतिहिंसा को उत्पन्न करती है | हिंसा पहले मस्तिष्क में उत्पन्न होती है | जरुरत है मस्तिष्क अहिंसा व शांति के लिए शिक्षित करने की |

आचार्य लोकेश ने भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने सभी धर्मों के अनुयायियों को अपनाया है और सभी को अपमे धर्म के रीति रिवाजों के अनुसार पूजा अर्चना करने की पूर्ण आजादी है | जैन दर्शन अहिंसा, अनेकांत व अपरिग्रह के आदर्शों पर आधारित है जिसको अपनाने से अनेक वैश्विक समस्याए जैसे हिंसा, पर्यावरण प्रदूषण, असमानता आदि का समाधान संभव है | जैन दर्शन समसामयिक है, जिसकी जितनी पहले जरुरत थी उससे ज्यादा वर्तमान समय में जरुरत है |

KAICIID के महासचिव फैसल बिन मुआम्मर ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि इस मंच से विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि एकजूट होकर समाज में सहस्तितिव, भाईचारा और सद्भावना की मिशल कायम करेंगे | हमारा उद्देश्य धर्म को विश्व शांति व विकास का माध्यम बनाना है | इस अवसर पर आचार्य लोकेश ने विभिन्न धर्मों के गुरुओं व विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों से विश्व शांति पर चर्चा की |

Post By Religion World