सिख धर्म (Sikhism) की शुरुआत कैसे हुई?
सिख धर्म (Sikhism) विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है, जिसकी शुरुआत 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारतीय उपमहाद्वीप के पंजाब क्षेत्र में हुई थी। इस धर्म की नींव गुरु नानक देव जी ने रखी थी, जिन्हें सिख धर्म का प्रथम गुरु माना जाता है। सिख धर्म का उदय ऐसे समय में हुआ जब भारतीय समाज अनेक धार्मिक, सामाजिक और जातिगत कुरीतियों से जकड़ा हुआ था।
गुरु नानक देव जी का जन्म और जीवन
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई. में पंजाब के तलवंडी गाँव (वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब) में हुआ था। उनके पिता मेहता कालू एक पटवारी थे और माता त्रिप्ता एक धार्मिक महिला थीं। बचपन से ही नानक देव जी में आध्यात्मिक जिज्ञासा और करुणा की भावना थी। वे सांसारिक दिखावे और जातिवाद से दूर रहते थे।
युवा अवस्था में उन्होंने कई धार्मिक स्थलों की यात्राएँ कीं, जिनमें हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध स्थान शामिल थे। इन यात्राओं का उद्देश्य लोगों को यह सिखाना था कि सभी मनुष्य एक ही परमात्मा की संतान हैं और किसी भी धर्म या जाति के आधार पर श्रेष्ठ या हीन नहीं हैं।
गुरु नानक देव जी के उपदेश
गुरु नानक देव जी ने उस समय के समाज में व्याप्त पाखंड, अंधविश्वास और असमानताओं का विरोध किया। उन्होंने तीन मुख्य सिद्धांत दिए:
नाम जपना (ईश्वर का स्मरण) – हर समय परमात्मा का नाम लेकर उसे अपने जीवन में उतारना।
कीरत करनी (ईमानदारी से कमाई) – मेहनत और ईमानदारी से जीवनयापन करना।
वंड छकना (साझा करना) – अपनी कमाई और संसाधनों को जरूरतमंदों के साथ बाँटना।
इन सिद्धांतों ने सिख धर्म की मूल आधारशिला रखी। उन्होंने कहा — “न को हिन्दू, न को मुसलमान” यानी इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।
सिख धर्म का विकास
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को आगे उनके उत्तराधिकारियों — नौ अन्य सिख गुरुओं — ने आगे बढ़ाया। उन्होंने समाज को सेवा (Sewa), समानता, भाईचारा, और न्याय जैसे मूल्यों पर आधारित जीवन जीने का मार्ग दिखाया। दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की, जिससे सिख धर्म को एक संगठित रूप मिला। उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनके बाद कोई मानव गुरु नहीं होगा और गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों का शाश्वत गुरु होगा।
इस प्रकार, सिख धर्म की शुरुआत गुरु नानक देव जी की करुणा, सत्य और समानता पर आधारित शिक्षाओं से हुई। उन्होंने लोगों को ईश्वर से जुड़ने, मानवता की सेवा करने और सभी को समान दृष्टि से देखने की प्रेरणा दी। यही कारण है कि आज सिख धर्म विश्वभर में करुणा, साहस और मानवता का प्रतीक माना जाता है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो