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Balram Jayanti 2025: बलराम जी का जन्मदिन कब और क्यों मनाया जाता है?

Balram Jayanti 2025: बलराम जी का जन्मदिन कब और क्यों मनाया जाता है?

तिथि: 14 अगस्त 2025, गुरुवार
पक्ष: श्रावण मास, पूर्णिमा तिथि (पौर्णिमा)

भारत की धार्मिक परंपराओं में भगवान श्रीकृष्ण का नाम तो लगभग हर कोई जानता है, लेकिन उनके बड़े भाई भगवान बलराम का महत्व भी उतना ही अद्वितीय है। बलराम जयंती का पर्व उनके अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से खास है बल्कि कृषि, धरती और धर्म की रक्षा के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है।

भगवान बलराम का जन्म और महत्व

शास्त्रों के अनुसार, भगवान बलराम का जन्म मथुरा में रोहिणी माता के गर्भ से हुआ। वे भगवान विष्णु के शेषनाग अवतार माने जाते हैं। बलराम अपनी असीम शक्ति, धरती के प्रति प्रेम और धर्म के पालन के लिए प्रसिद्ध हैं।

  • परिवार: वसुदेव और रोहिणी के पुत्र, श्रीकृष्ण के अग्रज

  • अवतार का उद्देश्य: राक्षसों का संहार, धर्म की स्थापना और श्रीकृष्ण की सहायता करना

पूजा-विधि (Balram Jayanti Puja Vidhi)

  1. स्नान व संकल्प – प्रातःकाल गंगा या पवित्र जल से स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

  2. व्रत व उपवास – भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और फलाहार करते हैं।

  3. मंदिर दर्शन – बलराम जी के मंदिर में जाकर पुष्प, धूप, फल और मिठाई चढ़ाएं।

  4. विशेष भोग – दही, मक्खन और हल्दी से बने व्यंजन बलराम जी को प्रिय हैं।

  5. कथापाठ और कीर्तन – बलराम जी की महिमा और श्रीकृष्ण-बलराम की कथाओं का पाठ करें।

बलराम जी के प्रतीक और संदेश

  • हल (हलधर) – कृषि और श्रम का सम्मान

  • गदा – बल और पराक्रम का प्रतीक

  • श्वेत वस्त्र – शुद्धता और सरलता का संदेश

  • सफेद रंग का झंडा – सत्य और धर्म की विजय

धार्मिक महत्व

  • बलराम जयंती पर व्रत और पूजा से कृषि में समृद्धि और परिवार में सुख-शांति की कामना की जाती है।

  • यह पर्व श्रावण पूर्णिमा को आता है, जिस दिन कई स्थानों पर रक्षा बंधन भी मनाया जाता है, इसलिए इस दिन का उत्सव और भी भव्य हो जाता है।

  • कुछ स्थानों पर इसे हलषष्ठी के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें माताएँ अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं।

देशभर में उत्सव

  • वृंदावन और मथुरा में विशेष शोभा यात्रा और झांकी का आयोजन।

  • ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में बलराम जी की विशेष पूजा।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में हल-धर प्रतीक के साथ खेतों में पूजा और कृषि अनुष्ठान।

बलराम जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह कृषि, श्रम, सत्य और धर्म के सम्मान का उत्सव है। भगवान बलराम का जीवन हमें सिखाता है कि शक्ति का उपयोग हमेशा धर्म की रक्षा और लोककल्याण के लिए करना चाहिए। इस वर्ष 14 अगस्त को जब आप बलराम जी की पूजा करें, तो उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में परिश्रम और सत्य का मार्ग अपनाएं।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World