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Chhath Puja 2025: कब है, क्यों और कैसे मनाई जाती है?

Chhath Puja 2025: कब है, क्यों और कैसे मनाई जाती है?

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का अत्यंत पवित्र पर्व है। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

छठ पूजा 2025 कब है?

साल 2025 में छठ पूजा 26 अक्टूबर से शुरू होकर 29 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व होता है —

  1. नहाय-खाय (26 अक्टूबर) – इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं और पूजा की तैयारी शुरू होती है।

  2. खरना (27 अक्टूबर) – इस दिन पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम को गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।

  3. पहला अर्घ्य (28 अक्टूबर) – डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर सूर्य देव की उपासना करते हैं।

  4. दूसरा अर्घ्य (29 अक्टूबर) – यह दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। प्रातः काल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया जाता है।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?

छठ पूजा का उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव जीवन का आधार हैं, और उनकी उपासना से स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि मिलती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, छठी मैया (सूर्य देव की बहन) को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है। उन्होंने पहली बार यह व्रत पांडवों की माता कुंती और द्रौपदी को सिखाया था ताकि उन्हें संतान और समृद्धि की प्राप्ति हो।
इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह पूजा सूर्य की ऊर्जा और प्रकृति के संतुलन को सम्मान देने का प्रतीक है।

छठ पूजा कैसे मनाई जाती है?

छठ पूजा में व्रती (मुख्य उपासक) चार दिनों तक कठोर नियमों का पालन करते हैं —

  • व्रत के दौरान शुद्धता, पवित्रता और संयम का विशेष ध्यान रखा जाता है।

  • किसी भी तरह का मांस, प्याज, लहसुन, या दूषित भोजन नहीं खाया जाता।

  • महिलाएँ और पुरुष दोनों इस व्रत को रख सकते हैं।

  • तीसरे और चौथे दिन नदी, तालाब या घाट पर जाकर सूर्य देव को अर्घ्य (जल अर्पण) दिया जाता है।

  • पूजा में बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना और गुड़ का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

छठ पूजा आत्म-शुद्धि, प्रकृति के प्रति सम्मान और परिवार की सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इस पर्व में किसी तरह की आडंबर नहीं होती — सब कुछ सादगी और सच्चे मन से किया जाता है।
यह पर्व लोगों में एकता, सहयोग और आस्था का भाव जगाता है। घाटों पर लाखों लोग एक साथ खड़े होकर सूर्य देव को नमन करते हैं — यह दृश्य श्रद्धा और समर्पण की चरम सीमा दिखाता है।

छठ पूजा 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सूर्य देव और छठी मैया के प्रति कृतज्ञता का उत्सव है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में शुद्धता, अनुशासन और आस्था बनाए रखना कितना जरूरी है। चाहे समय कितना भी बदल जाए, छठ पूजा का महत्व कभी कम नहीं होगा, क्योंकि यह हमारी परंपरा और प्रकृति दोनों से जुड़ा हुआ पर्व है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World