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श्रीराम कथा के मंच से दिया जल संरक्षण का संदेश

श्री राम कथा के मंच से दिया जल संरक्षण का संदेश

परमार्थ निकेतन में आयोजित श्री रामकथा में पधारे बाल स्वामी जी महाराज, स्वामी श्री अच्युतानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी श्री शरदपुरी जी महाराज, स्वामी केशवानन्द जी महाराज

प्रदूषित होती पृथ्वी और जलस्रोत को स्वच्छ करने का कराया संकल्प

जल है तो जीवन है- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 26 मई। परमार्थ निकेतन में ’माँ गंगा के पावन तट पर  पर्यावरण संरक्षण एवं पतित पावनी माँ गंगा को समर्पित ’श्री राम कथा’ में आज स्वामी नारायण संस्था छारोड़ी, गुरूकुल अहमदाबाद से आये बाल स्वामी जी महाराज, स्वामी श्री अच्युतानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी श्री शरदपुरी जी महाराज, स्वामी केशवानन्द जी महाराज एवं अन्य संतगण पधारे। 

पूज्य संतों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंटवार्ता की। स्वामी जी महाराज ने प्रयाग महाकुम्भ में कथा और सत्संग के माध्यम से पर्यावरण, जल एवं नदियों के संरक्षण का संदेश श्रद्धालुओं तक पंहुचाने पर विचार विमर्श किया।

 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में परमार्थ गंगा तट पर मानस कथा की दिव्य धारा श्री मुरलीधर जी महाराज के मुखारबिन्द से प्रवाहित हो रही है। श्री राम कथा का प्रसारण संस्कार चेनल पर हो रहा है, जिसके माध्यम से पर्यावरण एंव नदियों का संरक्षण, स्वच्छता एवं वृक्षारोपण का संदेश तथा खुले में शौच न जाने का संकल्प तथा जहाँ-जहाँ आवश्यकता है वहां पर जनता द्वारा शौचालय बनवाये जाने का संदेश भी अनेकों लोगो तक पंहुचाया जा रहा है। कथा के मंच अनेक संतों एवं राजनेताओं के उद्बोधनों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश प्रतिदिन प्रेषित किया जा रहा है ताकि स्वच्छता के प्रति लोगो को जागरूक किया जा सके। स्वामी जी ने कहा कि कितनी भी सुविधायें जुटा दी जायें, व्यवस्थायें भी कर दी जाये परन्तु यदि जन जागरण ही नहीं होगा तो व्यवस्थायें भी फेल हो जायेंगी इसलिये जन जागरण  अत्यंत आवश्यक है।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा ’प्रभु श्री राम का चरित्र मर्यादा, संस्कार एवं आदर्श की प्रतिमुर्ति है। हमें कथा के साथ उनके आदर्शों को भी आत्मसात करना होगा तभी कथा की सार्थकता सिद्ध होगी। प्रभु श्री राम का जीवन प्रकृति के सानिध्य में मानवता की सेवा करते हुये व्यतीत हुआ है। वर्तमान समय में प्रदूषित होती पृथ्वी, सूखते जलस्रोत और स्वच्छता के अभाव में प्राण त्यागते बच्चों को मदद की नितांत आवश्यकता हैै अतः इन बच्चों को सुखद भविष्य देने के लिये मिलकर कदम बढ़ाये ताकि भारत का हर परिवार स्वस्थ एवं सुरक्षित रूप से जीवन यापन कर सके। स्वामी जी ने कहा कि जल है तो जीवन है अतः जल का संरक्षण नितांत आवश्यक है।’’

 स्वामी नारायण संस्था गुरूकुल छावड़ी, अहमदाबाद से आये श्री बाल स्वामी जी महाराज ने कहा कि ’श्री रामकथा समर्पण की कथा है। आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति के प्रति समर्पण के लिये प्रशिक्षित करना आवश्यक है। हम सब का दायित्व है कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज द्धारा जलायी स्वच्छता की मशाल को कथाओं के माध्यम से देश के कोने-कोेने तक पहुंचाने के लिये आगे आये जिससे की स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके।

 कथा व्यास श्री मुरलीधर जी महाराज ने कहा, ’ईश्वर को पाने के लिये मन की निर्मलता एवं तन की स्वच्छता आवश्यकता होती है। श्री राम कथा समर्पण का संदेश देती है।’

 श्री राम कथा के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री बाल स्वामी जी महाराज, स्वामी श्री अच्युतानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी श्री शरदपुरी जी महाराज, स्वामी केशवानन्द जी महाराज ने श्री मुरलीधर जी महाराज को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। सभी संतों ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की।

इस अवसर पर उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आस-पास के जल सो्रतो को स्वच्छ रखने का संकल्प कराया। 

Post By Religion World